हर जीव में भगवान श्री कृष्ण विद्यमान हैं : डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि। संत अपराध को भगवान भी माफ नहीं करते हैं। वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक कुरुक्षेत्र, 2 अक्तूबर : भगवान श्री कृष्ण के श्री मुख से उत्पन्न गीता की जन्मस्थली, तीर्थों की संगम स्थली एवं धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के अखंड गीता पीठ शाश्वत सेवाश्रम में चल रही देश के लिए शहीद हुए सैनिकों को समर्पित पितृ मोचनी श्रीमद भागवत कथा के पांचवें दिन व्यासपीठ से महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज ने कहा कि जिसमें भावना होगी उसी में भगवान विद्यमान होंगे। भगवान तो हर प्राणी के साथ होते हैं लेकिन उन को समझाने तथा महसूस करने की आवश्यकता है। कथा व्यास महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज ने प्रसंग चर्चा करते हुए कहा कि किसी वेद पुराण में नहीं कहा गया है कि भगवान श्री कृष्ण कामी थे। भगवान श्री कृष्ण तो हर प्राणी एवं हर जगह मौजूद रहते हैं। भगवान श्री कृष्ण के चरित्र को समझना होगा। उन्होंने बताया कि भगवान श्री कृष्ण की हर लीला का गहरा अर्थ है। प्रसंग चर्चा में बताया कि भगवान श्री कृष्ण ने दुष्टों एवं राक्षसों का संहार किया। कुछ लोग भगवान कृष्ण को इंसान रूप में देखते हैं। भगवान में भावना से ही उतरना होगा। भगवान हर अपराध माफ करते हैं लेकिन संत अपराध को कभी माफ नहीं करते हैं। महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज ने कथा में कहा कि कभी संत महापुरुष, माता पिता एवं गुरु से शरारत नहीं करनी चाहिए। इंसान को समझना होगा हर जीव में परमात्मा का अंश है। पांचवें दिन की कथा समापन पर संकीर्तन एवं आरती हुई। इस मौके पर रमेश चंद मिश्रा, शकुंतला शर्मा, भूपेंद्र शर्मा, अजय शर्मा, प्रेम नारायण शुक्ला एवं यमुना दत्त पांडे इत्यादि भी मौजूद रहे। Post navigation प्रेरणा वृद्धाश्रम में श्रद्धा से मनाया गया वृद्ध सम्मान दिवस शहीद सैनिकों को समर्पित पितृ मोचनी श्रीमद भागवत कथा का छठा दिन