शहीद सैनिकों को समर्पित पितृ मोचनी श्रीमद भागवत कथा का 8 वां दिन

मोह माया में फंसे इंसान का ज्ञान भी किसी काम का नहीं : डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि
मनुष्य सच्चे मन से चाहे तो नारायण स्वरूप को भी धरती पर अवतरित होना पड़ता है

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 5 अक्तूबर : गीता की जन्मस्थली, तीर्थों की संगम स्थली एवं धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के अखंड गीता पीठ शाश्वत सेवाश्रम में चल रही देश के लिए शहीद हुए सैनिकों को समर्पित पितृ मोचनी श्रीमद भागवत कथा के आठवें दिन व्यासपीठ से महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज ने कहा कि जिसकी जहां लग्न होती है वहीं समर्पण एवं आस्था होती है। परमात्मा के प्रति सच्चे मन, आस्था व लग्न से ही प्राप्ति होती है। वीरवार को कथा प्रारम्भ से पूर्व यजमान परवन कुमार तायल के परिवार ने महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज के सानिध्य में भारत माता एवं व्यासपीठ का पूजन व आरती की।

कथा व्यास महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज ने माता अनसुईया के प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि जीते जी ही बुद्धि व ज्ञान काम आते हैं। जीवन में बुद्धि, ज्ञान व बल के होते हुए भी इंसान नियति के आगे हार जाता है। उन्होंने कहा मनुष्य अगर सच्चे मन से चाहे तो परमात्मा को भी नारायण स्वरूप में धरती पर अवतरित होना पड़ता है। जो मोह माया में फंसता है उसे भटकना पड़ता है। ज्ञान भी किसी काम नहीं आता है। संसारिक सुखों के साथ जीवन में परम आनंद की प्राप्ति भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि श्रद्धा की आंख से गुरु को देखना चाहिए तभी ज्ञान की प्राप्ति होती है। कथा में वात्सल्य वाटिका के स्वामी हरिओम परिव्राजक बालिकाओं के साथ पहुंचे। बालिकाओं ने अष्टादश श्लोकी गीता स्पष्ट एवं मधुर गायन किया।

इस मौके पर डा. दीपक कौशिक, जय शंकर, कृपाल सिंह, रमेश परुथी, राजेश बिश्नोई, राजेंद्र वानप्रस्थी, राम करण, कुसुम सैनी, कांता देवी, पुष्पा, कविता, सुनीता देवी, कल्पना शर्मा, डा. सुनीता कौशिक, रमेश चंद मिश्रा, शकुंतला शर्मा, राजेन्द्र भारद्वाज, दिनेश रावत, मदन कुमार धीमान, प्रेम नारायण अवस्थी, भूपेंद्र शर्मा, जय भगवान शर्मा, मनमोहन शर्मा, अजय शर्मा, प्रेम नारायण शुक्ला, पूर्ण चंद पांडे एवं यमुना दत्त पांडे इत्यादि भी मौजूद रहे।

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