·       अग्निवीर योजना देश की फौज को खोखला करने की योजना है – दीपेन्द्र हुड्डा

·       देश के लिए शहीद होने वाले वाले सैनिक की शहादत में फर्क न करे सरकार – दीपेन्द्र हुड्डा

·       सेना में जाने का क्रेज कम हो रहा, बड़ी संख्या में अग्निवीर ट्रेनिंग बीच में ही छोड़ कर जा रहे– दीपेन्द्र हुड्डा

·       फ़ौज में हर साल 6080 हज़ार पक्की भर्तियों की बजाय 10-11 हजार भर्ती होने से फौज कमजोर होगी और बेरोजगारी भी बढ़ेगी, जो देश हित में नहीं – दीपेन्द्र हुड्डा

चंडीगढ़, 4 नवंबर। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि अग्निवीर योजना राष्ट्रहित में नहीं है। सरकार बताए कि फौज में पहले की तरह पक्की भर्तियां क्यों नहीं हो रही है? उन्होंने मांग करी कि सरकार अग्निवीर योजना को खत्म करके सेना में तुरंत पक्की भर्ती शुरू करे और अग्निवीर योजना के तहत भर्ती सभी अग्निवीरों को नियमित सैनिक का दर्जा दे। क्योंकि, ये योजना देश, फौज और युवाओं के हित में ही नहीं है। दीपेन्द्र हुड्डा आज राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ किशनगढ़ (अजमेर) से कांग्रेस प्रत्याशी विकास चौधरी और बड़ी सादड़ी (चित्तौड़गढ़) से कांग्रेस प्रत्याशी बद्रीलाल के नामांकन में शामिल हुए।

इस दौरान चुनावी जनसभाओं को संबोधित करते हुए दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि अग्निवीर सैनिक की शहादत होने पर उन्हें न तो शहीद का दर्जा मिलता है, न पेंशन, न ग्रेच्युटी और उनके आश्रितों को मेडिकल फेसिलिटीज़ व अन्य सुविधाएं भी नहीं मिल रही। फुल पे, बचे हुए सेवा कार्यकाल से लेकर सिर्फ चार साल तक मिलेगी, क्योंकि अग्निवीर की कॉन्ट्रैक्चुअल सेवा सिर्फ चार साल की है। अग्निवीर स्कीम के जरिए बीजेपी सरकार ने देश की सेना को 2 हिस्‍सों में बांटने का काम किया है – नियमित सैनिक और अग्निवीर सैनिक। सरकार शहीद और शहीद में फर्क कर रही है और साथ ही, देश की सेना को कमजोर बना रही है। अग्निवीर योजना देश की फौज को खोखला करने की योजना है। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि हम देश भर में अग्निपथ योजना को समाप्त करने की लड़ाई लड़ेंगे।

दीपेडर हुड्डा ने कहा कि सेना में पक्की भर्तियों की बजाय अग्निपथ योजना और हरियाणा कौशल विभाग के जरिए कच्ची भर्ती इस बात का प्रतीक है कि सरकार कर्मचारियों को पेंशन देने से बचना चाहती है और प्राइवेट सेक्टर को आगे लाकर पक्के सरकारी पदों को समाप्त करना चाहती है। उन्होंने सवाल किया कि देश के लिए शहीद होने वाले नियमित सैनिकों और अग्निवीरों के परिवारों को मिलने वाली सहायता और सम्मान राशि में भेदभाव क्यों किया जा रहा है? सरकार सैनिक बनकर देश सेवा करने के युवाओं के पवित्र सपने का कत्ल कर रही है। नियमित सैनिक की शहादत होने पर शहीद का दर्जा, उनके परिवार को नौकरी में शहीद द्वारा बिताए वर्षों के हिसाब से ग्रैच्युटी, बचे हुए सेवा कार्यकाल से लेकर उस रैंक की रिटायरमेंट उम्र तक मिलता है, पारिवारिक पेंशन, आर्मी बेनेवोलेन्ट फंड और बची हुई छुट्टियों के एवज में पैसा, मेडिकल फैसिलिटी, सीएसडी फैसिलिटी, सभी तरह के मिलिट्री बेनेफिट जो सरकार कभी भी अनाउंस करेगी, वह मिलता है। शहीद के बच्चों के लिए आरक्षित वैकेंसी (शिक्षा व सरकारी नौकरी में), साथ ही बच्चों को सभी प्रकार की छात्रवृत्ति का भी लाभ मिलता है। जबकि अग्निवीरों को इन सभी लाभों से वंचित कर दिया गया है।

