जींद, 28 सितम्बर :– मातृभूमि की रक्षा में अपना सर्वस्व कुर्बान करने वाले भारत मां के सच्चे सपूत शहीद-ए-आजम भगतसिंह सिर्फ शहीद नहीं है बल्कि वे असाधारण युवा क्रान्तिकारी थे।  युवाओं के प्रेरणा स्रोत वे जातिवाद,पाखण्ड,अन्धविश्वास,भ्रष्टाचार,अन्याय एवं शोषण के खिलाफ थे। आज हम सब को उनके द्वारा बताए रास्ते पर चलने एवं उनके आदर्शों को अपनाने की जरूरत है तभी हम समृद्ध व विकसित राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं। ये विचार डीआईपीआरओ रिटायर्ड सुरेन्द्र कुमार वर्मा ने शहीद भगतसिंह जयन्ती पर गांव कोथकलां स्थित शहीद भगतसिंह की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने के बाद व्यक्त किये।

शहीद भगतसिंह को वंदन व नमन करने उपरान्त उन्होंनें कहा कि भगतसिंह ने एक नए भारत का ही नहीं बल्कि एक नई दुनियां का ख्वाब देखा था। उन्होंनें कहा कि भगतसिंह सामाजिक क्रान्ति एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था के अग्रदूत थे। समाज सेवी सुरेन्द्र वर्मा कोथ ने युवा पीढी़ के लिए प्रेरणादायक सलोगन के माध्यम से टिप्पस दिये ” शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वर्ष मेले-वतन पर मिटने वालों का यही बाकी़ निशान होगा”, “लिख रहा हूं अंजाम जिसका कल आगाज आएगा-मेरे लहू का हर कतरा इंकलाब लाएगा”।

देशभक्ति और पराक्रम के अद्वितीय प्रतीक भगतसिंह का जन्म 28 सितम्बर 1907 में लायलपुर (बंगा) के निकट गांव खटकड़कलां (पंजाब) में  सरदार किशनसिंह एवं विद्यावती के घर हुआ था। उन्होंनें अप्रैल 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड में क्रान्ति के बीज बोए। उन्होंनें 17 दिसम्बर 1928 को जे पी सांडर्स को गोली मारी और 9 अप्रेल 1929 को संसद में बम फोड़कर ट्रेड डिस्पयूट कानून का विरोध किया। अन्त में उन्हें 23 मार्च 1931को शहीद राजगुरू व सुखदेव साथियों के साथ लाहौर जेल में फांसी पर चढा़या गया और वे देश के लिए कुर्बान हो गए।

उल्लेखनीय है कि कोथकलां में अमर शहीद भगतसिंह की प्रतिमा का लोकार्पण 5 मई 2019 में हरियाणा युवा आयोग के पूर्व चेयरमैन एवं शहीद भगतसिंह बिग्रेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष व भगतसिंह के पौत्र यादविन्द्र सिंह सन्धू द्वारा कोथ ग्रामवासियों के सहयोग से किया गया था।

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