घटिया कीटनाशक, निम्न क्वालिटी के बीजों के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार जिम्मेदार चंडीगढ़, 02 दिसंबर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य और हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश में नरमा कपास के उचित भाव न मिलने के कारण किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। एक ओर जहां गुलाबी सुंडी से फसल बर्बाद हुई तो दूसरी ओर हालात ये है कि मंडी में नरमा का भाव 4000 से 5000 के बीच है बावजूद इसके इस भाव में भी आढ़ती खरीदने को तैयार नहीं है। प्रदेश की गठबंधन सरकार को नरमा कपास की खरीद सरकारी एजेंसी से तब तक करनी चाहिए जब तक किसान के पास नरमा कपास है। मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि हरियाणा को उत्तर भारत में प्रमुख कपास उत्पादक प्रदेश में गिना जाता है। इस प्रदेश के हिसार, सिरसा, फतेहाबाद, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और भिवानी जिले शामिल है जहां पर हरियाणा का लगभग 70 फीसदी कपास का उत्पादन होता है। इस बार नरमा कपास की 70 प्रतिशत फसल पर गुलाबी सुंडी का हमला हुआ। जिससे किसानों की उम्मीदों पर पानी ही फिर गया। नरमा की फसल तैयार करने के लिए किसानों को कड़ी मेहनत और भारी भरकम खर्च करना पड़ा बावजूद इसके कपास का उचित भाव नहीं मिलने के कारण किसान ठगा सा महसूस कर रहा हैं। इस समय कहने को बाजार में नरमा का भाव 4000 से 5000 के बीच है पर इस भाव में भी आढ़ती खरीदने को तैयार नहीं हो रहा है क्योंकि सरकारी खरीद बंद हो चुकी है और प्राइवेट एजेंसी मनमानी कर रही है। सरकार द्वारा एमएसपी 6380 रुपए निर्धारित किया हुआ है। किसानों को नरमा के उत्पादन पर आए खर्च के मुताबिक यह भाव कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि गुलाबी सुंडी का प्रकोप प्राकृतिक प्रकोप है बावजूद इसके नरमा की नष्ट हुई फसल का सरकार बीमा भी देने को तैयार नहीं है। ऐसे में किसानों पर पड़ी दोहरी मार्ग को लेकर किसान संगठन आए दिन धरना प्रदर्शन कर रहे हैं इसके बावजूद कपास की खरीद सरकारी समर्थन मूल्य पर नहीं हो रही है। पीड़ित किसानों का कहना है कि उन्होंने कपास की फसल को तैयार करने के लिए खाद बीज व कीटनाशकों इत्यादि का इस्तेमाल किया है जो की घटिया क्वालिटी के होने के कारण उन पर दोहरी मार पड़ी है। उन्होंने कहा कि किसानों को बचाने के लिए सरकार को आगे आना चाहिए तथा समर्थन मूल्य पर कपास की खरीद करें। किसानों का आरोप है की घटिया कीटनाशक व निम्न क्वालिटी के बीजों के कारण नरमा की फसल नष्ट हुई है। जिसकी केंद्र व प्रदेश सरकार जिम्मेदार है। किसानों का कहना है कि नरमा के बीजों का उत्पादन करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि वह घटिया स्तर के बीजों की सप्लाई न करें। Post navigation भाजपा को अपनी राजनीतिक सभाएं, जनसम्पर्क के लिए भी सरकारी मशीनरी पर निर्भर रहना पड़ रहा : विद्रोही विकसित भारत संकल्प यात्रा के नाम पर भाजपा कर रही सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग : लाल बहादुर खोवाल