-कमलेश भारतीय जालंधर की यादों का सिलसिला जारी है और सुझाव भी आया कि एक बार जालंधर आकाशवाणी व दूरदर्शन को अच्छे से याद करूँ क्योंकि संयुक्त पंजाब के यही केंद्र थे और इनमें प्रसिद्ध हिदी लेखकों ने अपनी सेवायें दीं और इन केंद्रों को संवारने में अमूल्य सहयोग दिया। मेरी जानकारी में प्रसिद्ध नाटककार हरिकृष्ण प्रेमी, गिरिजा कुमार माथुर, विश्व प्रकाश दीक्षित बटुक, श्रीवर्धन कपिल, लक्ष्मेंद्र चोपड़ा आदि जालंधर आकाशवाणी केंद्र में निदेशक रहे। जहाँ हरिकृष्ण प्रेमी व गिरिजा कुमार माथुर हिंदी के प्रसिद्ध नाटककार रहे। गिरिजा कुमार माथुर को प्रसिद्ध लेखक अज्ञेय जी के संपादन में तार सप्तक में संकलित किया गया और चर्चित कवियों में उनका नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है। इनकी पत्नी शकुंत माथुर भी अच्छी रचनाकार थीं। वहीं श्रीबर्धन कपिल अपनी आवाज़ के दम पर राष्ट्रीय स्तर पर कमेंटेटर रहे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अमृतसर से पाकिस्तान की बस यात्रा की बहुत ही शानदार कमेंट्री की थी। राष्ट्रीय दिवसों का आंखों देखा हाल भी सुनाते रहे। विश्व प्रकाश दीक्षित बटुक को वीर प्रताप समाचारपत्र के संपादक वीरेंद्र वीर जी ने सम्मानित भी किया था। इनके बेटे विजय बर्धन दीक्षित भी जालंधर आकाशवाणी केंद्र में प्रोड्यूसर पद पर रहे । लक्ष्मेंद्र चोपड़ा का हिंदी लघुकथा में विशेष स्थान है। वे मुम्बई दूरदर्शन के निदेशक के रूप में सेवानिवृत्त हुए और आजकल गुरुग्राम में रहकर साहित्य सेवा कर रहे हैं। प्रसिद्ध पंजाबी कवि सोहन सिंह मीशा भी आकाशवाणी केंद्र, जालंधर में रहे और उन्हें साहित्य अकादमी अवार्ड मिलने पर नवांशहर के अपने आर के आर्य काॅलेज में भी आमंत्रित किया था। मैं और मुकेश सेठी उनको आमंत्रित करने गये थे और वे सहर्ष आये भी और अपनी प्रसिद्ध कविता -चीक बुलबली का बहुत शानदार पाठ किया था जिसका मूल भाव यह था कि जहाँ कहीं वे अन्याय देखते हैं, वे चुप नहीं रह पाते और विरोध में ऊंची चींख निकल ही आती है। दुखांत यह रहा कि वे कपूरथला की कांजली नदी में नौका विहार करते नदी में ही गिर गये और बाद में प्राण नहीं बचाये नहीं जा सके थे। आज तक उनकी कविता चीक बुलबली का सार याद है और मीशा जी भी। जालंधर आकाशवाणी केंद्र के जानकी प्रसाद भारद्वाज व हेमराज शर्मा आकाशवाणी केंद्र से बाहर अनेक कार्यक्रमों में खूब हंसाते और आकाशवाणी पर ग्रामीण कार्यक्रम बहुत बढ़िया प्रस्तुत करते। भारद्वाज की बेटी चंद्रकला भी प्रोड्यूसर रहीं। यदि हिंदी कार्यक्रम प्रोड्यूसर डाॅ रश्मि खुराना को याद न करूँ तो अन्याय होगा। उन्होंने मुझे सिखाया कि आकाशवाणी के माइक के आगे कैसे बोलना है और ऐसे ही एक प्रोड्यूसर कैलाश शर्मा ने मुझे आकाशवाणी पर बड़े अवसर दिये। वे दिल्ली से ट्रांस्फर होकर आये थे और आकाशवाणी केंद्र के पास ही रहते थे। हरभजन बटालवी और देवेंद्र जौहल पंजाबी कार्यक्रमों के प्रोड्यूसर रहे। विनोद धीर व पुनीत सहगल ड्रामा प्रोड्यूसर रहे। आजकल पुनीत सहगल दूरदर्शन केंद्र, जालंधर केंद्र के प्रोग्राम प्रमुख हैं। आकाशवाणी केंद्र, जालंधर की बात अपने मित्र राजेन्द्र चुघ के बिना भी अधूरी रहेगी। वे आकाशवाणी के जालंधर केंद्र पहले कैजुअल अनाउंसर रहे बाद में उन्नति करते करते दिल्ली से पौने नौ बजे के प्रमुख समाचार वाचक रहे और मैं उन्हें मुलाकात होने पर मज़ाक में कहता कि अब आप राजेन्द्र चुघ से राष्ट्रीय समाचार सुनिये। वे अच्छे कवि भी हैं। जब मुझे प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से पुरस्कार मिलना था तब मुझे हरियाणा भवन में बधाई देने आए थे और हमने जालंधर के मित्रों को याद किया था। जालंधर दूरदर्शन केंद्र के समाचार संपादक प्रसिद्ध हिंदी उपन्यासकार जगदीश चन्द्र वैद थे जिनका उपन्यास धरती धन न अपना हिंदी के बहुचर्चित उपन्यासों में से एक है और अनेक भाषाओं में अनुवादित भी हुआ। बलविंदर अत्री भी समाचार संपादक रहे और हिंदी के अच्छे कवि हैं और अनुराग ललित के नाम से लिखते हैं । रवि दीप ड्रामा प्रोड्यूसर रहे और उनका निर्दशित नाटक खींच रहे हैं आज तक याद है कि हम सब अपनी इच्छाओं को बढ़ाते जाते हैं जैसे बच्चे पतंग उड़ाते हैं, ऐसे ही हम अपनी इच्छायें बढ़ाते जाते हैं। रवि दीप आजकल मुम्बई में रहते हैं। सुरेंद्र शर्मा भी ड्रामा प्रोड्यूसर थे और उन्होंने स्वदेश दीपक की तमाशा कहानी का नाट्य रूपांतरण करवाया था। लखविंदर जौहल लिश्कारा नाम से कार्य क्रम बनाते थे जिसे प्रसिद्ध पंजाबी कवि सुरजीत पात्र होस्ट करते थे। इंदु वर्मा भी यहीं और मित्र डाॅ कृष्ण कुमार रत्तू भी रहे और विपिन गोयल भी याद आ रहे हैं। रत्तू अच्छे लेखक भी हैं। मैं सोचता हूँ कि आज के लिए इतना ही काफी है। अभी भी बहुत मित्र छूट रहे होंगे। मुझ अज्ञानी, खलकामी समझ कर माफ कर देंगे। -पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी। 9416047075 Post navigation मेरी यादों में जालंधर- भाग तीन….. जालंधर के समाचार-पत्र किसान बार्डर पर रोक दिए , कीलें ठोंक दी , 750 किसानों की मौत हो गई क्या वो किसानो का सम्मान था : हनुमान वर्मा