नवीन गोयल ने वेदपाल तँवर को सुंदर मार्केटिंग एसोसिएट की लीज कब सौंपी ? *भिवानी (तोशाम) बहुचर्चित डाडम माइंस मामले में अबतक गिरफ्तारियां क्यों नहीं ? *ईडी द्वारा दर्ज एफआईआर स,449 में आरोपियों की जानकारी क्यों छिपाई गई ? *हजारों करोड़ खदान घोटाले के तार किससे कितने जुड़े हैं बताए सरकार ? *एनफोर्समेंट स्पेशल डायरेक्टर मोनिका शर्मा से भी शक्तिशाली हैं क्या खनन माफिया ? *फर्जी पेपर्स के सहारे लीज ट्रांसफर करने से पर्दा क्यों नहीं उठाती सरकार ? *किन कंपनियों के घर-दफ्तरों पर छापे मारकर कौनसे जरूरी कागजात ले गई ईडी ? *क्या इन खदानों में पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाया जा रहा था ? *आरोपियों के एड्रेस नहीं दर्ज कर किन्हीं नेता-मंत्रियों को तो नहीं बचा रही पुलिस ? गुरुग्राम 27 सितंबर 2023 ; भिवानी (तोशाम) दाड़म माइंस जो अक्सर हादसों के कारण सुर्खियों में बनी रहती है , गत माह पूर्व भी कई मजदूरों के दबकर मर जाने की खबरें प्रकाशित हुई थी मगर कार्यवाही कोई नहीं , खैर ताजा मामला हजारों करोड़ राजस्व चोरी का है और मामले में दर्ज एफआईआर को दो माह से ऊपर का समय बीत गया है लेकिन किसी भी आरोपी को अभी तक गिरफ्तार नहीं जा सका है जब्कि स्पेशल डायरेक्टर इंफोर्समेंट द्वारा दर्ज कराई गई है एफआईआर ! माईकल सैनी जिला मीडिया प्रभारी आम आदमी पार्टी ने बताया कि तोशाम थाने में दर्ज एफआईआर स, 449 में ग्यारह आरोपियों के नाम दर्ज हैं , इनपर कई सारे संगीन अपराधों के तहत मामले दर्ज हैं, अनेकों ग़ैरकानूनी कार्यों को किया गया है पहले वाले लीज होल्डर ने दूसरी एजेंसी को फर्जी पेपर्स के सहारे लीज ट्रांसफर कर दी और सरकार को धोखे में रख गुमराह किया, जिन्होंने माइनिंग के नियमों की घोर अवहेलना की और धरती के मध्य पानी का स्त्रोत (वाटर टेबल) के नीचे तक जाकर पृथ्वी की भीतरी सतह को भी खुदाई कर गंभीर रूप से घायल कर दिया ! आप पार्टी की प्रेस विज्ञप्ति के बाद हमने गुरुग्राम निवासी व भाजपा के नेता नवीन गोयल से फोन पर बात की तो उनका कहना था कि नवीन गोयल नाम के हजारों व्यक्ति होंगे। मेरा इस मामले से कोई संबंध नहीं है सैनी कहते हैं कि माइनिंग नियमों के तहत जो करार खनन विभाग और खनन एजेंसी के मध्य किया जाता है वह प्रत्येक 80 फिट पर एक बेड (लैंडिंग पॉइंट) बनाना होता है मगर यहां पर इन्हीं बेड को समाप्त कर नीचे तक खदानों में खुदाई कर लाखों टन पत्थर निकाला गया और इसी पत्थर का टैक्स सरकार के खजाने में जमा नहीं किया गया जो केवल सरकार के हिस्से के तौर पर देखा जाए तो भी हजार करोड़ से ऊपर बनता है, अब इसकी एफआईआर तो दर्ज हुई मगर दुर्भाग्यपूर्ण है कि कार्यवाही नहीं हुई, जिससे स्पस्ट हो जाता है कि सरकार कितनी संवेदनशील व गंभीर है भृस्टाचारियों को लेकर ? माईकल सैनी का विश्वास है कि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच हो जाए तो कई बड़े नेताओं के नाम सामने आ सकते हैं मगर फिलहाल की लेटलतीफी देखकर तो नहीं लगता है कि सरकार भृस्टाचारियों को गिरफ्तार भी करना चाहती हो ! खैर… ताज्जुब तो एनजीटी के मौन साध लेने के कारण भी हो रहा है जिसके सामने धरती को भीतर तक जख्मी कर दिया जा रहा है मगर उसकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं, क्या एनजीटी और इंफोर्समेंट डायरेक्ट्रेट से भी मजबूत है खनन माफिया ? Post navigation एक माह तक पालम विहार रोड़ वाहनों के लिए रहेगी बन्द डीसी ने दिए मिलेनियम सिटी सेंटर मेट्रो स्टेशन के समीप यातायात प्रबंधन को लेकर कमेटी गठित करने के निर्देश