अपने चहेतों को बैकडोर एंट्री देने के लिए कम युवाओं का किया गया चयन- अनुराग ढांडा सीटों को खाली रखने के लिए एचपीएससी ने जानबूझकर बदले नियम : अनुराग ढांडा युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने में लगा एचपीएससी और एचएसएससी : अनुराग ढांडा एचपीएससी पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग के साथ भेदभाव कर रहा है : अनुराग ढांडा क्या खट्टर सरकार के मन मे एससी और ओबीसी वर्ग को लेकर कोई दुर्भावना है? : अनुराग ढांडा क्या इसी दुर्भावना की वजह से भाजपा जातीय जनगणना का भी विरोध करती है? : अनुराग ढांडा चंडीगढ़, 12 अक्टूबर -आम आदमी पार्टी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अनुराग ढांडा ने वीरवार को बयान जारी कर एचपीएससी के रिजल्ट को लेकर खट्टर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि खट्टर सरकार दलित, पिछड़ा और दिव्यांग विरोधी सरकार है। ये पूरा देश जानता है कि खट्टर सरकार आरक्षण के खिलाफ है, पिछड़े वर्गों को आरक्षण खत्म करना चाहती है, लेकिन जिस तरीके से एचपीएससी काम कर रहा है उससे साफ नजर आता है कि खट्टर सरकार की मंशा सही नहीं है। एचपीएससी हेराफेरी सर्विस कमीशन बन गया है। उन्होंने कहा कि अपने चहेतों को बैकडोर एंट्री देने के लिए कम युवाओं का चयन किया गया है। एचपीएससी और एचएसएससी युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने में लगा है। उन्होंने कहा कि जिन 61 पदों के लिए एचपीएससी के द्वारा एचसीएस को सेलेक्ट किया गया, उनमें पिछड़े वर्ग और अति पिछड़े वर्ग के साथ भेदभाव किया गया है। 61 चयनित अभ्यर्थियों में से 18 सीटों पर एससी उम्मीदवार का चयन होना चाहिए था, लेकिन केवल 6 सीटें भरी गई और 12 सीटें खाली रह गई हैं। बीसी उम्मीदवार के 10 सीटें थी इनमें से केवल 3 भरी गई। इसके अलावा बीसी-ए और बीसी-बी को अलग अलग करके देखें तो बीसी-बी की 5 सीटों में से एक भरी गई है और दिव्यांग श्रेणी में 4 सीटों थी जोकि सभी खाली रख ली गई हैं। इसका मतलब खट्टर सरकार ने सुनियोजित तरीके से भर्ती प्रकिया और मान दंडों से छेड़छाड़ करते हुए 100 पद थे लेकिन 61 अभ्यर्थियों को पास किया गया। सीटों को खाली रखने के लिए एचपीएससी ने जानबूझ कर नियमों में बदलाव किया है। उन्होंने कहा कि खट्टर सरकार ने पूरे रिजल्ट को देख भालकर इस तरीके से रिजल्ट जारी किया गया ताकि एससी, बीसी और दिव्यांग उम्मीदवार कम से कम संख्या में सेलेक्ट हों। इन पदों को खाली रख लिया गया यानी जो एचसीएस की सर्विसेज में एससी और बीसी की जितनी संख्या में भागीदारी होनी चाहिए थी उतनी नहीं हो रही है। इसलिए जब भी देश में जाति जनगणना की बात होती है तो केवल भाजपा उसके खिलाफ खड़ी नजर आती है। हरियाणा में तो सीएम खट्टर खुलकर कह चुके हैं कि हरियाणा में जातीय जनगणना नहीं कराएंगे। उन्होंने कहा कि क्या सीएम खट्टर के मन में एससी, ओबीसी और दिव्यांगों के प्रति ऐसी भावना है कि जातीय जनगणना में इनकी जनगणना नहीं कराना चाहते और जहां एचसीएस के लिए पद भरे जा रहे हैं वहां ऐसा भेदभाव देखने को मिलता है। इससे हरियाणा की जनता के सामने सीएम खट्टर का दोगला चेहरा सामने आ गया है, जो वोट तो एससी और ओबीसी वर्ग से खूब मांगते हैं। उन्होंने कहा लेकिन जब इनके बच्चों को एचसीएस में भर्ती करने का समय आता है तो सीएम खट्टर का एचपीएससी यानी हेराफेरी सर्विस कमीशन आयोग उन बच्चों को उन पदों के लिए चयनित नहीं होने देता और दुर्भावना के साथ पूरी प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है। सीएम खट्टर जब 2024 में लोगों के बीच वोट मांगने जाएंगे तो लोग इसका पूरजोर तरीके से जवाब देंगे। Post navigation देखी श्री मनोहरजाल की माया! जो ठाना था वो कर दिखाया! हरियाणा के मुख्य सचिव ने स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में बदलाव के दिए निर्देश