एक ओर मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर रक्षाबंधन के पावन अवसर पर महिलाओं के सम्मान में लम्बे-चौड़े दमगज्जे मार रहे है, वहीं 24 दिनों से आंदोलनरत आशा बहनों की बात सुनने तक को तैयार नही है : विद्रोही
मुख्यमंत्री महिलाओं से राखी बंधवाकर मीडिया फोटो इवेंट करके अपनी पीठ थपथपा रहे है, वहीं हजारों आशा वर्कस बहन अपने वेतन बढाने की मांग को लेकर रक्षाबंधन के दिन भी सडकों पर आंदोलरत रही : विद्रोही

31 अगस्त 2023  – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि एक ओर मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर रक्षाबंधन के पावन अवसर पर महिलाओं के सम्मान में लम्बे-चौड़े दमगज्जे मार रहे है, वहीं 24 दिनों से आंदोलनरत आशा बहनों की बात सुनने तक को तैयार नही है। एक ओर प्रदेश की महिलाएं भाई-बहन के स्नेह के प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व मना रही थी, मुख्यमंत्री महिलाओं से राखी बंधवाकर मीडिया फोटो इवेंट करके अपनी पीठ थपथपा रहे है, वहीं हजारों आशा वर्कस बहन अपने वेतन बढाने की मांग को लेकर रक्षाबंधन के दिन भी सडकों पर आंदोलरत रही। यह कैसा महिला सम्मान हरियाणा सरकार कर रही है, जहां रक्षाबंधन जैसे पर्व को हर्षोल्लास से मनाने की बजाय प्रदेश की लगभग 20 हजार आशा वर्कर बहनों को सडकों परे आंदोलन करना पड़ रहा है। सरकार द्वारा उनकी बात न मानने पर पूरे हरियाणा में 11 सितम्बर तक आशा वर्कर हड़ताल पर रहेगी।  

विद्रोही ने मुख्यमंत्री से पूछा कि इस महंगाई के दौर में क्या आशा वर्कस को 4 हजार रूपये का मासिक फिक्स मानदेय उचित व तर्कसंगत है? कहने को तो आशा वर्कस पार्ट टाईम वर्कर है, पर स्वास्थ्य विभाग से सम्बन्धित सभी योजनाओं को शहरों, वार्डो, गली-मौहल्लों में लागू करने, सर्वे करने की सारी जवाबदेही आशा वर्कस पर डाल दी जाती है। धरातल पर हरियाणा स्वास्थ्य विभाग पार्ट टाईम आशा वकर्स से फुल टाईम के कर्मचारी की तरह काम लेता है, क्या मुख्यमंत्री को इस हकीकत की जानकारी नही है? यदि मुख्यमंत्री जरा भी ईमानदार व गंभीर है तो वे भाजपा की किसी गांव व शहर की महिला नेत्री से आशा वकर्स के कामों की जानकारी जुटा ले तो उनको स्वयं एहसास होगा कि 4 हजार फिक्स मासिक मानेदय कितना कम है। विद्रोही ने मांग की कि मुख्यमंत्री खट्टर जी महिलाओं के सम्मान की अपनी कथनी-करनी को एक करने आशा वर्कस से खुद बात करके उनकी मांगों, समस्याओं को सुने। जब तक मुख्यमंत्री उनकी कठिनाईयों को नही सुनेंगे और केवल अफसरों की पढ़ाई बातों पर विश्वास करेंगे, तब तक वे आशा वर्कस के दर्द को नही जान पायेेंगे। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री वार्ता की पहल करके हडताली आशा वर्कस की मांगों का सर्वसम्मत हल निकालकर हड़ताल को खत्म करवाये।  

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