ईवीएम सॉफ्ट वेयर की प्रोग्रामिंग में कोई खेला तो नही है? मतदाता की इस शंका का समाधान कौन करेगा? अन्यथा बदलाव की इतनी प्रचंड हवा के रुख के बाद भी ये अप्रत्याशित चुनावी परिणाम क्यों?

बीजेपी कॉर्पोरेट, पैसा, मीडिया, एजेंसियों और ब्यूरोक्रेसी को साथ लेकर चुनाव में गई और फिर भी कांग्रेस ने अपनी मज़बूत मौजूदगी दर्ज कराई ये इतना आसान भी नहीं था।

पटौदी 5/12/2023 :- चार प्रदेशों के इन चुनाव परिणामों ने साबित कर दिया कि चुनाव अब मुद्दों का नही मैनेजमेंट का रह गया है। चुनाव में वोट देने वाले अब वोटर नहीं हैं वो अब कस्टमर बन गए हैं। आज देश मे महंगाई, बेरोजगारी, अर्थव्यवस्था, महिला उत्पीड़न, गरीबी, आंतकवाद, शिक्षा, चिकित्सा कोई मुद्दा नही है, मुद्दा है सिर्फ सनातन और हिंदुत्व का। आज पहलवान बहनो के शोषण, आदिवासी पर पेशाब जैसी घटनाएं कोई मायने नहीं रखती। आज मुद्दा सिर्फ और सिर्फ इवेंट व ब्रांड का है।’ उक्त बातें हरियाणा कांग्रेस सोशल मीडिया की स्टेट कॉर्डिनेटर सुनीता वर्मा ने प्रेस के नाम जारी विज्ञप्ति में कही उन्होंने कहा कि जिस संसद में देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति पर, बेरोजगारी, महंगाई और बढ़ती हुई आर्थिक विषमता पर, राष्ट्र की सीमाओं, पर्यावरण संतुलन और मणिपुर हिंसा पर चर्चा न हो, जिस देश का प्रधानमंत्री इन सबको समस्या ही ना मानता हो और इन मुद्दों पर बात करना ही जरूरी नही समझता हो उस देश की लाचारगी आसानी से समझी जा सकती है।

वर्मा ने कहा कि आज शिक्षा और स्वास्थ्य में भारत भले ही पीछे हो पर अंधभक्ति में भारत आज भी विश्व चैंपियन है। उन्होंने चुनाव परिणामों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि गत विधानसभा चुनावों में सपा गठबंधन को पोस्टल बैलेट के 51 फीसदी वोट मिले थे और बीजेपी को 33 फीसदी वोट मिले थे, अब यही पैटर्न इन तीनों राज्यों के चुनाव परिणामों में देखने को मिला है, यहां भी बीजेपी बैलेट में हार गई किंतु ईवीएम में जीत गई। इसलिए सवाल अब भी वही है 19 लाख गायब हुई ईवीएम मशीनें कहाँ है? इन्हें किसने गायब किया? देश जानना चाहता है।

महिला कांग्रेस नेत्री ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से भी हौंसला बनाए रखने की अपील करते हुए कहा की सबसे पहले तो हमें यह सोचना बंद करना होगा की इन राज्यों में हार गए तो लोकसभा भी हार जायेंगे, क्योंकि अगर ऐसा होता तो 2018 में इन्हीं राज्यों में हार के बाद बीजेपी 2019 में ना जीत पाती। भारत जोड़ो यात्रा एक राष्ट्र स्तर की यात्रा थी जिसका असर बड़े चुनाव में ही दिखाई देगा और ये तय है की नफरत हारेगी, जीतेगा इंडिया, जुड़ेगा भारत। उन्होंने कहा कि दो सरकारें गंवाने के बाद उत्तर भारत में कांग्रेस अभी भी एक बड़ी पॉलिटिकल फोर्स है। कल के नतीजों में कांग्रेस ने 40.7 फीसदी वोट शेयर के साथ 170 विधायक विधानसभाओं में भेजे हैं, ये परफ़ॉर्मेंस तब है जब बीजेपी अपने सांप्रदायिक एजेंडे, ईडी, नफ़रती मीडिया, चुनाव आयोग और कॉर्पोरेट ताकत के साथ चुनाव में गई।

वर्मा ने कहा कि 2024 के लिए 24 घंटे मेहनत करनी होंगी तथा चुनाव प्रबंधन पर ध्यान देना होगा। जनता भी कांग्रेस के साथ है चुनाव प्रबंधन आवश्यक है एक-एक नेता पर भरोसा करने की बजाय पार्टी सामूहिक तौर पर एक-एक सीट पर मेहनत करे। हम निश्चित रूप से जीतेंगे क्योंकि देश परेशान है परिवर्तन चाहता है, संविधान का राज चाहता है। चुनाव प्रबंधन आवश्यक है। उन्होंने कहा की भले ही आज नफरत के बाजार में जनता को धर्म की अफीम चटा दी गई हो ऐसे समय में कांग्रेस की जिम्मेदारी बढ़ जाती है क्योंकि कांग्रेस की जवाबदेही जनता के प्रति है। कांग्रेस किसी भी परिस्थिति में, हर तरह के असमानता, अत्याचार, सांप्रदायिकता, भारत देश और समाज के खिलाफ साजिश करने वालों के विरोध में खड़ी थी और खड़ी रहेगी। उन्होंने कहा कि देश व प्रदेशों की प्रगति, जन कल्याण एवं सिद्धांतों की लड़ाई आगे भी जारी रहेगी। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कड़ी मेहनत के साथ चुनाव लड़ा इसलिए सभी का आभार।

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