परमात्मा के प्रति समर्पित हैं तो मोह माया का कोई प्रभाव नहीं हो सकता : डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि दुष्कर्मों के बाद पूजा का कोई लाभ नहीं, दुष्कर्मों का फल भोगना ही होगा वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक कुरुक्षेत्र, 4 अक्तूबर : भगवान श्री कृष्ण के श्री मुख से उत्पन्न गीता की जन्मस्थली, तीर्थों की संगम स्थली एवं धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के अखंड गीता पीठ शाश्वत सेवाश्रम में चल रही देश के लिए शहीद हुए सैनिकों को समर्पित पितृ मोचनी श्रीमद भागवत कथा के सातवें दिन व्यासपीठ से महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज ने कहा कि आत्मत्व से ही समर्पण होगा। जीवन में जो भी कार्य करें स्थिर रह कर समर्पण भाव से ही करें तो जीवन में सफलता अवश्य ही मिलेगी। उन्होंने कथा में कहा कि दिनभर किए दुष्कर्मों के उपरांत सायंकाल में की गई पूजा का कोई पुण्य नहीं मिलेगा। दुष्कर्मों के फल को भोगना ही होगा। महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज ने परम समाधि पर चर्चा करते हुए बताया कि जीवन में सक्रिय रहकर चलते- फिरते एवं दिनचर्या के कार्यों को करते हुए परमात्मा के प्रति प्रतिष्ठित एवं समर्पित रहना ही परम समाधि है। उन्होंने कहा कि जीवन को चाहे जैसे भी जिओ तो परमात्मा के प्रति समर्पित रहो। मोह माया कभी प्रभावित नहीं कर सकती है। मोह में फंस कर ही मनुष्य से दुष्कर्म होते हैं। मोह में किए गए कर्म स्वप्न समान हैं। स्वयं को जानना तथा परमात्मा को जानना ही भक्ति है। इस मौके पर महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज ने घोषणा की कि भविष्य में 15 दिन की ही भागवत कथा करेंगे। इस मौके पर रमेश चंद मिश्रा, शकुंतला शर्मा, राजेन्द्र भारद्वाज, दिनेश रावत, मदन कुमार धीमान, प्रेम नारायण अवस्थी, भूपेंद्र शर्मा, जय भगवान शर्मा, मनमोहन शर्मा, अजय शर्मा, प्रेम नारायण शुक्ला, पूर्ण चंद पांडे एवं यमुना दत्त पांडे इत्यादि भी मौजूद रहे। Post navigation पर्यावरण बचाने के लिए सामाजिक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जाने की निरंतर आवश्यकताः प्रो. सोमनाथ शहीद सैनिकों को समर्पित पितृ मोचनी श्रीमद भागवत कथा का 8 वां दिन