खट्टर सरकार ने दादुपूर नलवी कैनाल नॉर्थ हरियाणा की लाइफ लाइन को खत्म किया : अनुराग ढांडा यमुनानगर, अंबाला और कुरुक्षेत्र के हजारों किसानों को न मुआवजा मिला न जमीन वापस मिली : अनुराग ढांडा खट्टर सरकार ने अगस्त 2018 में जमीन को डी नोटिफाई कर दिया: अनुराग ढांडा यमुनानगर में 450 फीट, अंबाला में 700 फीट व कुरुक्षेत्र में 350 फीट तक नीचे जा चुका वॉटर टेबल: अनुराग ढांडा दादुपूर नलवी कैनाल को चलाते हुए क्षेत्र के वॉटर टेबल को बढ़ाने के लिए काम करे खट्टर सरकार : अनुराग ढांडा चंडीगढ़, 10 अक्टूबर- आम आदमी पार्टी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अनुराग ढांडा ने मंगलवार को हरियाणा के यमुनानगर, कुरुक्षेत्र और अंबाला में घटते पानी स्तर को लेकर प्रेसवार्ता की। इसके पश्चात सैकड़ों लोग भाजपा, जेजेपी और कांग्रेस को छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हुए। बाढ़ड़ा विधानसभा के गांव झोझु कलां से ब्लॉक समिति की वाइस चेयरमैन उषा रानी, गांव मकड़ाना से कपिल फोगाट ने इनेलो छोड़कर, गांव दातोली से धर्मेंद्र पहल कांग्रेस छोड़कर और गांव चिड़ियां से वसंत कुमार भाजपा छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हुए। इसके अलावा कैथल के गांव पाड़ला से हरियाणा विकास पार्टी के पूर्व प्रत्याशी मनीराम, पूर्व सरपंच बलबीर सिंह, कांग्रेस छोड़कर भल्ला राम, शमशेर सिंह, भाजपा छोड़कर थम्बु राम, जैली राम, जजपा छोड़कर रत्न सिंह और गांव बाबा लदाना से कांग्रेस छोड़कर पंडित अमृत शर्मा ने आम आदमी पार्टी ज्वाइन की। अनुराग ढांडा ने कहा कि खट्टर सरकार हरियाणा के किसानों की अनदेखी कर रही है। उन्होंने कहा कि दादुपूर नलवी कैनाल- उत्तरी हरियाणा की लाइफ लाइन एक बहुत ही महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट था। 1985 से 1990 के बीच जब सात वर्षीय योजना बनी थी तब इसकी शुरुआत हुई थी। तब कहा गया था कि इस क्षेत्र में लगातार धान की खेती होने की वजह से वाटर लेवल धीरे धीरे नीचे जाएगा और यदि उस वॉटर लेवल को मेंटेन करना है तो वाटर रिचार्ज होना बहुत जरुरी है। इसलिए नेशनल वाटर कमीशन की परमिशन से एक प्लान बनाया गया दादुपूर नलवी कैनाल, जो यमुनानगर और अंबाला से होते हुए कुरुक्षेत्र के नलवी तक जाती है और इस क्षेत्र में वॉटर को रिचार्ज करने का काम करती है। उन्होंने कहा कि जिस वक्त बाढ़ आती है और यमुना में पानी आता है उस वक्त दो महीने के लिए इस कैनाल में पानी छोड़ा जाता है। जिसकी वजह से इस पूरे क्षेत्र का ग्राउंड वॉटर रिचार्ज हो सके। यदि इसकी पूरी कहानी का पता चलेगा तो समझ आएगा कि सरकार को न किसानों के पानी की जरुरत से मतलब है, न ग्राउंड वॉटर रिचार्ज करने से मतलब है और न किसानों की तकलीफ से मतलब है। उन्होंने कहा कि 1987 में शुरुआत के बाद ये प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया। जिसके बाद 2004 में तीनों जिलों के 2000 किसानों की 926 एकड़ जमीन को एक्वायर करने के लिए नोटिफाई किया गया। इस पूरे प्लान का पहला फेज 2009 में साढ़े 11 किलोमीटर का कंपलीट हुआ। जिसका उद्देश्य वॉटर टेबल को रिचार्ज करना था। सीएजी की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2009 में इस प्लान को पूरा करने के बाद जब पानी छोड़ा गया तो क्षेत्र में 30 फुट तक