गुरुग्राम, 17 सितंबर। केंद्रीय संसदीय कार्य कोयला एवं खनन मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि वैश्विक बाजार में अच्छे कारीगरों व अच्छे उत्पादों की बहुत मांग है, चूंकि भारत के पास आज सबसे अधिक युवा आबादी है। ऐसे में हम विरासत में मिली हमारी परंपरागत कौशल कलाओं को पीएम विश्वकर्मा योजना के माध्यम से पोषित कर वैश्विक पटल पर अपनी मजबूत उपस्थित दर्ज करा सकते हैं। उन्होंने कहा कि पहले जो हुनर हमारे ग्रामीणों की पहचान माने जाते थे अब उनको पूरा संसार सम्मान की दृष्टि से देख रहा है।

केंद्रीय मंत्री रविवार को दस्तकारों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए पीएम-विश्वकर्मा योजना के शुभारंभ अवसर पर गुरुग्राम के मानेसर स्थित एचएसआईआईडीसी कन्वेंशन सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। केंद्रीय मंत्री के कार्यक्रम में पहुँचने पर डीसी निशांत कुमार यादव ने पुष्पगुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नई दिल्ली के द्वारका स्थित कन्वेंशन सेंटर से योजना शुभारंभ के राष्ट्रीय कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया था।

केंद्रीय मंत्री ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ करने उपरांत अपने संबोधन में कहा कि प्राचीन भारत में कुशल कारीगर निर्यात में अपने-अपने तरीके से योगदान देते थे लेकिन गुलामी के लंबे काल के दौरान उनके काम को गैर-महत्वपूर्ण माना गया। वहीं आजादी के बाद पूर्व की सरकारों के समय इनके कुशल कार्यबल को लंबे समय तक उपेक्षित रखा गया। जिसके परिणामस्वरूप, कारीगरी और शिल्प कौशल के कई पारंपरिक तरीकों को कुछ परिवारों द्वारा छोड़ दिया गया, ताकि वे किसी अन्य क्षेत्र में अपना जीवन यापन कर सकें। ऐसे में सदियों से पारंपरिक तरीकों का उपयोग कर अपने शिल्प को संरक्षित रखने वाला श्रमिक वर्ग अपने असाधारण कौशल और अनूठी रचनाओं के साथ अपनी एक अलग पहचान बना सके। इसी उद्देश्य के साथ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने जन्मदिन के शुभ अवसर पर पीएम विश्वकर्मा योजना का शुभारंभ किया है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आधुनिक भारत के शिल्पकार प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस के शुभ अवसर पर शुरू की गयी यह योजना विशेष रूप से उनके लिए शुरू की गई है, जिसके तहत गांवों और शहरों के उन कुशल कारीगरों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जो अपने हाथों से काम करके अपना जीवनयापन करते हैं। उन्होंने कहा कि कुशल कारीगर आत्मनिर्भर भारत की सच्ची भावना के प्रतीक हैं और हमारी सरकार ऐसे लोगों को नए भारत का विश्वकर्मा मानती है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक समय था जब देश में कारीगरों का छोटे व्यवसाय के लिए बैंक से लोन लेना एक जटिल प्रक्रिया थी। लेकिन पिछले 9 वर्षों में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पात्र लाभार्थियों को पूरी पारदर्शिता बरतते हुए निर्धारित समयावधि में उनके व्यवसाय की आर्थिक उन्नति के लिए सस्ती ब्याज दरों पर लोन उपलब्ध करवाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत, कारीगरों और शिल्पकारों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाणपत्र और पहचानपत्र के माध्यम से मान्यता प्रदान की जाएगी, 5 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर के साथ 1 लाख रुपये (पहली किश्त) और 2 लाख रुपये (दूसरी किश्त) तक ऋण सहायता प्रदान की जाएगी। इस योजना के तहत बाद में कौशल उन्नयन, टूलकिट प्रोत्साहन, डिजिटल लेन-देन के लिए प्रोत्साहन और विपणन सहायता प्रदान की जाएगी। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित जनसामान्य को आश्वस्त किया कि पांच साल की अवधि (वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2027-28) के लिए 13 हजार करोड़ के बजट से पोषित यह योजना निश्चित रूप से हमारे देश के कुशल कारीगरों के जीवन मे सार्थक बदलाव लाएगी।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यसभा सांसद राम चंद्र जांगड़ा ने कहा कि आजादी के बाद देश के इतिहास में श्री नरेन्द्र मोदी ऐसे पहले प्रधानमंत्री है। जिन्होंने देश के भीतर कौशल विकास के माध्यम से एक नए युग की शुरूआत की है। उन्होंने कहा कि 18 हस्त व्यवसायों के कुशल कारीगरों को सशक्त व स्वावलंबी बनाकर उन्हें बाजार से जोडऩे के उद्देश्य से शुरू की
यह योजना निश्चित रूप से देश को श्रेष्ठता के नए क्षितिज पर लेकर जाएगी।

कार्यक्रम में पटौदी के विधायक सत्यप्रकाश जरावता, सोहना के विधायक संजय सिंह, पूर्व विधायक बिमला चौधरी, मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस के संयुक्त सचिव मुकेश कुमार बंसल, गुरुग्राम के एसडीएम रविंद्र यादव, पंजाब नेशनल बैंक के सीजीएम सुनील चुग व समीर बाजपेयी, पीएनबी के गुरुग्राम सर्कल हेड परविंदर कुमार, डीआईओ विभू कपूर, सीएससी के स्टेट हेड आशीष शर्मा, एजीएम प्रभजोत सिंधु, डिवीजन हेड मोहम्मद आरिफ, सीएससी के जिला प्रबन्धक विकास पुनिया, लीड बैंक मैनेजर अशोक कुमार जुलाहा सहित अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।

पीएम-विश्वकर्मा योजना में 18 हस्त व्यवसायों को शामिल किया गया है। जिनमें सुथार, नाव बनाना, शस्त्राकार, लुहार, हथौड़ा व लोहे के औजार बनाना, ताला बनाना, सुनार, कुंभकार, मूर्तिकार, मोची, राजमिस्त्री, टोकरी, चटाई बनाना, गुडि़य़ा व खिलौने बनाना, बारबर, धोबी, दर्जी और मछली पकडऩे के जाल बनाने का काम शामिल है। इस योजना में विभिन्न व्यावसायों से जुड़े दस्तकारों को प्रशिक्षण, टूल किट व बैंक लोन की सुविधा प्रदान की जाएगी। योजना में कारीगर को पहले पीएम विश्वकर्मा.जीओवी.इन पोर्टल पर 17 तारीख के बाद अपना पंजीकरण करवाना होगा। पंजीकरण के बाद इन कारीगरों की जिला में स्थापित किए गए कौशल विकास केंद्रों में पांच दिन की ट्रेनिंग करवाई जाएगी और टूल किट खरीदने के लिए 15 हजार रूपए का अनुदान दिया जाएगा। वहीं ट्रेनिंग में हर रोज 500 रूपए का स्टाइपेंड दिया जाएगा।

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