वर्तमान मोदी-भाजपा सरकार महिला आरक्षण के नाम पर वोट हडपना चाहती है लेकिन मानसिक रूप से तत्काल महिलाओं को लोकसभा, विधानसभा 2024 के चुनावों में आरक्षण देने को तैयार नही : विद्रोही जब तक देश में जातिगत जनगणना करके महिला आरक्षण बिल में ओबीसी समाज की महिलाओं को आरक्षण नही मिलता, तब तक महिला सशक्तिकरण की बात बेमानी है : विद्रोही 21 सितम्बर 2023 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने लगभग सर्वसम्मति से संसद में महिला आरक्षण बिल पारित करने का जोरदार स्वागत करते हुए इसे महिला सशक्तिकरण व महिलाओं की सत्ता में समान भागीदारी की ओर एक बड़ा कदम बताया। विद्रोही ने कहा कि 13 वर्ष पूर्व 2010 में भारी अतंर्विरोध के बाद भी श्रीमती सोनिया गांधी की अथक मेहनत से कांग्रेस-यूपीए सरकार ने राज्यसभा में यह बिल पास करवाया था, लेकिन व्यापक सहमति के अभाव में विगत 13 सालों से यह महिला आरक्षण का मामला लटका हुआ था। अब 20 सितम्बर को लोकसभा ने सर्वसम्मति से इस बिल को पास करके सोनिया गांधी के 2010 में किये गए प्रयासों पर मोहर लगा दी। हालांकि महिला आरक्षण बिल लगभग सर्वसम्मति से पास तो हो गया, लेकिन वर्तमान मोदी-भाजपा सरकार महिला आरक्षण के नाम पर वोट हडपना चाहती है लेकिन मानसिक रूप से तत्काल महिलाओं को लोकसभा, विधानसभा 2024 के चुनावों में आरक्षण देने को तैयार नही। विद्रोही ने कहा कि संसद में पारित महिला आरक्षण का गहराई से अध्ययन व विश्लेषण करने के बाद अब यह स्पष्ट हो गया कि महिला आरक्षण बिल लगभग 10 वर्ष बाद लोकसभा चुनाव 2034 में ही लागू हो पायेगा। लोकसभा चुनाव 2024 में तो महिला आरक्षण बिल लागू होगा ही नही, लेकिन 2029 के लोकसभा चुनाव में भी इस बिल की लागू होने की संभावना शून्य है। संसद द्वारा पारित महिला आरक्षण बिल तभी लागू होगा, जब वर्ष 2021 की जनगणना हो और जनगणना के बाद वर्ष 2026 में लोकसभा, विधानसभा सीटों का डिलिमेटशन पूरा हो। वर्ष 2021 की जनगणना अभी तक शुरू नही हुई है और वर्ष 2024 के अंतिम में ही यह जनगणना शुरू होने की संभावना है। इस तरह 2021 की जनगणना व उसका विश्लेषण ही 2026 तक पूरा नही होने वाला। वर्ष 2027 में जनगणना के सभी आंकड़े अधिसूचित होने के बाद ही डिलिमिटेशन आयोग बनेगा। साफ दिख रहा है कि वर्ष 2027 से पहले डिलिमिटेशन आयोग बन ही नही सकता और यह आयोग बनने के बाद इसे रिपोर्ट देने में भी न्यूनतम 2 वर्ष लगेंगे। विद्रोही ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 के बाद बनने वाली सरकार यदि पूरी ईमानदारी व गंभीरता बरते तब भी जनगणना डिलिमिटेशन का कार्य वर्ष 2029 से पहले किसी भी हालत में पूरा नही होने वाला। साफ है कि यदि सभी परिस्थितियां अनुकूल रही तब भी महिला आरक्षण लोकसभा चुनाव 2034 में ही लागू होना संभव है। विद्रोही ने कहा कि जनमुद्दों से ध्यान हटाने, मीडिया हैडलाईन बनाने, लोकसभा चुनाव 2024 में महिलाओं की वोट हडपने भाजपा ने महिला आरक्षण बिल का झांसा तो दिया है, लेकिन मोदी सरकार की नीयत में खोट साफ दिख रहा है। महिला आरक्षण बिल में समाज की बहुसंख्यक समाज ओबीसी वर्ग की महिलाओं को आरक्षण न देकर एक तरह से ओबीसी समाज की महिलाओं के साथ भारी अन्याय किया गया है। जब तक महिला आरक्षण में ओबीसी महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण कोटा नही होगा, तब तक भारतीय समाज की धरातल की वास्तविकता अनुसार ओबीसी समाज की महिलाओं का बिना आरक्षण सांसद व विधायक बनना ही बहुत ही दुष्कर कार्य है। लोकसभा में श्री राहुल गांधी ने बहस में सही सवाल उठाया है कि जब तक देश में जातिगत जनगणना करके महिला आरक्षण बिल में ओबीसी समाज की महिलाओं को आरक्षण नही मिलता, तब तक महिला सशक्तिकरण की बात बेमानी है। वहीं राहुल गांधी ने लोकसभा मे ऑन रिकार्ड प्रतिबद्धता जताई कि यदि मोदी सरकार जातिगत जनगणना करवाकर ओबीसी, अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग को उनकी जनसंख्या अनुसार महिलाओं को आरक्षण में भागीदारी नही देती तो कांग्रेेस-इंडिया गठबंधन की सरकार आने पर इस कार्य को हर हालत में प्राथमिकता से पूरा किया जायेगा। Post navigation महिला आरक्षण बिल लोकसभा में दो-तिहाई बहुमत से पास, समर्थन में 454 और विरोध में पड़े 2 वोट शिक्षण व्यवस्था में मनोहर सरकार का एक और बड़ा कदम