रामरहीम में ऐसी क्या विशेषता है कि उसे दो-दो आजीवन उम्रकैद की सजा होने पर भी विगत 2 सालों मेें ही 9 बार फरलो व या पैरोल मिल गई : विद्रोही 14 दिसम्बर 2023 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने एक बयान में बताया कि सच्चा सौदा डेरा के डेरामुखी गुरमीत राम रहीम को विगत दो सालों मेें 9 बार फरलो, पैरोल को उन्होंने सत्ता का दुरूपयोग बताकर सुप्रीम कोर्ट में अपने वकील कौशल यादव के माध्यम से एक पीआईएल याचिका दायर की है जिसकी सुनवाई 15 दिसम्बर को कोर्ट नम्बर 2 में जस्टिस संजीव खन्ना जी बैंच करेगी। विद्रोही ने कहा कि उनकी याचिका का नम्बर डब्ल्यूपी सीआरएल नम्बर 642 आफ 2023 वेदप्रकाश विद्रोही बनाम यूनियन आफ इंडिया एंड अन्य है। इस पीआईएल को सुनवाई के लिए मंजूर करने या ना करने पर सुप्रीम कोर्ट नम्बर 2 में जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बैंच 15 दिसम्बर को करेगी। मेरी याचिका का सुनवाई का नम्बर 22वां है। यदि सुप्रीम कोर्ट मेरी याचिका स्वीकार कर लेता है तो राजनीतिक आधार पर देशभर में प्रभावी कैदियों को मनचाहे तब मिलने वाली पैरोल व फरलो पर रोक लगेगी। विद्रोही ने कहा कि एक ओर हरियाणा व देश में हजारों उम्रकैद कैदियों को एकबार भी पैरोल, फरलों नही मिलती, लेकिन जब-जब हरियाणा में किसी भी स्तर का चुनाव होता है या हरियाणा के पडौस में पंजाब, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, दिल्ली में चुनाव हुए, तब-तब भाजपा सरकार ने सच्चा सौदा डेरा के अनुयायियों की वोट हडपने गुरमीत रामरहीम को चुनावों से ठीक पूर्व बार-बार पैरोल व फरलो दी। यह सत्ता का नग्न दुरूपयोग ही नहीे अपितु निष्पक्ष-स्वतंत्र चुनावों को प्रभावित करने का गैरलोकतांत्रिक, अनैतिक कुप्रयास भी है। विद्रोही ने सवाल किया कि रामरहीम में ऐसी क्या विशेषता है कि उसे दो-दो आजीवन उम्रकैद की सजा होने पर भी विगत 2 सालों मेें ही 9 बार फरलो व या पैरोल मिल गई और अन्य कैदियों के लिए पैरोल व फरलो मिलना एक सपना बनकर रह जाता है? देश में ऐसे लाखों कैदी है जो साधारण अपराध में वर्षो से जेलों में विचाराधीन कैदी के रूप में बंद है, उन्हे जमानत तक नही मिलती। जितनी सजा उन्हे अपराध की आईपीसी धारा के तहत दोषी ठहराये जाने पर भी नही मिलती, उससे ज्यादा दिनों से वे जेल में बंद है। विद्रोही ने कहा कि अब देखना है कि सुप्रीम कोर्ट उनके वकील कौशल यादव की बात सुनकर पीआईएल याचिका को विचार योग्य समझकर स्वीकार करके पैरोल या फरलो पर कोई विशेष गाईडलाईन देकर सत्ता के बल पर हो रहे इस नग्न दुरूपयोग को रोकता है या उनकी याचिका को विचार योग्य न समझकर रिजेक्ट करता है। यह 15 दिसम्बर को सुप्रीम कोर्ट के रूख से पता चल पायेगा। Post navigation लुप्त हो रही संस्कृति को संरक्षित कर रहा है अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव हरियाणा विधानसभा में अब तक 35 प्रतिशत आबादी को मिला सिर्फ 2 प्रतिशत राजनेतिक प्रतिनिधित्व : हनुमान वर्मा