अंग्रेजों की ‘फूट डालो और राज करो’ कि नीति के आधार पर हुआ देश का विभाजन : प्रोफेसर जगदीश मुखी
कांग्रेस की हठधर्मिता के कारण भारत ने झेली विभाजन विभीषिका : ओमप्रकाश धनखड़
कांग्रेस ने शहीदों को गुमनामी के अंधेरे में धकेलने का किया घोर पाप : बोधराज सीकरी

गुरुग्राम। 12 अगस्त, शनिवार को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस आयोजन समिति की ओर से गुरुग्राम के सेक्टर 14 में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में असम के निवर्तमान राज्यपाल प्रो. जगदीश मुखी ने शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता हरियाणा भाजपा अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने की एवं विशेष अतिथि के रूप में भाजपा की जिला अध्यक्ष गार्गी कक्कड़ मौजूद रही। कार्यक्रम प्रारम्भ से पूर्व डॉक्टर परमेश्वर अरोड़ा, श्रीमती सीमा पाहुजा और श्री तिलक राज मल्होत्रा वरिष्ठ बीजेपी नेता और सभी विशिष्ट अतिथियों के साथ विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस आयोजन समिति के सदस्य बोधराज सीकरी ने 1947 विभाजन के शहीदों को करबद्ध नमन कर श्रद्धाजंलि अर्पित की। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष लोगों का उत्साह दोगुना था, जिसके कारण कोरस बैंक्वेट एंड कन्वेंशंस का हॉल एक हजार से अधिक की संख्या में आए हुए लोगों से खचाखच भरा हुआ था। कार्यक्रम की भव्यता से बोधराज सीकरी ने पंजाबियत की एकता का एक ज्वलंत उदाहरण पेश किया, जिसे देखकर सभी का मन गद्गद हो गया। बुजर्गों ने भी उनका माथा चूम अपना आशीर्वाद दिया और मन की भावनाएं व्यक्त की।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. जगदीश मुखी ने बोधराज सीकरी के मंच संचालन की भूरी-भूरी प्रशंसा की। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि मैं उन 10 लाख बहनों-भाइयों के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ जिन्होंने आजादी मिलने के पश्चात अपने जीवन को बलिदान किया। दो व्यक्तियों के सपने को साकार करने के लिए और अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो कि नीति के आधार पर देश का विभाजन किया गया।

कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने देश के विभाजन के बाद हुए रक्तपात में मारे गए लोगों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। कहा कि देश का विभाजन ऐसी त्रासदी है जिस पर आजादी के बाद का साहित्य भरा पड़ा है। अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम आने वाली पीढिय़ों को उस वक्त की कहानियां सुनाएं ताकि आने वाली पीढिय़ों को पूर्वजों के संघर्ष और बलिदान के बारे में जानकारी हो। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की हठधर्मिता के कारण ही भारत को विभाजन की विभीषिका झेलनी पड़ी। 1947 में हुआ देश का विभाजन भारतीय इतिहास का वो अमानवीय अध्याय है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।

जहां एक ओर ओमप्रकाश धनखड़ जी ने युवाओं में ऊर्जा का संचार किया वहीं प्रो. जगदीश मुखी जी ने बुजुर्गों के ज़ख्मों पर मरहम का काम किया।

धन्यवाद प्रस्ताव में भाजपा जिला अध्यक्ष श्रीमती गार्गी कक्कड़ ने अपने नाना-नानी की दर्द भरी कहानी को बयां किया। कन्हैया लाल आर्य ने भी वक्तव्य में अपनी आप बीती सुनाई। कहा कि हमें गर्व है हम भगौड़े नहीं बल्कि हम वो लोग हैं जिन्होंने मेहनत ईमानदारी से फिर से अपने आप को स्थापित किया। इस विभाजन की त्रासदी के लिए कांग्रेस भी उतनी ही दोषी है जितना के जिन्ना है।

कार्यक्रम का बखूबी संचालन करने वाले विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस आयोजन समिति के सदस्य बोधराज सीकरी ने कहा कि कांग्रेस ने शहीदों को गुमनामी के अंधेरे में धकेलने का घोर पाप किया है। कहा कि पंजाबियत की परिभाषा है रूहानियत और इंसानियत यदि सच्चा पंजाबी होगा तो उसके अंदर रूहानियत होगी, अध्यात्मवाद होगा। साथ ही उन्होंने गुमनाम शहीदों को अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए और ओमप्रकाश धनखड़ जी के माध्यम से सरकार से आग्रह किया कि गुमनाम शहीदों को शहीद होने का दर्जा दिया जाए।

