जनता की आवाज दबाने के लिए भाजपा ला रही मृत शरीर सम्मान विधेयक : लाल बहादुर खोवाल

मृत शरीर सम्मान विधेयक के माध्यम से भाजपा धरने व प्रदर्शन के अधिकार पर कर रही कुठाराघात : लाल बहादुर खोवाल

एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने मृत शरीर सम्मान विधेयक को प्रजातंत्र की अवहेलना बताया

हिसार : भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रस्तावित मृत शरीर सम्मान विधेयक 2023 के संदर्भ में हरियाणा कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट के अध्यक्ष एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि जनता की आवाज दबाने के लिए भाजपा मृत शरीर सम्मान विधेयक 2023 लागू करवाना चाहती है। उन्होंने बताया कि इस विधेयक में प्रावधान है कि कोई भी इंसान अपनी मांगें मनवाने के लिए किसी भी व्यक्ति के शव को सड़क पर रखकर प्रदर्शन नहीं कर सकेगा। प्रदर्शन को रोकने के लिए गृह विभाग की ओर से प्रस्तावित हरियाणा मृत शरीर सम्मान विधेयक को अनिल विज की तरफ से मंजूरी मिल चुकी है। अब भाजपा इसे कानून बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है। इसके तहत हरियाणा में सड़क पर शव रखकर धरना व प्रदर्शन करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

एडवोकेट खोवाल का कहना है कि असामाजिक तत्वों द्वारा किसी गरीब या असहाय का मर्डर करने पर जब न्याय नहीं मिलता तो उसके परिजन मजबूरीवश शव को रखकर प्रदर्शन करते हुए न्याय की मांग करते थे। इसी भांति चिकित्सकीय त्रुटि के कारण मौत होने पर भी न्याय के लिए परिजनों को धरना व प्रदर्शन का अधिकार था लेकिन अब इस नए विधेयक को पारित करवाकर भाजपा आम आदमी के अधिकारों पर कुठाराघात कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रजातंत्र में अपनी जायज मांगें मनवाने के लिए धरना व प्रदर्शन का सभी को अधिकार है लेकिन इन अधिकारों की अवहेलना करते हुए भाजपा तानाशाही रवैया अपना रही है। खोवाल ने कहा ऐसा कानून बनाकर भाजपा जनता में अपना खौफ कायम करना चाहती है ताकि लोग चुपचाप अत्याचार सहन करते रहें।

हरियाणा कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट के अध्यक्ष एडवोकेट खोवाल ने कहा कि आजकल बिना धरना व प्रदर्शन के न तो पुलिस कोई मुकदमा दर्ज करती है और न ही किसी को न्याय मिलता है। प्रशासन भी अपराधियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करता क्योंकि सरकार के संरक्षण में पल रहे असामाजिक तत्व उपयुक्त कार्रवाई होने ही नहीं देते। जनता को न्याय नहीं मिलता तो उन्हें मजबूरीवश सड़कों पर उतरना पड़ता है। अब न्याय पाने के इस रास्ते को भी भाजपा बंद करने की कोशिश में है।

उन्होंने कहा कि जनहित का दावा करने वाली भाजपा सरकार इसी कानून में प्रावधान करने जा रही है कि निजी अस्पतालों में इलाज के दौरान यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो गई तो इलाज का पूरा बिल चुकता किए बिना परिजनों को शव नहीं मिलेगा। इसके विपरीत प्रावधान ऐसा होना चाहिए कि किसी गरीब मरीज के साथ ज्यादती न हो और चिकित्सकों के साथ भी नाइंसाफी नहीं होनी चाहिए। वास्तव में भाजपा बिना सोच-विचार किए और उसके विभिन्न पहलुओं को जांचे-परखे बिना ही मृत शरीर सम्मान विधेयक लागू करवाने की फिराक में है। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि कमेटी बनाकर ऐसा प्रावधान करे कि मरीज के अधिकारों का हनन न होने पाए और हर गरीब व असहाय मरीज को समुचित इलाज भी समय पर मिल सके इसके साथ असहाय की मौत पर सारा खर्च सरकार खुद वहन करे ताकि चिकित्सकों को भी किसी तरह की आर्थिक व मानसिक कठिनाई का सामना न करना पड़े कयोंकि मृत शरीर को अनावश्यक हॉस्पिटल में रखने से चिकित्सको के मानसिक तनाव को बढ़ाने का काम करेगा तथा हॉस्पिटल मे दाखिल अन्य मरीजों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

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