आज तक पिछड़ा वर्ग-ए से लोकसभा में एक भी सांसद नहीं हुआ निर्वाचित : हनुमान वर्मा

3% संख्या वालों को 4 लोकसभा पर 35% अतिपिछड़ा वर्ग को एक भी लोकसभा नहीं , ये कैसी समानता  : हनुमान वर्मा 

हिसार – हरियाणा प्रदेश के गठन के बाद से अब तक कुल 14 बार लोकसभा चुनाव हुए है, जिसमे अभी तक 146 सांसद निर्वाचित हुए हैं। निर्वाचित सांसदो में अभी तक कुल 91 सांसद सामान्य श्रेणी से, 29 अनुसूचित जाति से तथा 26 सांसद पिछड़ा वर्ग-बी से बने हैं। हरियाणा प्रदेश में 35 प्रतिशत आबादी रखने वाला पिछड़ा वर्ग-ए से आज तक एक भी सांसद नहीं बना है। यह बात ओबीसी गर्जना सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष हनुमान वर्मा ने  प्रेस विज्ञप्ति में कहीं  । 

वर्मा ने कहां कि पिछड़ा वर्ग आयोग हरियाणा के पास ये उपर्युक्त आंकड़े मौजूद हैं । पिछड़ा वर्ग आयोग को इस की पैरवी करनी चाहिए । आयोग का प्रथम कर्तव्य बनता है कि वो सरकार का इस और ध्यान दिलवा कर 03 लोकसभा अतिपिछड़ा वर्ग को दिलवाने का काम करें ।‌ 

वर्मा ने कहा कि राज्यसभा के मनोनित सांसदो की बात की जाए तो हरियाणा राज्य से बीसी-ए वर्ग से आज तक 3 सांसद मनोनित हुए, जबकि पिछड़ा वर्ग-बी से तीन, अनुसूचित जाति से 6 व सामान्य वर्ग से 48 मनोनित हुए है। उन्होंने कहा कि सांसदों के जातीय वार आंकड़ों की बात करें तो सर्वाधिक 36 प्रतिशत, कुल 146 में से 53 जाट समुदाय सामान्य वर्ग से बने है। जबकि अनुसूचित जाति से चमार समुदाय का 15 प्रतिशत जो की इस वर्ग का सर्वाधिक प्रतिनिधित्व रहा है। वहीं पिछड़ा वर्ग-बी की बात करे तो इस वर्ग में 9 प्रतिशत सांसद यादव समुदाय से बने है, जो की इस वर्ग का सर्वाधिक प्रतिनिधित्व रहा है। वहीं 67 जातियों के समूह पिछड़ा वर्ग-ए से आज तक एक भी सांसद लोकसभा में निर्वाचित नही हुआ है।   

वर्मा ने कहा कि हरियाणा गठन के बाद से अभी तक कुल 17 बार विधानसभा चुनाव हुए है। जिसमे कुल 1149 विधायक निर्वाचित हुए हैं। निर्वाचित विधायकों के सामान्य वर्ग 768 विधायक निर्वाचित हुए है, जो कि अभी तक निर्वाचित विधायकों का 67 प्रतिशत है। वहीं आरक्षित वर्ग अनुसूचित जाति कि बात करें तो हरियाणा गठन से अभी तक तय सीमा 19 प्रतिशत के अलावा एक भी विधायक निर्वाचित नहीं हो पाया है। दूसरी ओर पिछड़ा वर्ग ब्लॉक-ए और बी कि बात कि जाए तो ब्लॉक बी अपना प्रतिनिधित्व संतोषजनक बनाए हुआ है। कुल 1149 निर्वाचित का 12 प्रतिशत यानी कि 133 विधायक इस वर्ग से आज तक बने हैं। जबकि पिछड़ा वर्ग-ए का आज तक 2 प्रतिशत प्रतिनिधित्व ही विधान सभा में बना पाया हैं। जबकि इसकी परिवार पहचान पत्र के मुताबिक अनुमानित 35 प्रतिशत जनसंख्या हरियाणा में है । वहीं विधायकों के जातीय आंकड़ो कि बात रखी जाए तो सबसे अधिक जाट समुदाय का कब्जा रहा है। पिछड़ा वर्ग ए एवं बी कि बात करें तो यादव 54.5 प्रतिशत और गुज्जर 56.5 प्रतिशत जाति से कुल 110 यानि 10 प्रतिशत विधायक इस वर्ग से बने हैं। जबकि पिछड़ा वर्ग ए कि बात करें तो इस 67 जतियों के समूह से आज तक कुल 30 यानि कि दो प्रतिशत विधायक निर्वाचित हुए हैं, जबकि इनकी जनसंख्या 35 प्रतिशत है। 

वर्मा ने कहा कि यह बड़े ही अफसोस की बात है कि हरियाणा की विधानसभा में अब तक 35 प्रतिशत आबादी को सिर्फ दो प्रतिशत राजनेतिक प्रतिनिधित्व मिला है, जबकि लोकसभा में एक भी सांसद निर्वाचित नहीं हुआ। जबकि हरियााणा प्रदेश में पिछड़ा वर्ग को एक बड़े वोटबैंक के रूप में देखा जाता है, यह सबसे बड़े प्रजातांत्रिक राष्ट्र की चिंता व चिंतन का विषय है।आखिर ये भेदभाव अतिपिछड़ा वर्ग से कब खत्म होगा । 3% संख्या वालों को 4 लोकसभा ओर 35% संख्या वाले अतिपिछड़ा वर्ग को 00 ये कैसी समानता है समझ से परे । 

वर्मा ने कहा अगर समय रहते इन राजनीतिक दलों ने इस समस्या का समाधान नहीं ढुंढा तो अतिपिछड़ा वर्ग कोई भी बड़ा निर्णय लेने से पिछे नहीं हटेगा । इस के गंभीर परिणाम सभी राजनीतिक दलों को भुगतने पड़ेंगे । 

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