कारबंदी घोटाले की साजिश में नवदीप सिंह विर्क (आईपीएस) परिवहन सचिव हरियाणा एवं केंद्रीय परिवहन मंत्रालय के अन्य IAS अधिकारियों के ख़िलाफ़ माननीय गुड़गांव न्यायालय में आपराधिक मुक़द्दमा संख्या COMI/545/2023 दिनांक 30.09.2023 दर्ज।

गुड़गांव,04.10.2023 – गुड़गांव कोर्ट की वेबसाइट से प्राप्त आदेशों की प्रति प्राप्त करने के बाद भारत सारथी संवाददाता ने इस मुकदमे में शिकायतकर्ता से संपर्क करने पर शिकायतकर्ता गुड़गांव के एडवोकेट मुकेश कुल्थिया ने स्पष्ट किया कि चूंकि ये मुकदमा उनके किसी मुद्दई क्लाइंट का नहीं है और ये मुकदमा उन्होंने खुद एक पीड़ित नागरिक होने की बुनियाद पर दर्ज करवाया है, यह मुकदमा उन पर एवं देश की गरीब जनता एवं पुराने वहां इस्तेमाल कर रहे अन्य वकीलों पर भी हो रहे अत्याचार के विरुद्ध उठाई गई एक आवाज़ है अतः एक पीड़ित नागरिक शिकायतकर्ता होने के नाते वो इस मुकदमे से संबंधित तथ्यों का खुलासा मीडिया एवं जनता में करने का कानूनी अधिकार रखते हैं ।

एडवोकेट मुकेश कुल्थिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार,10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर अवैध रूप से प्रतिबंध लगाने के अपराध के आरोप में उनके द्वारा ये शिकायत हरियाणा एवं केंद्र के अधिकारियों के खिलाफ माननीय मजिस्ट्रेट अदालत में दायर की गई है।

एडवोकेट मुकेश कुल्थिया ने जानकारी दी कि संशोधित मोटर वाहन अधिनियम 2019, 2021 एवं 2023 के अनुसार, डीजल और पेट्रोल दोनों कारों का जीवन 15 वर्ष है, उसके बाद अगले 5 वर्षों के लिए नवीकरणीय है, इस प्रकार किसी डीजल कार को सिर्फ इसलिए जब्त या प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता क्योंकि वह 10 साल पुरानी है और किसी पेट्रोल कार को सिर्फ इसलिए जब्त या प्रतिबंध नहीं किया जा सकता क्योंकि वह 15 साल पुरानी है और यह प्रतिबंध संशोधित मोटर वाहन कानून का सरासर उलंघन है और सामान्य गरीब जनता एवं ख़ुद वक़ील समाज पर अत्याचार है।

आज भी डीजल कार एवं पेट्रोल कार स्कूटर की RC 15 वर्षों की वैद्यता के साथ जारी की जा रही है और रोड टैक्स भी 15 वर्षों का लिया जा रहा है।

एडवोकेट मुकेश कुल्थिया ने जानकारी दी कि 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर कानूनन कोई प्रतिबंध नहीं है और ये अधिकारी NGT एवं माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का झूठा हवाला दे कर ये ग़ैरकानूनी प्रतिबंध लगा रहे हैं। 

ये प्रतिबंध देश के संशोधित कानून के उल्लंघन में है और ये प्रतिबंध इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ाने की एक साजिश के तहत विभिन्न ग़ैरकानूनी हथकंडों से लागू किए जा रहे हैं।

एडवोकेट मुकेश कुल्थिया द्वारा तमाम कानूनी पहलुओं की जानकारी कई बार इन अधिकारियों को लिखित एवं न्यायालय के नोटिस द्वारा दी गई, देश के कानून का पालन करने की गुजारिश कई बार की गई किंतु ना जाने किस मजबूरी या इरादे के तहत इन अधिकारियों ने देश के कानून का पालन करने से स्पष्ट इनकार कर दिया, आखिरकार माननीय न्यायालय में इन अधिकारियों के ग़ैरकानूनी कारनामों के ख़िलाफ़ ये मुकदमा दर्ज किया गया।

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