नए उच्च शिक्षण संस्थान खोले नहीं, पुरानों में स्टाफ नहीं:  कुमारी सैलजा

देश के 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 06 हजार से ज्यादा पद खाली

आईआईटी और आईआईएम सरीखे संस्थानों में भी फैकेल्टी की भारी कमी

चंडीगढ़, 24 दिसंबर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं हरियाणा कांग्रेस कमेटी की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार देश में उच्च शिक्षा का बेड़ा गर्क करने पर तुली हुई है। नई शिक्षा नीति को लागू करने की आड़ में देश के नामचीन उच्च शिक्षण संस्थानों की ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया जा रहा। इसलिए ही केंद्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी व आईआईएम सरीखे संस्थानों में पढ़ाई के लिए जरूरी फैकेल्टी तक के हजारों पद खाली हैं, जबकि नॉन टीचिंग स्टाफ के खाली पदों का तो ब्यौरा भी सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की कमी को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। इससे केंद्र सरकार के पढ़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया के नारे की पोल खोल खुल गई है। देशभर के सभी 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों समेत उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के कुल 11 हजार से भी अधिक पद खाली हैं। जिन उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के पद खाली हैं, उनमें आईआईटी और आईआईएम जैसे देश के प्रसिद्ध और बेहतरीन शिक्षण संस्थान भी शामिल हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री के अनुसार 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 18,956 स्वीकृत पद हैं। इनमें से प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के कुल 6180 पद खाली हैं। देश की आईआईटी, यानी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों की बात की जाए तो यहां कुल 11,170 स्वीकृत पद हैं। इनमें से 4,502 पद खाली हैं। इसी तरह भारत के प्रबंधन संबंधी शीर्ष शिक्षण संस्थानों, यानी आईआईएम में शिक्षकों के 1,566 पदों में से 493 पद खाली हैं।

कुमारी सैलजा ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में खाली पड़े पदों में आरक्षित वर्गों के पद भी बहुतायत में हैं। इनमें खाली पड़े पदों में 961 पद एससी, 578 एसटी और 1,657 ओबीसी के लिए आरक्षित हैं। ईडब्ल्यूएस के 643 और पीडब्ल्यूडी श्रेणी के 301 पद खाली पड़े हैं। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पिछले 8 साल से शिक्षकों की कमी बनी हुई है। विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की यह कमी साल दर साल बढ़ती ही जा रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नॉन टीचिंग वर्ग के कितने पद खाली हैं, इस पर किसी स्तर पर अपडेट नहीं किया जा रहा। सरकार चुप्पी साधे हुए है। इससे साफ है कि केंद्र सरकार को न तो देश के शीर्ष शिक्षण संस्थानों में गुणवत्ता पूरक उच्च शिक्षा देने की चिंता है और न ही उन्हें शिक्षित वर्ग को रोजगार दिए जाने की कोई फिक्र है।

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