भिवानी – भारत के गौरव को देश-देशांतरों में उज्ज्वल करने का स्वामी विवेकानंद जी ने सदा प्रयत्न किए। वर्तमान में भारत के युवा जिस महापुरुष के विचारों को आदर्श मानकर उससे प्रेरित होते हैं, युवाओं के वे मार्गदर्शक और भारतीय गौरव हैं स्वामी विवेकानंद उक्त शब्द विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी हरियाणा प्रांत का तीन दिवसीय युवा प्रेरणा शिविर में अध्यक्षता करने पहुंचे पूर्व शिक्षा एवं पर्यटन मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने कहे! उन्होंने कहा कि रामकृष्ण परमहंस की प्रशंसा सुनकर नरेंद्र उनके पास पहले तो तर्क करने के विचार से ही गए थे किंतु परमहंसजी ने देखते ही पहचान लिया कि ये तो वही शिष्य है जिसका उन्हें कई दिनों से इंतजार है। परमहंसजी की कृपा से इनको आत्म-साक्षात्कार हुआ फलस्वरूप नरेंद्र परमहंसजी के शिष्यों में प्रमुख हो गए। संन्यास लेने के बाद इनका नाम विवेकानंद हुआ। पूर्व मंत्री ने कहा कि 25 वर्ष की अवस्था में नरेंद्र दत्त ने गेरुआ वस्त्र पहन लिए। तत्पश्चात उन्होंने पैदल ही पूरे भारतवर्ष की यात्रा की। सन् 1893 में शिकागो (अमेरिका) में विश्व धर्म परिषद् हो रही थी। स्वामी विवेकानंदजी उसमें भारत के प्रतिनिधि के रूप से पहुंचे। योरप-अमेरिका के लोग उस समय पराधीन भारतवासियों को बहुत हीन दृष्टि से देखते थे। वहां लोगों ने बहुत प्रयत्न किया कि स्वामी विवेकानंद को सर्वधर्म परिषद् में बोलने का समय ही न मिले। एक अमेरिकन प्रोफेसर के प्रयास से उन्हें थोड़ा समय मिला किंतु उनके विचार सुनकर सभी विद्वान चकित हो गए। फिर तो अमेरिका में उनका बहुत स्वागत हुआ। वहां इनके भक्तों का एक बड़ा समुदाय हो गया। तीन वर्ष तक वे अमेरिका रहे और वहां के लोगों को भारतीय तत्वज्ञान की अद्भुत ज्योति प्रदान करते रहे। उन्होंने कहा कि अध्यात्म-विद्या और भारतीय दर्शन के बिना विश्व अनाथ हो जाएगा’ यह स्वामी विवेकानंदजी का दृढ़ विश्वास था। अमेरिका में उन्होंने रामकृष्ण मिशन की अनेक शाखाएं स्थापित कीं। अनेक अमेरिकन विद्वानों ने उनका शिष्यत्व ग्रहण किया। इस अवसर पर दशरथ सिंह चौहान, रीतिक वधवा, संजय सरपंच देवसर, ढिल्लू देवसर, अध्यक्ष नरेंद्र शर्मा, एडवोकेट राकेश शर्मा , सुनील चौहान अभिलाष , पवन कुमार सहित अनेक युवा एवं संस्था के पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित थे Post navigation संगठन की ताकत और कार्यकर्ताओं की मेहनत की बदौलत भाजपा 2024 के चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार : प्रो. रामबिलास शर्मा भूकम्प में मारे गए लोगों की आत्मिक शांति के लिए पांच दिवसीय यज्ञ