बाढ़ से हुए नुकसान की 5 महीने बाद भी सरकार से भरपाई की आस नहीं हुई पूरी

प्रीमियम काटने के बावजूद 07 जिलों में बीमा कंपनी ने नहीं किया फसली बीमा

चंडीगढ़, 22 दिसंबर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं हरियाणा कांग्रेस कमेटी की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि  प्रदेश के किसान सांसत में हैं। उन्हें न तो जुलाई में बाढ़ से बर्बाद हुई फसल का मुआवजा ही मिल सका है और न ही प्रीमियम काटे जाने के बावजूद बीमा कंपनियों से क्लेम मिला है। सात  जिलों के किसानों के बैंक खाते से भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने बीमा प्रीमियम की राशि तो काट ली थी, लेकिन बाद में बीमा कंपनियों ने फसली बीमा करने से इंकार कर दिया था।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि यह किसानों का ही दुर्भाग्य कहा जाएगा जो 1.41 लाख बाढ़ प्रभावित किसानों ने फसल बर्बाद होने की जानकारी देते हुए सरकार से मुआवजा मांगा। लेकिन, 05 माह बीतने के बाद जागी सरकार ने महज &4511 किसानों को 97.9& करोड़ रुपये देने का फैसला लिया। नुकसान के सामने यह राशि ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। इससे साफ है कि प्रदेश सरकार किसानों के जख्मों पर मुआवजे का मरहम लगाने की बजाए उन्हें कुरेदना चाहती है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के किसान विरोधी होने का इससे बड़ा सबूत और क्या होगा, जो उसने किसानों के मोबाइल पर मैसेज तो भिजवा दिए, लेकिन उनके बैंक खातों में मुआवजा का एक भी रुपया नहीं पहुंचा। जबकि, किसान अपनी पास बुक लेकर बार-बार रुपये आने की आस में बैंकों के चक्कर काट रहे हैं। जिन गांवों में बाढ़ के दौरान 5-6 फुट पानी जमा रहा, वहां एक भी किसान को मुआवजा न देने से साफ है कि सरकार को किसानों की कोई परवाह ही नहीं है।

कुमारी सैलजा ने कहा कि कितनी हैरानी की बात है कि कलस्टर-2 में आने वाले अंबाला, हिसार, गुरुग्राम, जींद, करनाल, महेंद्रगढ़ व सोनीपत जिले में तो किसानों के खाते से रुपये काटने के बावजूद प्रदेश सरकार किसी बीमा कंपनी से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत उनकी फसल का इंश्योरेंस तक नहीं करवा पाई। इन जिलों में बीमा कंपनियों सिर्फ इसलिए पीछे हट गई, क्योंकि फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी थी और यह उनके लिए घाटे का सौदा साबित होता। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जिन जिलों से बीमा कंपनियों पीछे हटी, वहां पर सरकार को दिल खोलकर किसानों की मदद करनी चाहिए थी, लेकिन किसानों से वैर रखने के कारण भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ऐसा नहीं करना चाहती। सिरसा व हिसार में तो किसानों के करीब 4 हजार करोड़ रुपये बीमा कंपनियों की ओर पिछली फसलों के बकाया हैं। सिरसा व हिसार में किसान पक्का मोर्चा भी लगा चुके हैं।

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