:-गेहूं की बिजाई को प्रभावित करने की रची जा रही साजिश :-किसानों को त्रस्त करने के नए फार्मूले खोज रही है सरकार चंडीगढ़। 18 अक्टूबर – अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव एवं पूर्व केंद्रीय कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा के गठबंधन सरकार प्रदेश के किसान की आर्थिक तौर पर कमर तोड़ने का षड्यंत्र रच रही है। डीएपी की जरूरत हर साल होती है, लेकिन रबी फसलों की बुवाई के दौरान बन रही खाद की कमी के लिए सीधे तौर पर प्रदेश सरकार जिम्मेदार है। किसान गेहूं व सरसों की फसल की बुवाई समय पर करके आर्थिक तौर पर मजबूत न बनें, इसलिए खाद की कमी के बहाने उन्हें फसलों की बुवाई से वंचित रखने का षड्यंत्र रचने की शुरुआत हो चुकी है। मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी पूर्ण रूप से किसान विरोधी है। इसलिए ही केंद्र सरकार तीन काले कृषि कानून लेकर आई थी। इन कानूनों के विरोध में किसानों ने धरने-प्रदर्शन शुरू किए और फिर दिल्ली के चारों ओर पक्के मोर्चे लगाए तो मजबूरी में कानून वापस लेने पड़े। सरकार किसानों के समक्ष घुटने टेकने का प्रतिशोध लेने के लिए उन्हें परेशान करने के लिए नए-नए तरीके खोजने में लगी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री सैलजा ने कहा कि किसान आंदोलन की हार के बाद से ही प्रदेश के किसानों को आर्थिक तौर से कमजोर करने की कोशिश की जा रही हैं। कभी फसल खरीद में देरी की जाती है तो कभी फसल बर्बाद होने पर भी मुआवजा नहीं दिया जाता। सैलजा ने बताया कि प्रदेश की गठबंधन सरकार अपने झूठे भाषणों में किसानों की आय दोगुनी करने का वादा 2014 से कर रही है परन्तु धरातल पर किसानों हर दृष्टि से प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अभी दो दिन पहले हुई भारी बारिश के दौरान किसानों की अत्यधिक धान की फसल समय पर खरीद न होने के कारण खराब हुई है जिसके चलते जहाँ किसानों को नुकसान हुआ है वंही सरकार का समर्थन मूल्य और दाना दाना खरीदने वाला दावा झूठा साबित हो रहा है। हालात को लगातार किसानों के खिलाफ बनाने में सरकार पूरा योगदान दे रही है। रबी की फसलों की बुवाई के दौरान बनाया जा रहा खाद का संकट भी इसी षड्यंत्र का हिस्सा है। कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश के किसानों को रबी सीजन की फसलों के लिए हर साल करीब 13 लाख मीट्रिक टन खाद की जरूरत होती है। इसमें से करीब 2.75 लाख मीट्रिक टन डीएपी की हिस्सेदारी रहती है। लेकिन, समय रहते भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने कोई तैयारी नहीं की। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि रबी सीजन की बड़ी फसलों के तौर पर गेहूं व सरसों की गिनती होती है। अगर खाद या पानी न मिलने के कारण इनकी बिजाई समय पर नहीं हो तो फिर इनके उत्पादन में गिरावट आती है। पिछले दो साल से हर फसल की बुवाई के समय किसानों को लाइनों में लगने को मजबूर किया जा रहा है। कुमारी सैलजा ने कहा कि खाद की डिमांड एक दिन में न तो बढ़ी और न ही यह कोई ऐसी डिमांड थी, जिसके बारे में प्रदेश सरकार को पहले से पता न हो। कृषि विभाग के अधिकारियों ने प्रदेश सरकार को समय से इस डिमांड के बारे में अवगत भी करा दिया था, लेकिन सरकार ने जानबूझकर षड्यंत्र के तहत खाद की डिमांड को पूरा नहीं करवाया। इसके पीछे की मंशा यही रही कि किसान फसल की बिजाई न कर सकें और उन्हें आर्थिक रूप से चोट पहुंचाई जा सके। सैलजा ने कहा कि देश व प्रदेश की भाजपा सरकार की दमनकारी नीतियों के कारण किसान,मजदूर, कर्मचारी, व्यापारी सभी दुःखी है तथा मुखर होकर भाजपा की कार्यशैली का विरोध किया जा रहा है जो सरकार को सत्ता से विहीन करने का कारण बनने जा रहा है और जनता इसका प्रत्यक्ष प्रमाण भविष्य में वोट की चोट से देने के लिए तैयार बैठी है। Post navigation मुख्यमंत्री ने ग्रामीण संवर्धन कार्यक्रम के तहत 113 करोड़ से अधिक के 10 नए कार्यों को दी मंजूरी सैकेण्डरी एवं सीनियर सैकण्डरी वार्षिक परीक्षा मार्च-2024 के लिए आवेदन-पत्र 24 अक्टूबर से लाईव