जल स्तर में वृद्धि हुई, यानी ये एक सफल प्रोजेक्ट था। लेकिन सरकार ने 2000 किसानों को 926 एकड़ का मुआवजा नहीं दिया। जिसके लिए किसान दर दर भटकते रहे। इसके बाद 5 मई 2016 को कोर्ट ने आदेश दिया कि 2887 रुपए परस्कवेयर मीटर यानी सवा करोड़ रुपए प्रति एकड़ मुआवजा किसानों को दिया जाए। लेकिन दुर्भाग्य की बात ये है कि पूरा प्रोजेक्ट सफल होने के बाद भी 2000 किसान अपनी जमीन के मुआवजे के लिए आज भी दर दर भटक रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2018 तक कैनाल में पानी भी छोड़ा गया, वॉटर टेबल रिचार्ज भी हुआ और खेती के लिए किसानों को पानी भी सप्लाई किया गया। इसके बाद सरकार ने बिना कोई कारण बताए अगस्त 2018 में जमीन को डी नोटिफाई कर दिया कि उनको अब ये जमीन नहीं चाहिए। इसका मतलब सरकार अपनी मर्जी चलाएगी, जब मन करेगा नहर बना देंगे और जब मन करेगा किसानों की जमीन वापस कर देंगे। आज उन किसानों की हालत ऐसी है कि न उनके पास अपनी जमीन है और न उसका मुआवजा। उन्होंने कहा कि पिछले 9 साल से भाजपा की सरकार है, सीएम खट्टर कहते हैं कि उनको किसानों की चिंता है, उनको वॉटर टेबल की चिंता है तो फिर एक सफल प्रोजेक्ट को जिसकी शुरुआत चार दशक पहले हुई उसको सरकार अचानक बंद कर देती है। ताकि किसानों को एक हजार करोड़ रुपए देने न पड़ जाएं इसलिए सरकार पूरी जमीन को डीनोटिफाई कर देती है। किसान अपनी जमीन और मुआवजा पाने के लिए धक्के खा रहे हैं। क्या सीएम खट्टर के प्लान ऑफ गवर्नेंस में किसानों की कोई भूमिका नहीं है? क्या किसान सीएम खट्टर की सोच में कहीं नहीं आते? उन्होंने कहा कि जो जमीन सरकार ने 2004 में ली थी और भाजपा सरकार आने के बाद भी ये प्रोजेक्ट चलता रहा उसका मुआवजा देने में सरकार आनाकानी क्यों कर रही है? खट्टर सरकार ने दादुपूर नलवी कैनाल को बंद करके क्या नोर्थ हरियाणा की लाइफलाइन को काट नहीं दिया? उन्होंने कहा कि आज यमुनानगर में 450 फीट पर पानी आता है, अंबाला में वॉटर टेबल 700 फीट और कुरुक्षेत्र में 350 फीट तक नीचे जा चुका है। आने वाले समय में यहां किसानों के लिए खेती करना मुश्किल हो जाएगा और जब ये प्रोजेक्ट किसानों की जरुरत था तो खट्टर सरकार ने इसे खत्म कर दिया, न किसानों को जमीन मिली और न मुआवजा। खट्टर सरकार लगातार किसानों की अनदेखी कर रही है, न किसानों को फसल का सही दाम मिलता है, न मंडियों में व्यवस्था है, न अभी तक बाढ़ पीड़ितों को मुआवजा मिला है और अब खट्टर सरकार ने नोर्थ हरियाणा की लाइफलाइन को ही काट दिया। उन्होंने सीएम खट्टर से किसानों को इस जमीन का ब्याज समेत मुआवजा देने की मांग की और कहा कि दादुपूर नलवी कैनाल को लगातार चलाते हुए इस इलाके के वॉटर टेबल को बढ़ाने के लिए काम करे। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली में यमुना किनारे ऐसे ही प्रोजेक्ट को झील बनाकर वहां पर जल स्तर में वृद्धि की है। इस मौके पर पंचकूला जिला अध्यक्ष रंजीत उप्पल, प्रदेश सचिव यूथ विंग मोना सिवाच, डॉ. अनिल रंगा, करण सिंह धनखड़, अनिल पंजेटा, करणवीर लौट और सुभाष कंबोज भी मौजूद रहे। Post navigation कुरूक्षेत्र में आस्था के नाम पर करोड़ों रुपये का घपला: कुमारी सैलजा NSUI हरियाणा के नवनियुक्त अध्यक्ष अविनाश यादव ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में किया पद ग्रहण