सांसद दीपेन्द्र ने कहा कि अग्निवीर सैनिक को भी नियमित सैनिक के बराबर की सुविधाएं मिलनी चाहिए लेकिन अग्निवीर योजना के तहत ऐसा नहीं हो रहा। रेवाड़ी की वीर भूमि से वन रैंक वन पेंशन का नारा लगाने वाली भाजपा दिल्ली की सत्ता पर बैठते ही नो रैंक, नो पेंशन ले आयी। उन्होंने बताया कि 4 साल की सर्विस के दौरान अग्निवीर की तनख्वाह व अलाउंसेस रेगुलर सैनिक से कम हैं और सेवा निधि भी 20 प्रतिशत अधिक काटी जा रही है, ताकि उनको आखिर में चार साल बाद थोड़ा अधिक अमाउंट इकट्ठा करके दिया जा सके। अग्निवीर सैनिक को डियरनैस अलाउंस नहीं मिलेगा, उसकी तनख्वाह में से भी 30 प्रतिशत सेवा निधि के तौर पर काट लिया जाएगा, जो कि चार साल की सर्विस के बाद मिलेगा। इसके अलावा, रिटायरमेंट के बाद ग्रेच्युटी नहीं मिलेगी, मेडिकल फेसिलिटीज़ खुद के लिए या आश्रित पत्नी, बच्चे व माता-पिता को नहीं मिलेगी, पेंशन नहीं मिलेगी, कैंटीन फैसिलिटी नहीं मिलेगी, पूर्व सैनिक की दर्जा भी नहीं मिलेगा, पूर्व सैनिकों व उनके बच्चों के लिए आरक्षित वैकेंसी (शिक्षा व सरकारी नौकरी में) नहीं मिलेगी, साथ ही बच्चों को किसी भी प्रकार की छात्रवृत्ति नहीं मिलेगी, कोई भी मिलिट्री बेनिफिट, जो सरकार कभी भी रेगुलर सैनिकों के लिए अनाउंस करेगी, वह भी नहीं मिलेगा। यही कारण है कि अग्निवीर सैनिक बीच ट्रैनिंग छोड़कर जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हरियाणा के युवाओं के लिए फौज में भर्ती होना गर्व की बात होती है। सेना में देश की 2% आबादी वाले हरियाणा से 10% सैनिक देश सेवा में जाते हैं। जब तक ये योजना लागू नहीं हुई थी, प्रदेश की सड़कों की पटरियों पर, मैदानों में अनेक युवा दौड़, कसरत करते दिखाई देते थे, इस योजना के लागू होने के बाद ऐसा दिखाई देना लगभग बंद हो गया है। अखबारों में छपी खबरें बता रही हैं कि बड़ी संख्या में अग्निवीर अपनी ट्रैनिंग बीच में ही छोड़-छोड़कर वापिस आ रहे हैं। खबरों के मुताबिक पहले बैच में ही 50 से ज्यादा युवा ट्रेनिंग बीच में ही छोड़कर चले गए और दूसरे बैच में भी ऐसे ही हालात हैं।

अभी तक हर साल फ़ौज में 60 से 80 हज़ार पक्की भर्तियाँ होती थीं, अग्निपथ योजना में हर साल करीब 40-50 हज़ार भर्ती होगी, जिसमें से 75% अग्निवीरों को 4 साल बाद निकाल दिया जायेगा इस हिसाब से अगले 15 साल में हिन्दुस्तान की करीब 14 लाख की फ़ौज का संख्याबल घटकर आधे से भी कम रह जायेगा। वहीं, हरियाणा से होनी वाली करीब 5000 पक्की भर्ती अग्निपथ योजना में घटकर सिर्फ 963 रह जायेगी, इसमें भी 4 साल बाद सिर्फ 240 होंगे पक्के, 722 होंगे बाहर। ऐसा करने से दुनिया की सबसे ताकतवर फौज में से एक भारतीय फौज न सिर्फ कमजोर होगी बल्कि बेरोजगारी और ज्यादा बढ़ेगी। फौज का कमजोर होना राष्ट्र हित में नहीं है।

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