कश्मीर के हर कोने में आज तिरंगा शान से लहराता देख हर भारतीय को गर्व होता है : बोधराज सीकरी गुरूग्राम 11 दिसंबर। माननीय उच्चतम न्यायालय ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा संसद में 5 अगस्त 2019 में लिए गए विभाजनकारी आर्टिकल 370 के निरस्तीकरण को सही ठहराने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। निश्चित रूप से न्यायालय के इस फैसले से जम्मू-कश्मीर व लद्दाख की प्रगति को नई गति मिलेगी। इस निर्णय से लोकतंत्र की विजय हुई है। सत्य की विजय हुई है। सरकार की नीतियों की विजय हुई है। प्रधानमंत्री के निर्णायक नेतृत्व की विजय हुई है। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाना नरेंद्र मोदी की सरकार का ऐतिहासिक फैसला है। चार साल पहले संसद में इसे काफी हंगामे के बीच पेश किया गया था और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी के बाद यह फैसला लागू किया गया। अनुच्छेद 370 हटाए जाने से पहले जब भी इसे लेकर बात होती थी तो कश्मीर के कई नेता और स्थानीय लोग इसका विरोध करते थे। अनुच्छेद 370 का अपना इतिहास रहा है, उस दौरान कुछ परिस्थितियां कुछ ऐसी रहीं जब राज्य को विशेष दर्जा दिया गया था। भारत सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा खत्म कर दिया था, जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया और लद्दाख को एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है लेकिन पिछली सरकारों ने इसे अपने मतलब के लिए उपयोग करते हुए पिछड़ा बनाए रखा। वर्षों से यहां ना तो कोई विकास कार्य हुआ और ना ही भारत सरकार की योजनाओं का लाभ जनता तक पहुंचा। वर्ष 2014 में मोदी जी की सरकार बनने के बाद जम्मू कश्मीर को प्रगति के पथ पर तेजी से आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य किया गया और अब गृहमंत्री श्री अमित शाह जी की नीतियों और प्रयासों के कारण जम्मू कश्मीर भी, भारत के अन्य राज्यों की तरह प्रगति की राह पर चल पड़ा है और नित नव आयाम प्राप्त कर रहा है। हमारे प्रेरणास्रोत डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने देशवासियों को “एक देश में एक निशान और एक विधान” की जो दिशा दिखाई, उसे मोदी सरकार के निर्णायक फैसलों ने फलीभूत करने का कार्य किया है। इस अभूतपूर्व निर्णय के लिए मैं मोदी जी का हार्दिक अभिनंदन करता हूँ। निश्चित रूप से प्रधानमंत्री जी के यशस्वी नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख क्षेत्र सुशासन, विकास और समृद्धि के नए मापदंड स्थापित करेंगे। Post navigation “जाति, पंथ और धर्म के भेदभाव के बिना कर्तव्य का निर्वहन करें” – युवा आईपीएस, अधिकारियों को सलाह हरियाणा सफाई कर्मचारी आयोग को प्रदेश के कर्मचारियों के हितों की चिंता- कृष्ण कुमार