कहा-जनता की शिकायतों को सही मानते हुए लोकायुक्त ने चाबुक चलाई तो सरकार जागी
कंपनी को ब्लैक लिस्ट करना और भुगतान रोकना समाधान नहीं, कंपनी के खिलाफ होनी चाहिए एफआईआर
बिना भौतिक सत्यापन के  57.55 करोड़ का भुगतान करने वाले अधिकारियों  पर भी हो कार्रवाई

चंडीगढ़, 26 अक्तूबर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य एवं हरियाणा कांग्रेस कमेटी की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष  कुमारी सैलजा ने कहा कि शहरी स्थानीय निकाय विभाग के प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में प्रॉपर्टी आईडी का सर्वे करने वाली जयपुर की याशी कंपनी को आखिरकार सरकार ने  लोकायुक्त ने चाबुक के चलते ही न केवल ब्लैक लिस्ट किया बल्कि उसका 8.06 करोड़ का भुगतान भी रोक दिया। सैलजा ने कहा कि जब हमने (कुमारी सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला और किरण चौधरी) ये घोटाला सरकार के समक्ष उठाया तो सरकार आंख बंद करके बैठी रही। उन्होंने कहा कि सरकार जो भुगतान कंपनी को कर चुकी है उसे ब्याज सहित वसूला जाए और कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जाए साथ ही बिना भौतिक सत्यापन के कंपनी को 57.55 करोड़ का भुगतान करने वाले अधिकारियों पर भी सख्त से सख्त कार्रवाई कार्रवाई की जाए।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा है कि गठबंधन सरकार ने प्रदेश के 88 शहरों में प्रॉपर्टी आईडी सर्वे का कार्य जयपुर की याशी कंपनी को सौंपा था, कंपनी का सर्वे शुरू ये हर विवादों में आ गया था और लोग शोर मचाने लगे थे पर जब उन तो नगर परिषद, पालिका और निगम अधिकारियों ने एक सुनी और न ही प्रशासन और शासन ने। हजारों शिकायतें सीएम और स्थानीय निकाय मंत्री के पास पहुंची पर कोई कार्रवाई न हुई। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने और रणदीप सिंह सुरजेवाला, किरण चौधरी ने एक मंच से सबूतों के साथ प्रॉपर्टी आईडी में गड़बड़ी का मामला सार्वजनिक किया तो सरकार ने चुप्पी साध ली और इतने बड़े घोटालों की जांच के लिए कोई कदम नहीं उठाया ऐसा लगा कि सरकार और कंपनी के बीच कोई सांठगांठ है और अधिकारियों का कंपनी को आशद मिला हुआ है। उन्होंने कहा कि इस कंपनी द्वारा किए गए सर्वे में 42 लाख 57 हजार 579 त्रुटियां सामने आई जिन्हें लोग ठीक कराने के लिए एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय में चक्कर लगाते रहे, सीएम विंडो पर भी कोई सुनवाई न हुई।

उन्होंने कहा कि हम प्रॉपर्टी आईडी सर्वे में खामियों को लेकर चीखते रहे पर ऐसा लगा कि सरकार ने कानों में तेल डाल लिया है। आखिरकार मामला लोकायुक्त के पास पहुंचा,  निकाय मंत्री और 12 आईएएस  सहित 88 अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दी गई। लोकायुक्त ने  तो सच्चाई जानकर सरकार पर चाबुक चला दी। आनन-फानन में सरकार ने याशी कंपनी पर कार्रवाई करते हुए उसे ब्लैक लिस्ट कर दिया और उसके बकाया 8.06 करोड़ के भुगतान भी रोक लगा दी साथ ही उसका टेंडर निरस्त कर दिया। उन्होंने कहा कि ब्लैक लिस्ट करने से कुछ नहीं होता सरकार कंपनी से भुगतान की गई राशि 57.55 करोड़ ब्याज सहित वसूले और एफआईआर भी दर्ज करवाए। उन्होंने कहा कि बिना भौतिक सत्यापन के कंपनी को भुगतान करने वाले अधिकारियों पर भी सख्त से सख्त कार्रवाई कार्रवाई की जाए।

उन्होंने कहा कि इस घोटाले में कंपनी के साथ साथ जो भी अधिकारी शामिल है उनके नाम सार्वजनिक किए जाए तो जनता भी ऐसे अधिकारियों को पहचान सके जिन्हें सरकार का आशीर्वाद मिला हुआ था। उन्होंने कहा कि इस कंपनी द्वारा किए गए सर्वे में 42 लाख 57 हजार 579 त्रुटियां सामने आई जिन्हें लोग ठीक कराने के लिए एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय में चक्कर लगाते रहे, सीएम विंडो पर भी कोई सुनवाई न हुई। प्रॉपर्टी आईडी सही करवाने के लिए लोग दलालों के हाथों लुटते रहे। इतना ही नहीं जब प्रॉपर्टी आईडी की खामी को ऑनलाइन ठीक करने की बात कही गई तो किसी भी नगर परिषद, पालिका और निगम में सरवर ने दिन में काम नहीं किया, जो सुविधा शुल्क दे देता था उसका काम रात को घर बैठकर कर दिया जाता था। सरकार सब कुछ जानते हुए भी नहीं जागी क्योंकि भ्रष्टाचारियों पर सरकार का वरदहस्त था। सरकार के नौ साल में फसल उत्पादन कम हो गया पर भ्रष्टाचार की कई गुना बढ़ता ही गया और बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार की गलत नीतियों से परेशान ये जनता आने वाले चुनाव में सरकार से बदला लेकर रहेगी।

error: Content is protected !!