भारत सरकार ‘स्वच्छ भारत मिशन’ का नारा देते हुए हर घर में शौचालय उपलब्ध करवाने का दावा कर रही है वहीं दूसरी तरफ लड़कियों के 538 स्कूलों में शौचालय ही नहीं हैं शिक्षा विभाग द्वारा दिये गए एफिडेविट के मुताबिक हरियाणा के 131 सरकारी स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा नहीं है, 236 स्कूलों में बिजली कनेक्शन ही नहीं है, 538 स्कूलों में लड़कियों के शौचालय नहीं है और 1047 स्कूलों में लड़कों के भी शौचालय नहीं है। 25/11/2023 – जन शिक्षा अधिकार मंच कैथल द्वारा जारी धरना आज 425 वें दिन भी जारी रहा, धरने की अध्यक्षता मामचंद जांगड़ा ने की, उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों की खस्ता हालत को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को कड़ी फटकार लगाई है, 5 लाख का जुर्माना भी लगाया और मुख्य सचिव को कोर्ट के सामने व्यक्तिगत तौर पर हाजिर होने के आदेश दिए है, यह हरियाणा सरकार का शिक्षा के प्रति लापरवाही का सबूत है। जन शिक्षा अधिकार मंच कैथल के संयोजक जयप्रकाश शास्त्री ने कहा कि पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के जज जस्टिस विनोद भारद्वाज ने बृहस्पतिवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान हरियाणा के शिक्षा विभाग को कड़ी फटकार लगाते हुए 5 लाख का जुर्माना भी लगाया है सरकारी स्कूल में मूलभूत सुविधाओं की कमी को लेकर कैथल जिले के बालू स्कूल के छात्रों ने अपने वकील प्रदीप कुमार रापड़िया के माध्यम से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार के शिक्षा विभाग से एफिडेविट के माध्यम से स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की कमी के बारे में विस्तार से जानकारी मांगी थी ,जिसके जवाब में जो आंकड़े व तथ्य सामने आये, वो चौंकाने वाले है। शिक्षा विभाग द्वारा दिये गए एफिडेविट के मुताबिक हरियाणा के 131 सरकारी स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा नहीं है, 236 स्कूलों में बिजली कनेक्शन ही नहीं है, 538 स्कूलों में लड़कियों के शौचालय नहीं है और 1047 स्कूलों में लड़कों के भी शौचालय नहीं है। इसके अलावा कोर्ट को यह भी बताया गया कि छात्रों के लिए 8240 क्लासरूम की भी जरूरत है। याचिकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील प्रदीप रापड़िया और रिपु दमन बूरा ने हाई कोर्ट को बताया कि एक तरफ तो बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और खुले में शोच मुक्त भारत जैसे नारे दिए जा रहे है और दूसरी तरफ स्कूलों में शौचालय व पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है और इन सुविधाओं के लिए स्कूली बच्चों को मजबूरन हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता है। हाई कोर्ट में दिए गए ऐफिडेविट के मुताबिक जहां हरियाणा के सरकारी स्कूलों में शौचालय, पीने के पानी, बिजली कनेक्शन जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी है वहीं शिक्षा विभाग ने 10,675.99 करोड़ रूपये की ग्रांट को बिना उपयोग किये सरकार को वापिस भेज दिया है, जन शिक्षा अधिकार मंच कैथल के सहसंयोजक बलबीर सिंह ने कहा कि सरकार के पास शिक्षा के लिए निर्धारित बजट को सही तरीके से उपयोग करने की भी कोई ठोस योजना नहीं है। हाई कोर्ट ने कहा है कि हरियाणा सरकार कोर्ट के सामने सिर्फ आंकड़ों का खेल खेल रही है और धरातल पर कोई काम नहीं कर रही। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि एक तरफ भारत सरकार ‘स्वच्छ भारत मिशन’ का नारा देते हुए हर घर में शौचालय उपलब्ध करवाने का दावा कर रही है वहीं दूसरी तरफ लड़कियों के 538 स्कूलों में शौचालय ही नहीं हैं और दिन प्रतिदिन स्कूली छात्राओं के शोषण के मामले सामने आ रहे हैं । जन शिक्षा अधिकार मंच कैथल के प्रैस प्रवक्ता सुरेश द्रविड़ ने कहा कि हरियाणा सरकार की स्कूली बच्चों के हितों के प्रति संवेदनहीनता व एफिडेविट के चौंकाने वाले आंकड़ों की गंभीरता को देखते हुए हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग पर 5 लाख रुपयों का जुर्माना लगाते हुए उनसे एक हफ्ते के अंदर सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की पूर्ती के लिए समय सीमाबद्ध योजना पेश करने के आदेश दिए हैं और हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव व स्कूली शिक्षा निदेशक को 15 दिसम्बर को व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट के सामने हाजिर होने के आदेश दिए हैं । रिटायर्ड कर्मचारी संघ के जिला प्रधान रमेश हरित ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जन शिक्षा अधिकार मंच कैथल शिक्षा के मुद्दों को लेकर पिछले 425 दिनों से आंदोलनरत है लेकिन मौजूदा सरकार ने अभी तक भी बातचीत का कोई बुलावा नहीं भेजा है, यह लोकतांत्रिक व्यवस्था पर बड़ा प्रश्नचिन्ह है। नागरिक अधिकार मंच कैथल के संयोजक सतपाल आंनद ने कहा कि हरियाणा सरकार शिक्षा के सभी व्यवस्थापन के लिए आवाज उठाने पर, निजीकरण का विरोध करने पर तथा संविधान के पक्ष में आवाज उठाने पर शिक्षक नेता सुरेश द्रविड़ पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कर देती है, शिक्षा की बेहतर व्यवस्था की मांग करना क्या राजद्रोह है ? एक सुनियोजित तरीके से शिक्षक नेता सुरेश द्रविड़ के संबोधन का वीडियो वायरल किया गया और उसमें से कांट छांट करके निजीकरण के विरोध के साथ साथ सरकार का विरोध दिखाया गया है, उसमें से शिक्षा संबंधी मुद्दों का प्रबोधन जानबूझकर काट दिया गया है, जिससे वक्ता सुरेश द्रविड़ की बात स्पष्ट नहीं होती है और ना ही उनके द्वारा कही गई बात का संदेश स्पष्ट होता है लेकिन इसके बावजूद शिक्षक सुरेश द्रविड़ के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई है,जो कि बेहद निंदनीय और चिंताजनक पहलू है। अखिल भारतीय किसान सभा के जिला प्रधान महेंद्र सिंह ने कहा कि 9 दिसंबर का कैथल जिला सचिवालय में प्रदर्शन ऐतिहासिक होगा, इसमें सभी संगठनों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। धरने पर आज बलवंत रेतवाल, रामचंद्र मलिक, रणधीर ढुंढ़वा, हजूर सिंह, सतबीर प्यौदा, वीरभान हाबड़ी, रामदिया, भीम सिंह तितरम, रामेश्वर आदि भी उपस्थित थे। Post navigation संवैधानिक बंधन,दायित्व और नैतिकता मौजूदा सरकार के लिए कोई मायने नहीं रखती …….. हरियाणा सरकार द्वारा घोषित टीचर तबादला नीति टीचर और बच्चों के खिलाफ है …..