साकार से निराकार तक की यात्रा है का नाम है संगीत

भारत सारथी/ महेश कौशिक

गीत-संगीत प्रकृति का सर्वोत्तम वरदान है जिसके माध्यम से प्रेम और मानवता का संदेश जन-जन तक पहुंचता है। इस धर्म को अनवरत निभा रहा हूं। गीत-संगीत सदैव से अध्यात्म का आधार रहा है। सदियों से इसी माध्यम से हमारे संत और ऋषि- मुनियों ने प्रभु की आराधना कर साक्षात्कार किया।

यह बात विश्व विख्यात गायक पदम श्री डॉ. कैलाश खेर ने रोहतक अस्थल बोहर बाबा मस्तनाथ मेले में अपनी प्रस्तुति के बाद जाट शिक्षण संस्था के पूर्व प्रधान राज सिंह नांदल के निवास पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने बताया कि उनका बचपन से ही लगाव अध्यात्म और गीत-संगीत की ओर रहा है, उन्हें आरंभ से ही संत-महात्माओं का सानिध्य मिलता रहा है।

श्री खेर ने आगे कहा कि हमारा देश सदैव से ही दुनिया को ज्ञान और आध्यात्म के आलोक से प्रकाशमान करता रहा है। हमारे ऋषि-मुनियों और संत-महात्माओं ने अपने ज्ञान, योग और तप से आध्यात्मिक क्षेत्र में विश्व पटल पर भारत का परचम लहराया है। आज भी दुनिया में भारत की ख्याति आध्यात्मिक विश्व गुरु के रूप में है। श्री कैलाश खेर ने कहा कि भगवान शिव की स्तुति उन्हें सर्वाधिक प्रिय है। जब वे शिव बाबा की स्तुति करते हैं तो उनका मन मयूर नाच उठता है। इन गीतों के माध्यम से शिव आराधना करते हुए उन्हें परम अनुभूति का एहसास होता है। उन्होंनें संगीत का साकार से निराकार तक की यात्रा बताते हुए कहा कि सात सुरों के माध्यम से ही साकार और निराकार तक का मार्ग तय करना जीवन का लक्ष्य होता है यही सब वेदों का सार है। राज सिंह नांदल ने श्री कैलाश खेर को पुष्प गुच्छ और शॉल भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर हरियाणा यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट के प्रदेश अध्यक्ष संजय राठी पायलट नीरज सेहरावत, पूर्व सरपंच राजेंद्र सिंह सांगवान, युवा नेता आशीष नांदल, विपिन सहारण, मनजीत फौगाट, आदित्य नांदल सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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