सकारात्मकता से ही धर्म एवं पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है : डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि
सत्य एवं निष्ठा में ही भागवत प्राप्ति है   

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 7 अक्तूबर : गीता की जन्मस्थली, तीर्थों की संगम स्थली एवं धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के अखंड गीता पीठ शाश्वत सेवाश्रम में चल रही देश के लिए शहीद हुए सैनिकों को समर्पित पितृ मोचनी श्रीमद भागवत कथा के दसवें दिन व्यासपीठ से महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज ने कहा कि मनुष्य की सोच का जीवन में बहुत महत्व है। परमात्मा की प्राप्ति में मन मस्तिष्क में शुद्धता होनी चाहिए। सकारात्मक सोच से  धर्म एवं पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है। शनिवार  को कथा प्रारम्भ से पूर्व यजमान डा. जितेंद्र कुमार, डा. प्रमोद शास्त्री, सुभाष, सुनीता, राजपाल सिंह, सरला रानी, भूल सिंह सूबेदार व कृपाल सिंह ने महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज के सानिध्य में भारत माता एवं व्यासपीठ का पूजन व आरती की।

कथा व्यास महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज ने धर्मनिष्ठ प्रियव्रत के पुत्रों के प्रसंग की कथा में चर्चा की। उन्होंने बताया कि गुणात्मक परिवर्तन पीढ़ी दर पीढ़ी होता रहता है। सत्य निष्ठा से ही भागवत प्राप्ति होती है। ज्ञान प्रकाशित होता है। उन्होंने कथा में ऋषभ देव तथा उनके पुत्र भरत के जीवन प्रसंग पर भी चर्चा की। डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति एवं पुराणों का पूरे विश्व में कहीं कोई मुकाबला नहीं है। भारतवर्ष को मजबूत करने के लिए शिक्षा की आवश्यकता है।

इस मौके पर डा. दीपक कौशिक, जय शंकर, कृपाल सिंह, रमेश परुथी, राजेश बिश्नोई, राजेंद्र वानप्रस्थी, राम करण, कुसुम सैनी, कांता देवी, पुष्पा, कविता, सुनीता देवी, कल्पना शर्मा, डा. सुनीता कौशिक, रमेश चंद मिश्रा, शकुंतला शर्मा, राजेन्द्र भारद्वाज, दिनेश रावत, मदन कुमार धीमान, प्रेम नारायण अवस्थी, भूपेंद्र शर्मा, जय भगवान शर्मा, मनमोहन शर्मा, अजय शर्मा, प्रेम नारायण शुक्ला, पूर्ण चंद पांडे एवं यमुना दत्त पांडे इत्यादि भी मौजूद रहे।

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