प्रदेश में 12 स्टेट यूनिवर्सिटी के अलावा 24 निजी विश्वविद्यालय संचालित है जिनके पास अपनी खुद की जमीन ही नहीं है, है तो वह बहुत ही कम है,बल्कि ये विश्वविद्यालय सरकार से या लोगों से लीज पर जमीन लेकर अपना विश्वविद्यालय चला रहे है

कैथल, 04/12/2023 – जन शिक्षा अधिकार मंच कैथल द्वारा जारी धरना आज 434 वें दिन भी जारी रहा, धरने की अध्यक्षता किसान नेता सुखपाल मलिक खुराना ने की, उन्होंने कहा कि एक सोची समझी साजिश के तहत उच्च शिक्षा का निजीकरण किया जा रहा है ,अब हरियाणा में निजी लोगों या संस्थाओं से जमीन पट्टे पर लेकर खोले निजी विश्वविद्यालय जा सकेंगे, निजी विश्वविद्यालयों को यह राहत हरियाणा सरकार ने नियमों में बदलाव करके दी है, जिससे पता चलता है कि मौजूदा सरकार पुंजीपतियों के मुनाफे में और अधिक वृद्धि करना चाहती है। प्रदेश में 12 स्टेट यूनिवर्सिटी के अलावा 24 निजी विश्वविद्यालय संचालित है जिनके पास अपनी खुद की जमीन ही नहीं है, है तो वह बहुत ही कम है,बल्कि ये विश्वविद्यालय सरकार से या लोगों से लीज पर जमीन लेकर अपना विश्वविद्यालय चला रहे है।

सर्व कर्मचारी संघ के वरिष्ठ नेता ओमपाल भाल ने कहा कि हरियाणा सरकार ने कहा है कि 2816 स्कूलों में तीसरी श्रेणी की बाल वाटिकाएं खुलेगी, इन बाल वाटिकाओं के बारे में अभी तक भी यह स्पष्ट नहीं है कि ये बाल वाटिकाएं सरकारी नियंत्रण में रहेंगी या किसी एनजीओ द्वारा संचालित होगी, इसके बारे में भी हरियाणा सरकार को स्पष्ट करना चाहिए।

जन शिक्षा अधिकार मंच के संयोजक जयप्रकाश शास्त्री ने कहा कि अब नई शिक्षा नीति के पहली स्टेज पर फाउंडेशन स्टेज दो भागों में होगी,तीन वर्ष तक के बच्चे आंगनवाड़ी प्री स्कूल में दाखिल होंगे, प्राथमिक स्कूल में कक्षा पहली और दूसरी दो साल अर्थात तीन से आठ साल के बच्चे दाखिल होंगे, दूसरी स्टेज में प्रीप्राइमरी स्टेज कक्षा 3 से 5 , जिसमें 8 वर्ष से 11 वर्ष तक का बच्चा दाखिल होंगा, तीसरी स्टेज मिडिल स्कूल स्टेज होगी, जिसके अंतर्गत कक्षा 6 से 8 होगी तथा इसमें 11 वर्ष से 14 साल तक के बच्चे दाखिल होंगे,चौथी स्टेज सैकेंडरी स्टेज होगी जिसमें कक्षा 9 से कक्षा 12 तक होगी, यह सैकेंडरी स्टेज भी दो भागों में होगी, पहले फेज में कक्षा 9 व कक्षा 10 होगी और दूसरे फेज में कक्षा 11 व कक्षा 12 होगी, जिसमें 14 से 18 वर्ष के बच्चों को दाखिल किया जा सकेगा, इन सबको लागू करने से पूर्व हरियाणा सरकार को इस व्यवस्था को लागू करने के संबंध में विश्लेषणात्मक अध्ययन करना चाहिए और प्रयोगात्मक, अनुसंधानात्मक इन कक्षाओं को देखना चाहिए, लेकिन सरकार की जिद है जल्दी से जल्दी नई शिक्षा नीति को लागू करने की, बिना अनुसंधान और प्रयोग के यह योजना हमारे लिए घातक भी सिद्ध हो सकती है।

उदाहरण के तौर पर पहले से ही चल रहे स्कूलों को माडल संस्कृति स्कूलों का दर्जा तो दे दिया गया लेकिन अभी तक वहां पर पूरे संसाधन नहीं है, संसाधनों की तो छोड़िए अभी तक इन माडल संस्कृति स्कूलों में शिक्षक भी उपलब्ध नहीं है। ऐसी ही हालत इस योजना की होने वाली है।जन शिक्षा अधिकार मंच कैथल सरकार की इन जनविरोधी नीतियों के विरोध में 9 दिसंबर को कैथल जिला सचिवालय में प्रदर्शन करेगा, जिसमें शिक्षक संगठनों सहित, मजदूर और किसानों के संगठन भी शामिल होंगे।

धरने पर आज सतपाल फौजी, जयपाल, हजूर सिंह, सतबीर, कलीराम, रणधीर ढुंढ़वा, मामचंद खेड़ी सिम्बल,रामकला, रामदिया,भीम सिंह, रामेश्वर आदि भी उपस्थित थे।

error: Content is protected !!