अधर्म के वंश से विनाश ही होगा : डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि
शरीर एवं संसार में क्षण क्षण परिवर्तन होता रहता है

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 6 अक्तूबर : भगवान श्री कृष्ण के श्री मुख से उत्पन्न गीता की जन्मस्थली, तीर्थों की संगम स्थली एवं धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के अखंड गीता पीठ शाश्वत सेवाश्रम में चल रही देश के लिए शहीद हुए सैनिकों को समर्पित पितृ मोचनी श्रीमद भागवत कथा के नौवें दिन व्यासपीठ से महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज ने कहा कि मनुष्य व्यर्थ शरीर एवं संसार की मोह माया में फंसा हुआ है। शरीर तथा संसार में क्षण क्षण परिवर्तन होता रहता है। उन्होंने कहा कि जो परमात्मा एवं धर्म के प्रति समर्पित है वही सत्य जीवन है। शुक्रवार को कथा प्रारम्भ से पूर्व यजमान परिवार ने महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज के सानिध्य में भारत माता एवं व्यासपीठ का पूजन व आरती की।

कथा व्यास डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज ने कहा कि भागवत पुराण की कथा में धर्म एवं अधर्म की चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा जहां कट्टरता है वहां चिंतन नहीं होगा। चिंतन नहीं होगा तो वास्तविकता का ज्ञान नहीं होगा। धर्म के साथ ही तुलनात्मकता एवं संभावनाएं रहती हैं। अधर्म पर चर्चा करते हुए कहा कि झूठ, दंभ एवं माया अधर्म का ही परिवार है।

अहंकारिक प्रयास भी अधर्म ही है। महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज ने कहा कि जहां अधर्म होगा वहां विनाश ही होगा। बिना अधिकार के लेना भी लोभ ही है। इस मौके पर डा. दीपक कौशिक, जय शंकर, कृपाल सिंह, रमेश परुथी, राजेश बिश्नोई, राजेंद्र वानप्रस्थी, राम करण, कुसुम सैनी, कांता देवी, पुष्पा, कविता, सुनीता देवी, कल्पना शर्मा, डा. सुनीता कौशिक, रमेश चंद मिश्रा, शकुंतला शर्मा, राजेन्द्र भारद्वाज, दिनेश रावत, मदन कुमार धीमान, प्रेम नारायण अवस्थी, भूपेंद्र शर्मा, जय भगवान शर्मा, मनमोहन शर्मा, अजय शर्मा, प्रेम नारायण शुक्ला, पूर्ण चंद पांडे एवं यमुना दत्त पांडे इत्यादि भी मौजूद रहे।

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