भाजपा सरकार ने गन्ना के रेट में मामूली वृद्धि कर किसानों के साथ धोखा किया है: अभय सिंह चौटाला

कहा – भाजपा गठबंधन सरकार किसानों को कमजोर करने में लगी है और शूगर मिल मालिकों को फायदा पहुंचाने का काम कर रही है
चीनी उद्योग ऊर्जा आधारित उद्योग है जहां गन्ने की पिराई करने से चीनी के अलावा चार और बाय प्रोडक्ट निकलते हैं जिससे चीनी मिल मालिक मोटा मुनाफा कमाते हैं
गन्ना उत्पादक किसानों को गन्ना की फसल के उत्पादन में खाद, बीज, दवाइयां, डीजल और अन्य चीजों के दाम का जो खर्च आता है वो बहुत अधिक बढ़ गया है
मांग – गन्ना उत्पादन की लागत बढ़ गई है तो गन्ना का रेट भी उसी अनुपात में बढ़ना चाहिए और किसानों को गन्ना का रेट 450 रूपए प्रति क्विंटल के हिसाब से देना चाहिए

चंडीगढ़, 7 नवंबर। इनेलो के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव एवं ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा गन्ने की फसल का रेट मात्र 14 रूपए प्रति क्विंटल बढ़ा कर 386 रूपए प्रति क्विंटल करने को नाकाफी बताते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने एक बार फिर से किसानों के साथ धोखा किया है। पिछले कई सालों से महंगाई लगातार बेतहाशा बढ़ती जा रही है जिसको ध्यान में रखकर गन्ने की फसल का रेट तय किया जाना चाहिए।  

अभय चौटाला ने कहा कि भाजपा गठबंधन सरकार किसानों को कमजोर करने में लगी है और शूगर मिल मालिकों को फायदा पहुंचाने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि चीनी उद्योग ऊर्जा आधारित उद्योग है जिसमें गन्ने को कच्चा माल के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है और गन्ने की पिराई करने से चीनी के अलावा चार और बाय प्रोडक्ट निकलते हैं। पहला, बगास (खोई) निकलता है जो अगले साल चीनी उत्पादन में ही एक फ्यूल के तौर पर काम आता है। दूसरा, प्रेसमड निकलता है जिसमें सल्फर की मात्रा अधिक होने सेे सल्फर की खाद के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। तीसरा मोलासिस (सीरा) निकलता है जो इथनॉल और शराब बनाने के साथ-साथ और भी उद्योगों में इस्तेमाल होता है और चौथा चीनी बनाते समय जो ट्रबाइन चलती है, उससे जो बिजली पैदा होती है वो जरूरत से अधिक पैदा होती है जिसे बेच कर भी शूगर मिल मालिक मोटा मुनाफा कमाते हैं।

उन्होंने कहा कि वहीं दूसरी तरफ गन्ना उत्पादक किसानों को गन्ना की फसल के उत्पादन में खाद, बीज, दवाइयां, डीजल और अन्य चीजों के दाम का जो खर्च आता है वो बहुत अधिक बढ़ गया है। आम उपभोक्ता को भी चीनी महंगी मिल रही है जिससे किसानों के साथ आम जनता को भी लूटा जा रहा है। इस साल सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता 8 प्रतिशत के हिसाब से दिया गया है तो किसानों को गन्ने के रेट में 3.76 प्रतिशत की बढ़ोतरी ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि गन्ना उत्पादन की लागत बढ़ गई है तो गन्ना का रेट भी उसी अनुपात में बढ़ना चाहिए और किसानों को गन्ना का रेट 450 रूपए प्रति क्विंटल के हिसाब से देना चाहिए।

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