मुख्य निर्वाचन आयुक्त विधेयक चुनाव आयोग पर शिकंजा कसने के लिए भाजपा की चाल : लाल बहादुर खोवाल

एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त विधेयक को चुनाव आयोग पर नियंत्रण करने की साजिश बताया

हरियाणा कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट मुख्य निर्वाचन आयुक्त विधेयक का करेगा विरोध

हिसार : भारतीय जनता पार्टी द्वारा मुख्य निर्वाचन आयुक्त विधेयक-2023 पारित करके उसे राज्यसभा में मंजूरी देने के घटनाक्रम को हरियाणा कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट के अध्यक्ष एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने लोकतंत्र के खिलाफ साजिश बताया है। उन्होंने कहा कि निष्पक्षता, निर्भीकता, स्वयात्तता और शुचिता चुनाव के आधार स्तंभ होते हंै लेकिन मुख्य निर्वाचन आयुक्त विधेयक के माध्यम से भाजपा चुनाव आयोग पर शिकंजा कसना चाहती है। खोवाल ने कहा कि दरअसल भाजपा चुनाव आयोग को जेबी आयोग बनाकर उससे अपनी मनमर्जी का काम करवाना चाहती है।

एडवोकेट खोवाल ने बताया कि मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष व मुख्य न्यायाधीश की विशेष भूमिका रहती थी। मुख्य निर्वाचन आयुक्त विधेयक में जो प्रावधान दिया गया है, उसके अनुसार मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में मुख्य न्यायाधीश की आवश्यकता नहीं होगी। मुख्य न्यायाधीश के बिना ही नियुक्ति की जाएगी। खोवाल ने कहा कि चुनाव आयोग संवैधानिक संस्था है लेकिन भाजपा ने इसे तहस-नहस करने का काम किया है।

उन्होंने बताया कि मुख्य चुनाव आयोग एक स्वायत संस्था है परंतु मुख्य निर्वाचन आयुक्त विधेयक पारित होने से आयोग सत्ता पक्ष के निर्देशानुसार काम करेगा। सत्ता पक्ष के प्रभाव से ही मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति होगी। अपनी मनमर्जी चलाने के लिए भाजपा ने इस विधेयक में मुख्य न्यायाधीश की भूमिका को ही समाप्त कर दिया है। खोवाल ने कहा कि हरियाणा कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट मुख्य निर्वाचन आयुक्त विधेयक का खुलकर विरोध करता है और सरकार से मांग करता है कि चुनाव आयोग को अपने स्वार्थ के लिए कठपुतली न बनाया जाए। इस विधेयक से चुनाव की निष्पक्षता प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि भाजपा चुनाव प्रक्रिया को अपने फायदे के हिसाब से बदलना चाहती है जबकि संविधान के अनुसार चुनाव प्रक्रिया कार्यपालिका के हस्तक्षेप से पूरी तरह मुक्त होनी चाहिए।

हरियाणा कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट के अध्यक्ष एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने कहा कई राजनीतिक दल इस विधेयक का विरोध करते हुए अलोकतांत्रिक और अनैतिक घोषित कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए जरूरी है कि निर्वाचन आयोग का कामकाज स्वतंत्र और निष्पक्ष रहे। इसके लिए आवश्यक है कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं अन्य आयुक्तों की नियुक्ति में कार्यपालिका का किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।

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