कैथल, 17/11/2023 – जन शिक्षा अधिकार मंच कैथल द्वारा जारी धरना आज 417 वें दिन भी जारी रहा, धरने की अध्यक्षता सेवानिवृत्त मुख्याध्यापक रामशरण राविश ने की, रामशरण राविश ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 देश के गरीब आदमियों के बच्चों को शिक्षा से वंचित करती है और अमिर लोगों के बच्चों की शिक्षा को विशेष महत्व देती है। यह नीति शिक्षा के निजीकरण को प्रोत्साहित करती है और शिक्षा को व्यापार बनाने की तरफ ले जाती है। यह नीति स्थानीय और प्रांतीय अधिकारों को भी कमजोर बनाती है और विशेष विचारधारा के प्रभाव को भी तरह तरह से बढ़ाती है। यह नीति शिक्षा के व्यापारीकरण, साम्प्रदायिककरण और केंद्रीयकरण को बढ़ावा देने वाली है। हम चाहते है कि गुणवत्तापूर्ण, समतामूलक और वैज्ञानिक सोच बढ़ाने वाली शिक्षा हर बच्चे को मिलें, इसके लिए यह बेहद जरूरी है कि सभी बच्चों को एक जैसे स्कूलों में निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध हो तथा उच्च शिक्षा के लिए छात्रावास,वजिफे आदि के माध्यम से सस्ता किया जाए ताकि शिक्षा सभी बच्चों की पहुंच में हो। सीटू नेता नरेश रोहेड़ा ने कहा कि सरकार को शिक्षा के सार्वभौमिकरण के लिए पर्याप्त धन खर्च करना चाहिए बल्कि इसको खर्च नहीं देश के भविष्य के लिए निवेश माना जाए। इसलिए राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत और केंद्रीय बजट का 10 प्रतिशत और राज्य के बजट का कम से कम 30 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च किया जाए,यह कानूनन भी बाध्यकारी हो। संविधान में स्वीकृत सभी 22 भाषाओं को समान महत्व दिया गया है, इसलिए किसी पर भी कोई भाषा थोपी ना जाए। छात्रों को स्वेच्छा से अन्य भाषाओं को सीखने के लिए प्रेरित करना चाहिए, प्राथमिक शिक्षा का माध्यम अनिवार्यतः मातृभाषा हो। रिटायर्ड कर्मचारी नेता एवं मक्कम की केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य रामदास सौदा ने कहा कि शैक्षिक योजना इस तरह से बनाई जानी चाहिए कि शिक्षा पूर्ण होने पर रोजगार की गारंटी हो। सरकार उधोग, वाणिज्य, सेवाओं आदि क्षेत्रों से डाटा एकत्रित करती रहे और उसी के आधार पर नौवीं कक्षा से उच्च कक्षा तक सभी विधार्थियों की योग्यता और रूचि के अनुसार रोजगार प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन की उचित व्यवस्था हो। जन शिक्षा अधिकार मंच कैथल के संयोजक जयप्रकाश शास्त्री ने कहा कि चिराग योजना के दाखिलों के लिए सरकार द्वारा बार बार विज्ञापन दिए जा रहे है लेकिन इसके बावजूद अभी भी 18 जिलों में 3155 सीटें खाली है, कैथल जिले में भी प्राईवेट स्कूलों में लगभग 260 सीटें खाली है, चिराग योजना के तहत खाली सीटों के रहने से सिद्ध होता है कि अब जनता जागरूक हो चुकी है, वह सरकारों द्वारा दिए जा रहे लालीपाप में फंसने वाली नहीं है। जन शिक्षा अधिकार मंच के सहसंयोजक बलबीर सिंह ने कहा कि चिराग योजना के प्रति जनता को जागरूक करने में जन शिक्षा अधिकार मंच के साथियों का बहुत बड़ा योगदान है,जन शिक्षा अधिकार मंच ने प्रदेश में ही नहीं वल्कि दूसरे राज्यों में भी इस योजना में छिपे षड़यंत्र के प्रति लोगों को जागरूक किया है। लोग अब समझने लगे हैं कि चिराग योजना केवल मात्र छलावा है क्योंकि इस योजना की हालत भी जीयो की सिम तथा गैस सब्सिडी की तरह होने वाली है। जनता बार बार सरकार के छलावे में आने वाली नहीं है। सर्व कर्मचारी संघ के जिला सचिव रामपाल शर्मा ने कहा कि हरियाणा सरकार को सुरेश द्रविड़ के खिलाफ दर्ज एफआईआर को तुरंत रद्द कर देना चाहिए, क्योंकि चिराग योजना का विरोध, निजीकरण का विरोध समाज और देश हित में है,शिक्षक नेता सुरेश द्रविड़ ने संविधान के पक्ष में बात करके तथा निजीकरण का विरोध करके कोई अपराध नहीं किया है, कैथल पुलिस ने सुरेश द्रविड़ पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज करके लोकतांत्रिक मर्यादाओं का हनन किया है, लोकतंत्र में जनता की असहमति को सुना जाना चाहिए, उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि जन शिक्षा अधिकार मंच कैथल 9 दिसंबर को विशाल प्रदर्शन करेगा , जिसकी जिम्मेदारी हरियाणा सरकार की होगी,अचंभित करने वाली बात तो यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई 2022 को राज्यों तथा न्यायलयों को निर्देशित और आदेशित किया था कि कोई भी राज्य सरकार राजद्रोह में मुकदमा दर्ज न करें और जो पहले से ही दर्ज है उनमें जमानत दे दी जाए लेकिन हरियाणा सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए शिक्षक नेता सुरेश द्रविड़ पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है जो कि बेहद निंदनीय है, जन शिक्षा अधिकार मंच कैथल का पड़ाव लगातार जारी रहेगा। धरने पर आज हजूर सिंह,बसाऊ राम, वीरभान हाबड़ी, संजीव मुंदड़ी,मंगता पाई, रणधीर ढुंढ़वा, बलवंत रेतवाल, मामचंद खेड़ी सिम्बल,भीम सिंह, रामदिया, अशोक शर्मा, इंद्र सिंह आदि भी उपस्थित थे। Post navigation हरियाणा सरकार की एक बार फिर चिराग योजना के माध्यम से दाखिलों की घोषणा की कड़ी निन्दा ….. सरकारी स्कूलों में अध्यापकों से गैर शैक्षणिक कार्य लेना बंद करवाया जाए