नोटबंदी के सात साल पूरे होने पर केंद्र सरकार के फैसले का लाल बहादुर खोवाल ने किया विश्लेषण
1680 करोड़ नोट के घोटाले में केंद्र सरकार ने साधी चुप्पी : लाल बहादुर खोवाल
नोटबंदी से आतंकवाद व काले धन पर अंकुश लगने के दावे खोखले साबित हुए : लाल बहादुर खोवाल

हिसार : नोटबंदी के सात साल पूरे होने पर हरियाणा कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने कहा कि नोटबंदी करते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो बड़े-बड़े दावे किए थे वे सभी खोखले साबित हुए हैं। उन्होंने कहा कि नोटबंदी से न केवल देश की अर्थव्यवस्था को भारी क्षति पहुंची है बल्कि आम जनता अब भी नोटबंदी की मार से उभर नहीं पाई है। एडवोकेट खोवाल ने कहा कि ऐसा भी खुलासा हो चुका है कि आरबीआई ने जब 500 व दो हजार रुपये के नोट जारी किए उस दौरान 1680 करोड़ नोट का कोई हिसाब आरबीआई के पास नहीं है। 1680 करोड़ नोट आखिर कहां गए, इस बारे में भाजपा हमेशा से चुप्पी साधे हुए है। दरअसल यह 1680 करोड़ का सीधा-सीधा घोटाला है। सरकार को इस दिशा में स्पष्टीकरण देना चाहिए।

लाल बहादुर खोवाल ने कहा कि नोटबंदी की घोषणा करते समय केंद्र सरकार ने दावा किया था कि इससे तीन-चार लाख करोड़ का काला धन वापस आ जाएगा लेकिन उस धन का आज तक मूल्यांकन नहीं किया गया है। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुखर होकर कहा था कि नोटंबदी से आतंकवाद पर अंकुश लग जाएगा क्योंकि विदेशी मुल्कों से नकली करंसी भेजकर आतंकवादियों की सहायता की जाती है। नोटबंदी हुए सात साल हो गए लेकिन आतंकवादी घटनाओं में कोई कमी नहीं आई है। इसी भांति भाजपा ने जब दो हजार रुपये का नोट जारी किया था तब मीडिया के माध्यम से दावा किया था इन नोट में ऐसा जीपीएस लगा होगा कि जहां भी काला धन छुपाया जाएगा उसे आसानी से ढूंढा जा सकेगा। खोवाल ने कहा कि बिना सिर-पैर का यह दावा भी खोखला निकला। इसी तरह नोटंबदी के दौरान वापस बैंकों में जमा हुए धन का क्या किया गया, इस बारे में भी केंद्र सरकार ने कभी कोई खुलासा नहीं किया। विश्लेषक तो यहां तक दावा करते हैं कि आरबीआई ने दो हजार रुपये के जितने नोट जारी किए थे, उससे कहीं अधिक धन वापस बैंकों में जमा हो गया लेकिन इस बारे में सरकार ने चुप्पी साध रखी है।

े हरियाणा कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने कहा कि नोटबंदी को देश की भीषण त्रासदी कहा जाए तो गलत नहीं होगा। नोटबंदी के बाद जहां अर्थव्यवस्था को भारी झटका लगा, वहीं आम आदमी का जीना दूभर हो गया। दो हजार के नोट बदलवाने के लिए जनता को कई दिनों तक लाइन मे लगना पड़ा। इस त्रासदी को झेलते हुए कई लोगों की बैंक की लाइन में ही मौत हो गई। खासकर गरीब व मध्यम वर्ग को इस निर्णय से भारी क्षति हुई है और वह अब तक इससे उभर नहीं पाया है।

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