पवन कुमार बंसल गुरुग्राम – यह रोंगटे खड़े करने वाली दर्दनाक कहानी बिहार के जितेंदर चौबे की ही जो चौबीस वर्ष पूर्व रोजगार की तलाश में गुरग्राम आया। पांच वर्ष तक रेहड़ी लगाई और फिर कैब ड्राइवर बना। अपने सीमित साधन से दोनों बच्चो को अच्छे स्कूल में दाखिला दिलवाया। फिर एक दिन उस पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ा। उसके पंद्रह वर्षीय बेटे अमित चौबे को एक तेज चल रही मारुती कार ने कुचल कर मार दिया और मालिक मोके से फरार हो गया। आठ वर्ष तक जतिंदर चौबे अपनी नौकरी छोड़ बेटे को न्याय दिलवाने के लिए पुलिस के पास फरियाद करता रहा। यहाँ तक की गुरुग्राम के पुलिस कमिश्नर को भी सारे सबूत देकर न्याय की गुहार कई लेकिन इस वी आई पी शहर में शायद पुलिस कमिश्नर के पास एक गरीब फरियादी की फरियाद सुनने का समय नहीं होता। अपना धंधा तो छूटा और बेटे के वियोग में माँ संध्या चौबे को दिमागी बीमारी हो गयी और उस के इलाक़ के लिए काफी पैसा खर्च हो गया। डॉक्टरों ने कह दिया की यदि जिन्दा रहना है तो सारे गम भूल जाओ लेकिन माँ अपने जवान बेटे का गम कैसे भूल सकती थी। और उस पर की पुलिस उसे तमाम सबूत देने के बावजूद भी न्याय देने की बजाए केस को कमजोर करती रही।लेकिन जितेंद्र चौबे ने भी ठान लिए था की बेशक जान चली जाये लेकिन वो बेटे को न्याय दिला कर रहेगा। नो वर्ष पूर्व स्कूल से घर आते एक कार ने उसे कुचल कर मार दिया। और कार मालिक वहा से भाग गया। संयोग से अमित के चाचा भी वाहा से जा रहे थे तो उन्होंने कार के आखिर चार नंबर और रंग नोट कर लिए और पुलिस में रिपोर्ट दर्ज की।कार का टुटा हुआ साइड मिरर भी पुलिस को दिया लेकिन उसे पुलिस ने लेने से मना कर दिया। मज़बूरी में जितेंद्र चौबे खुद वकील बना और केस की पैरवी की। पुलिस ने केस क्लोज कर दिया और उसे जानकरी भी नहीं दी।वो मानेसर में मारुति प्लांट में गया और काफी मेहनत से उसने कार के मालिक का पता लगाया ,लिया और पुलिस को बता दिया लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। वकीलों की फेस पर और पत्नी की बीमारी पर लाखों रुपया खर्च अलग से।आखिर अदालत ने केस दोबारा खोलने का आदेश दिया और फिर तुरंत गुरुग्राम पुलिस ने कार भी बरामद कर ली और कार मालिक को भी गिरफ्तार कर लिया। संध्या ने सुबकते हुए ” गुस्ताखी माफ़ हरियाणा ” को बताया की जो उनके साथ हुआ वो किसी के भी साथ न हो। अपना गम भुलाने के लिए उन्होंने अपने बड़े बेटे अंकित की शादी की। अब संध्या अपनी तीन महीने की पोती अंशिका को गोद में लेकर सारे गम भुलाने की कोशिश करती है लेकिन जवान बेटे की मौत और फिर पुलिस का रवैया कोई कैसे भूल सकती हैं lमनोहर लाल जी गुरुग्राम में ही है। क्या वे पुलिस कमिश्नर को इस मामले में दोषी पुलिस वालों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने को कहेंगे ताकि आगे किसी और को यह गम ने झेलना पड़े।– Post navigation बस में आग से 02 महिलाओं की मौत व 13 लोग घायल सरस आजीविका मेला- 2023 ……धनतेरस के मौके पर आज मेले मे सभी सामानों पर दस से बीस प्रतिशत की छूट