सरकारी शिक्षा व्यवस्था का बंटाधार करने में जुटी गठबंधन सरकार

कौशल निगम के तहत चहेतों को ठेके पर शिक्षक बनाना चाहती प्रदेश सरकार

चंडीगढ़, 25 दिसंबर।  अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव (उत्तराखंड प्रभारी), पूर्व केंद्रीय मंत्री, हरियाणा कांग्रेस कमेटी की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार नए सरकारी स्कूल खोलने की बजाए पहले से चल रहे स्कूलों को संभालने में नाकाम रही है। चार साल के अंदर करीब 500 स्कूलों को बंद करने के बाद अब 20 या इससे कम संख्या वाले 1076 सरकारी स्कूलों को मर्ज करने नाम पर बंद करने  का षड्यंत्र रचा जा रहा है। वहीं, सरकारी स्कूलों में चहेतों को एडजस्ट करने के लिए ही हरियाणा कौशल रोजगार निगम के तहत ठेके पर शिक्षक रखने की बात कही जा रही है। इससे शिक्षा का स्तर और गिरने की आशंका बनी हुई है।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश की आबादी लगातार बढ़ रही है। बच्चों को शिक्षा के अधिक से अधिक अवसर उनके घर के नजदीक मिलें, ऐसे प्रयास किए ही नहीं गए। आबादी के मुताबिक नए स्कूल खोलने की बजाए गठबंधन सरकार पहले से चल रहे सरकारी स्कूलों को बंद करने में लगी हुई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकारी स्कूलों से बच्चे खुद ही नाम कटवा लें, इसलिए ही पहली से आठवीं कक्षा के छात्रों को मिलने वाली प्री-मेट्रिक छात्रवृत्ति को बंद कर दिया गया। कांग्रेस की केंद्र सरकार ने साल 2009 में आठवीं कक्षा तक मुफ्त शिक्षा का जो अधिकार दिया था, उसे साजिश के तहत खत्म करने की साजिश रची जा रही है। इसलिए ही सरकारी स्कूलों में समय पर न तो किताबें मुहैया कराई जाती हैं और न ही वर्दी के लिए राशि खातों में डाली जाती है।

कुमारी सैलजा ने कहा कि पिछले साल चंद दिनों के अंदर ही पीजीटी और टीजीटी के हजारों पदों पर ठेके पर भर्ती की गई है। यह भर्ती किस तरीके से की गई, क्या नियमावली अपनाई गई, चयन करने का आधार क्या रहा, इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं दी जा रही है। अपनी गलती को सुधारने की बजाए हरियाणा कौशल रोजगार निगम के जरिए ठेके पर फिर से शिक्षकों की भर्ती करना चाह रही है। जबकि, प्रदेश में दो-दो भर्ती आयोग पहले से कार्यरत हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नियमित भर्ती न होने से कितने ही एचटेट पास, उच्च शिक्षित युवा सरकारी शिक्षक लगने का इंतजार कर रहे हैं। ठेके पर पहले की गई भर्ती भी विवादों में ही रही थी, जिनके पास प्राइमरी स्कूल में पढ़ाने का अनुभव था, उन्हें टीजीटी/पीजीटी के पदों पर तैनात कर दिया गया। पारदर्शिता का ढोंग रचने वालों ने अपने चहेतों को शिक्षक भर्ती करने का कितना सुगम रास्ता कौशल निगम के जरिए तैयार कर लिया है, वह प्रदेश की जनता देख रही है।

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