पटौदी नागरिक अस्पताल में 6 घंटे डेड बॉडी करती रही डॉक्टरो का इंतजार  
कौन डॉक्टर ड्यूटी पर और किसी डॉक्टर को चार्ज संभलवाया, बना रहस्य
 सीएमओ डॉक्टर वीरेंद्र यादव के संज्ञान में भी लाया गया मामला 
जवाब देही तय कर जिम्मेदार डॉक्टर को जारी किए गए नोटिस  

 फतह सिंह उजाला                                         

पटौदी 7 नवंबर । अब इसे लापरवाही कहें ! मनमानी ठहराया जाए या फिर मानवीय भूल कहा जाए ! जिस प्रकार के हालात सामने आए उसे देखते हुए लापरवाही ही कहा जा सकता है । सरकारी विभाग और कार्यालयों में अधिकारी या फिर कर्मचारी के द्वारा परिसर से अन्य कहीं जाने पर उसकी जानकारी लिखने के लिए मूवमेंट रजिस्टर भी होता है । सीधे-सीधे बात करते हैं , पटौदी सामान्य नागरिक अस्पताल की ।     

 यहां कौन डॉक्टर ड्यूटी पर है या फिर किस डॉक्टर को चार्ज संभलवाया गया ? यहां अस्पताल परिसर में एक डेड बॉडी के लिए यही रहस्य बना रहा और डॉक्टर के इंतजार में डेड बॉडी लगभग 6 घंटे अस्पताल में ही रही । अब ऐसे यही सोचने वाली बात यह है कि यदि कोई गंभीर रोगी या फिर किसी हादसे का शिकार कोई भी व्यक्ति , डेड बॉडी के स्थान पर होता तो उसका फिर कितना भला या फिर कितना बुरा हो सकता था । यह बेहद गंभीर मामला पटौदी नागरिक अस्पताल के एसएमओ डॉक्टर नीरू यादव के संज्ञान में आने के उपरांत उनके द्वारा इस पूरे प्रकरण से संबंधित डॉक्टरों  को नोटिस जारी करते हुए मामले की जानकारी सीएमओ डॉक्टर वीरेंद्र यादव को भी उपलब्ध करवाई गई है ।  

उपलब्ध जानकारी के मुताबिक पटौदी क्षेत्र के ही गांव मुमताजपुर के रहने वाले पूर्व फौजी सतीश कुमार पुत्र भूप सिंह जो की पटौदी सोसाइटी में बतौर सुरक्षा गार्ड कार्यरत था, के द्वारा अज्ञात कारणों  से आत्महत्या कर ली गई । सतीश कुमार के द्वारा आत्महत्या किए जाने की जानकारी जब उसके जानकारी और परिचितों को मिली तो पुलिस को सूचना दी गई । सूचना के उपरांत पुलिस घटनास्थल पर पहुंची इसके बाद मृतक फौजी की डेड बॉडी को पटौदी नागरिक अस्पताल की इमरजेंसी में लाया गया। इसके बाद डेड बॉडी और साथ में आए परिचितों और जानकारो में इंतजार का सिलसिला आरंभ हो गया । डेड बॉडी के साथ आए ईश्वर पुत्र लाल सिंह के मुताबिक सुबह लगभग 10 बजे डेड बॉडी को अस्पताल इमरजेंसी में लेकर पहुंच गए। लेकिन यहां पर कोई भी जिम्मेदार डॉक्टर नहीं था। जो की आधिकारिक रूप से मृत घोषित करता या फिर पोस्टमार्टम के लिए रेफर किया जाता । डेड बॉडी के साथ आए परिचितों के द्वारा अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए गए ।

आरोप लगाया गया कि कई घंटे बीत जाने पर भी डेड बॉडी को देखने या फिर पोस्टमार्टम के लिए रेफर करने के वास्ते कोई भी डॉक्टर उपलब्ध नहीं था। यहां यह गंभीर सवाल उठाया गया कि यदि एक्सीडेंटल केस होता तो फिर घायल व्यक्ति का क्या होता ?  इतना ही नहीं जिस व्यक्ति को मृत अवस्था में लाया गया, यदि उसमें थोड़ी बहुत जान होती या सांस चल रही होती तो ऐसे में मरना निश्चित था। पोस्टमार्टम के लिए केवल और केवल मृत घोषित ही करना था। लेकिन यहां 2 बजे तक कोई भी जिम्मेदार डॉक्टर उपलब्ध मिला । अब ऐसे में सवाल यह है कि 2 बजे के बाद भी यदि कोई डॉक्टर आता है और औपचारिकताएं पूरी की जाती है तो मृतक का पोस्टमार्टम कब करवाया जाएगा ? बताया गया है कि 2 बजे  डॉक्टर के आने के बाद औपचारिकताएं पूरी कर मृतक की डेड बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए रवाना किया जा सका ।  

 जिम्मेदार डॉक्टरों को नोटिस जारी                                                                                             

इस मामले में पटौदी नागरिक अस्पताल की एसएमओ डॉक्टर नीरू यादव ने दुख और संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि वह मरीजो की जांच कर रही थी । जैसे ही यह मामला उनकी जानकारी में आया उन्होंने ऑन ड्यूटी डॉक्टर के विषय में जानकारी ली । एसएमओ के मुताबिक इमरजेंसी में ऑन ड्यूटी डॉक्टर की सबसे पहले जिम्मेदारी बनती है । यदि वह नहीं है तो फिर उनके स्थान पर कौन डॉक्टर है । यदि दोनों डॉक्टर नहीं है तो फिर आरएमओ की जिम्मेदारी बनती है । इस पूरे प्रकरण को लेकर जिम्मेदार डॉक्टरो को नोटिस जारी किए गए हैं । साथ ही सीएमओ डॉक्टर वीरेंद्र यादव को भी अवगत कर दिया गया है । डॉक्टरो द्वारा जो भी जवाब दिया जाएगा, उस जवाब के मुताबिक ही आगामी कार्रवाई की जाएगी।

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