बैंकों से कर्जा लेने वाले किसानों की संख्या में एक साल के अंदर पांच लाख की बढ़ोतरी
किसान की आमदनी बढ़ाना व स्वामीनाथन की रिपोर्ट लागू करना निकला जुमला

चंडीगढ़, 19 नवंबर। अखिल भारतीय कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य और हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा है कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की गलत नीतियों के कारण प्रदेश का किसान लगातार कर्जवान हो रहा है। अपनी खेती-किसानी को जिंदा रखने के लिए बार-बार बैंकों से ऋण लेने पर मजबूर है। एक ही साल में बैंकों से कर्जा लेकर खेती करने वाले किसानों की संख्या में प्रदेश भर में 05 लाख का इजाफा हुआ है। इससे पता चलता है कि किसान की आमदनी बढ़ाना भाजपा का जुमला ही था।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि खरीफ फसल के लिए किसान क्रेडिट कार्ड से इस बार प्रदेश भर में 11.49 लाख किसानों ने तीन लाख रुपये तक का लोन लिया है, जबकि पिछले साल इस सीजन में 6.58 लाख किसानों ने ही कर्ज लिया था। मौसम की मार से फसल खराब होने, बाजार में अपेक्षाकृत भाव कम मिलने और कृषि लागत बढ़ने से बार-बार कर्ज लेने की नौबत आ रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में सबसे अधिक फसली ऋण भिवानी जिले के किसानों ने लिया है, जो प्रदेश के कृषि मंत्री का गृह जिला है। इससे साबित होता है कि किसानों को फसल तैयार करने में बार-बार परेशानियों का सामना करना पड़ता है। खाद-बीज तक के रुपये उनके पास फसल बेचने के बाद नहीं बच रहे।

कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश का किसान इस समय पूरी तरह बैंकों के ऋण के चक्रव्यूह में फंस चुका है। फसल बेचने से मिलने वाली राशि बैंक का ऋण चुकाने में खर्च हो रही है। अगली फसल की बुआई के लिए उसे दोबारा से बैंक से ऋण लेना पड़ता है। कृषि घाटे का सौदा होने की वजह से उसके पास खाद, बीज तक के रुपये फसल बेचने के बाद नहीं बच रहे। किसी तरह खेती को जिंदा रखने के लिए वह बैंकों की कृपा के भरोसे है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसानों पर बढ़ते कर्ज पर भाजपाइयों की चुप्पी बताती है कि आमदनी बढ़ाने व स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने के नाम पर उन्होंने किसानों को झांसे में लिया था। चुनाव के दौरान किए वादे आज तक पूरे नहीं किए गए। किसानों के कल्याण की तरफ ध्यान देने की बजाए उनकी जमीनों को छीनने के लिए तीन काले कृषि कानून लाए गए। लेकिन, अब इनकी चाल को किसान समझ चुके हैं और आगामी चुनाव में भाजपा को वोट की चोट से जवाब देंगे।