पुलिसकर्मियों को 49400 वेतनमान मिलना चाहिए : हनुमान वर्मा
भाजपा 2014 में चुनाव से पूर्व वादा किया उसे पुरा करे : हनुमान वर्मा 
पुलिस कर्मियों के भत्तो में बढ़ोतरी ऊंट के मुहं में जीरे जैसा – हनुमान वर्मा
भाजपा में घोषणा पत्र एक ढकोसला , घोषणा पत्र को लागू ना कर पुलिसकर्मियों के साथ सरकार कर रही दोगलापन : हनुमान वर्मा 

हिसार । कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हनुमान वर्मा ने प्रेस में जारी बयान में कहा कि पुलिसकर्मियों की मांग जायज है । जब अन्य विभाग के कर्मचारियों को जो वेतन मिलता है उतने का हक पुलिसकर्मियों का भी है । वहीं रूल पुलिसकर्मियों के लिए लागू हो ।‌ 24×7 घंटे ड्यूटी करने के बाद भी पुलिस को इनका हक नहीं दिया जा रहा. 

वर्मा ने कहा जब अन्य विभाग के कर्मचारियों को 08 घन्टें ड्यूटी करनी पड़ती है । पुलिसकर्मियों को भी 08 घन्टें ड्यूटी का प्रावधान निकाले सरकार । एक पुलिसकर्मी का कोई मुकाबला नहीं कर सकता । तपती धूप में , ठिठुरती सर्दी में , आंधी तुफान मे , नेताओं की सिक्योरिटी में , आधी रात को घटना स्थल पर , लाश की रखवाली में , हर पचड़े में खड़ा रहना उनकी ड्यूटी में शामिल होता है । फिर भी अन्य विभागों से वेतन कम ये सरासर नाइंसाफी है । 

वर्मा ने कहा कि पुलिस कर्मियों को 1970 से लागू तीसरे वेतन आयोग में कोई भी लाभ संशोधन नहीं किया गया । पुलिस विभाग में सिपाही से लेकर निरीक्षक के पद तक जब 1970 में तीसरा वेतन आयोग लागू हुआ उससे पहले सिपाही की शुरुआती बेसिक में 125 रुपए , हवलदार की ₹150 , सहायक उप पुलिस निरीक्षक की 160 रुपए , उप निरीक्षक की 250 रुपए ,और निरीक्षक की ₹300 थी । 1970 में लागू तीसरे वेतन आयोग के नोटिफिकेशन जो 1970 में सरकार द्वारा जारी किया गया जिसका पत्र क्रमांक 6529 -FR (PRC)- 70 / 34335 था । सिपाही से निरीक्षक तक के किसी भी पुलिस कर्मचारियों को तीसरे वेतन आयोग का लाभ लागू ही नहीं किया गया । अतः उन्हें दूसरे वेतन आयोग में ही छोड़ दिया गया । इस तरह से पुलिस कर्मियों के साथ बहुत बडा भेदभाव किया गया । इस तरह से पुलिस कर्मचारियों को 20 साल तक एक ही पे स्केल में रखा गया और दूसरे कर्मचारियों को हर 10 साल बाद पे स्केल दिया गया ।

दूसरे कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग का लाभ मिल चुका है । लेकिन पुलिस कर्मचारियों को छटा वेतनमान का पूर्ण लाभ नही दिया जा रहा है । इस तरह से पुलिस कर्मचारियों को आर्थिक व दिमागी तौर पर टॉर्चर किया जा रहा है । यह सब 1861 के उपनिवेशवाद कानून ( अंग्रेजो ) द्वारा लागू कानून के कारण हो रहा है । कानून में रहते पुलिस प्रजातांत्रिक व पब्लिक के प्रति जवाबदेह हो ही नहीं सकती और नहीं जनता के अधिकारों को सुरक्षित रख सकती है । सन 1970 से पहले जो दूसरे विभागों के कर्मचारियों को ₹60 से लेकर ₹120 तक के वेतनमान में थे वह सभी कर्मचारी सातवें वेतनमान आयोग के हिसाब से 33400 और 49400 का वेतनमान ले रहे हैं । जो सिपाही 1970 में 125 रुपए पे स्केल बेसिक पे प्राप्त कर रहा था जो सातवें वेतन आयोग लागू होने के बाद 21700 का वेतनमान बेसिक पे जो मिलना चाहिए था उससे भी आधे से कम है यह सब सरकार के प्रति समर्पित व अनुशासन व 1861 के पुलिस नियम व पुलिस के उच्च अधिकारियों व सरकारों के कारण संभव हो पा रहा है ।

वर्मा ने कहा कि 2014 से पहले बीजेपी पार्टी ने पुलिस में जेल कर्मचारियों से वादा किया था कि हमारी सरकार आने पर पंजाब व चंडीगढ़ के पुलिसकर्मियों के बराबर वेतनमान लागू करेंगे । और उसे समय भाजपा विधायक दल के नेता श्री अनिल विज जो वर्तमान गृहमंत्री है हर विधानसभा में घोषणा पत्र में भी दर्शाया था कि हमारी सरकार बनने पर सेवारत व सेवा निर्मित जेल व पुलिस कर्मचारियों को पंजाब व चंडीगढ़ के बराबर वेतनमान व दूसरी मांगों को प्राथमिकता के आधार पर लागू करेंगे लेकिन आज तक पुलिस व जेल सेवानिवृत्ति सेवा कर्मचारियों की मुख्य मांगों पर कुछ भी नहीं हुआ यहां तक की 2014 से लेकर आज तक पुलिस विभाग के बाबत जो भी घोषणाएं मुख्यमंत्री द्वारा की गई वह भी आज तक लागू होने की गई । इस बात से लगता है कि भाजपा के लिए घोषित पत्र मात्र एक छलावा है। 

हम सरकार से आग्रह करते कि पुलिस कर्मियों की मांगों को तुरंत प्रभाव से लागू करें ।

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