इस दौरान समारोह में विस्थापन का दंश झेलने वाले 80 साल से अधिक उम्र के सभी बुजुर्गों को सम्मानित किया गया। बता दें कि इन बुजुर्गों में 8 से 10 ऐसे बुजुर्ग भी शामिल रहे जिनकी उम्र 90 से 95 वर्ष के बीच है। समारोह में विभाजन विभीषिका पर वक्ताओं ने अपने-अपने विचार रखे।

कार्यक्रम के संयोजक के रूप में सुभाष अरोड़ा और सह-संयोजक के रूप में धर्मेंद्र बजाज ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई।

सुभाष अरोड़ा, ओम प्रकाश कथूरिया और सुमित अरोड़ा ने ओमप्रकाश धनखड़ जी को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। ज्योत्सना बजाज और ज्योति ने श्रीमती गार्गी कक्कड़ को गुलदस्ता देकर सम्मानित किया।

बता दें कि हॉल में बैठे लोगों की आंखें नम थी और विस्थापन का दंश झेलने वाले बुजुर्गों को देखकर सब भाव-विभोर हो गए। पंजाबियत की एकता, बुजुर्गों के प्रति सम्मान और देश के विभाजन का दर्द झेलने वाले पीड़ितों के प्रति संवेदना ने इस कार्यक्रम की मूल भावना को उजागर किया। वास्तव में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के इस आयोजन ने युवा पीढ़ी को अपने इतिहास के प्रति जागरूक करने में सार्थक भूमिका निभाई। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए बोधराज सीकरी ने सभी उपस्थित गणमान्य जन का कोटि-कोटि आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर विभाजन में जान गंवाने वाले शहीदों की याद में कैंडल मार्च भी निकाली गई और उनकी स्मृतियों को ताजा करने के उद्देश्य से प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया।

100 से अधिक बुजुर्गों का एक स्थान पर एकत्रित होना एक विलक्षण बात थी। हज़ार से अधिक लोगों का अलग-अलग कौनों से इतनी अधिक संख्या में आना, अनुशासन से सबका बैठना बोधराज सीकरी जी की ओर से व्यवस्थित कार्यप्रणाली का एक सराहनीय कदम था जिसकी हर मुँह से तारीफ़ सुनी गई।

कार्यक्रम में बोधराज सीकरी, सुभाष अरोड़ा, धर्मेंद्र बजाज, रामलाल ग्रोवर, सुमित अरोड़ा, गजेंद्र गोसाई, किशोरी लाल डुडेजा, रमेश कुमार ‘कुमार’, अनिल कुमार, सुखदेव, रमेश कामरा, रवि मनोचा, कंवर भान वधवा, सुरेंद्र खुल्लर, रमेश चुटानी, सुभाष गांधी, धर्म सागर, अशोक सीकरी, प्रमोद सलूजा, ज्योत्सना बजाज, सुरेश सीकरी, डॉ.अलका शर्मा, ज्योति वर्मा, रचना बजाज, रमेश मुंजाल, मीनाक्षी मुंजाल, ओमप्रकाश कालड़ा, एकता कामरा, रमेश कालड़ा, अशोक आर्य, सुषमा आर्य, जितेंद्र कुमार, दिनेश नागपाल, नरिंदर यादव, राम किशन गांधी, चरणजीत अरोड़ा, विद्या सागर, दलीप लूथरा प्रधान RWA न्यू कॉलोनी , मनीष गाडोली महामन्त्री, महेश यादव महामन्त्री, मीनाक्षी अरोड़ा, विजया अरोड़ा, श्रीमती सुषमा मित्रा, शील सीकरी, अनिल यादव, राजीव छाबड़ा, विष्णु खन्ना, दीपक वर्मा, सुभाष अदलखा, रमेश कामरा, रमेश कालरा, अशोक आहूजा, सतीश आहूजा, नरेश चावला, अभिषेक खनेजा, वैभव जैन व अन्य जन उपस्थित रहे।

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