संपूर्ण विश्व को एकता और सामाजिक समरसता का संदेश देने वाले संत शिरोमणि की विचारधारा और नफरती संघी की जहरीली सोच का कोई मेल नहीं।
सीएम द्वारा खुद को कबीर अनुयायी बताना सत साहेब के साथ क्रूर मजाक है।
‘भला जो देखण मैं चला, भला न मिला कोय, जो दिल खोजा आपणों तो मुझसा भला ना कोय।’ उक्त दोहा स्वयंभू खट्टर साहब पर सटीक बैठता है

 पटौदी 25 अगस्त । ‘अगर खट्टर साहब सभी कार्य ‘मनसा वाचा कर्मणा’ की भावना के साथ करते तो आज प्रदेश के युवा, बेरोजगार, शिक्षक, किसान, व्यापारी, गरीब, आशा वर्कर सहित सभी वर्ग सडकों पर आकर न्याय मांगने को मजबुर नही हो रहे होते।’ उक्त बातें हरियाणा कांग्रेस सोशल मीडिया की स्टेट कॉर्डिनेटर सुनीता वर्मा ने प्रेस के नाम जारी विज्ञप्ति में कही। उन्होनें कहा कि संत कबीर के नाम पर राजनीति करने वाली बीजेपी ने कभी उनकी शिक्षाओं को नही अपनाया। यहां तक की तमाम सुख सुविधाओं, संपन्नताओं और सुरक्षा के सभी सुरक्षा उपकरणों से लैस अपने एशो आराम वाले आवास का नाम संत कबीर कुटीर रख कर उन्होंने समता मूलक समाज की सोच रखने वाले संत का अपमान ही किया है, क्योंकि अगर गाँव का सबसे शरारती बालक अपना नाम प्रेमचंद रख ले तो क्या वो सुधर जाएगा ? जैसे ही गाँव में कोई प्रदर्शन होगा तो वो कहेगा कि- ‘पांच – सात अपने वाले भेजकर दंगे करवाओ, लठ उठाओ ओर मारो, जेल की चिंता मत करो, नेता बण के निकलेंगें।’ ऐसी सोच रखने वाले कबीर कुटीर में निवास करते हुए आखिर में प्रदेशवासियों को क्या संदेश देना चाहते हैं?

महिला कांग्रेस नेत्री ने कहा कि क्षेत्र के विभिन्न आयोजनों में मिले कबीरपंथी लोगों से हुई मुलाकातों में उन्होंने भी स्वीकारा की प्रदेश के बड़बोले मुख्यमंत्री ने खुद को महिमामंडित करने के लिए अपनी सुविधा अनुसार संतों की वाणी के उल्टबासियों वाले अर्थ स्वत: ही निर्धारित कर लिए, जैसे – ‘भला जो देखण मैं चला, भला न मिला कोय, जो दिल खोजा आपणों तो मुझसा भला ना कोय।’ उक्त दोहा स्वयंभू खट्टर साहब पर सटीक बैठता है।

वर्मा ने कहा कि कबीर अनुयायियों में भी ये आम चर्चा है कि जो सीएम अपनी टीम व पार्टी के साथियों को ही सम्मान न दे सके वो कैसे उस कबीर कुटीर की मर्यादा रख पायेगा जिसमें वो निवास कर रहा है। उन्होनें सीएम पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि वो कहते हैं की मैनें सब कुछ कबीरदास से ही सिखा, समझा व जाना है उनका ये कहना ही उस संत शिरोमणि के साथ क्रुर मजाक है। उन्होंने सीएम को नसीहत देते हुए कहा कि खुद को कबीर अनुयायी दिखाने से कुछ नही होगा, जरुरत हैं उनकी शिक्षाओं व आदर्शों को सही अर्थों से जीवन में उतारने की, ना की किसी ब्राहम्ण की गर्दन फरसे से काटने की अथवा फांसी लगा दूंगा वाली सोच रखने की।

सुनीता वर्मा ने कहा कि जिनके जीवन में सादगी लेश मात्र भी न हो, झूठ, पाखंड, जुमले व बदले की भावना जिसके मन में चरम पर हों जो रोज विरोधियों के खिलाफ षड्यंत्र रचते हों, जो घोटालों में रिकॉर्ड बना रहा हों, जो जनता के हितों की परवाह न करके चंद पूंजीपतियों की भलाई की सोचे वो भला कैसे कबीर शब्द का इस्तेमाल खुद के लिए कर सकता है। उन्होंने कहा कि संत कबीरदास की विचारधारा संघी हिंदुत्व विचारधारा के एकदम विपरित है, वे तो समाजवादी-समतामूलक समाज के समर्थक थे और आप सांप्रदायिक संघी हिंदुत्व विचारधारा समर्थक। फिर संत कबीर विचारधारा और संघी हिंदुत्व सोच में क्या मेल?

वर्मा ने कहा कि कबीर विचारधारा वाले लोगों से इस विषय पर बात करने पर ये बातें सामने आई की सामाजिक सद्भाव-समरसता और समानता के प्रबल पक्षधर सत साहेब ने हमेशा ही लोक कल्याण की बातें करते हुए शासक वर्ग को उसके कर्तव्यबोध से अवगत करवाया है किंतु उनके नवोदित तथाकथित अनुयायी अपने जनहित के कर्तव्यों को समझने की बजाए खुद को महिमामंडित करने में लगे हैं।

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