बोधराज सीकरी द्वारा प्रारम्भ की गई हनुमान चालीसा पाठ की मुहिम नया रंग ला रही है और नए रिकार्ड बना रही है, आंकड़ा हुआ 2,65,000 पार

डॉ. परमेश्वर अरोड़ा आयुर्वेद आचार्य व योगाचार्य के आयोजन में साढ़े 500 से अधिक लोगों का एक ही स्थान पर भाग लेना एक नया रिकार्ड था।
हनुमान चालीसा पाठ के नित्य पठन से समस्त संकल्प होते हैं सार्थक : बोधराज सीकरी

गुरुग्राम। कल दिनांक 8 अगस्त, मंगलवार हनुमान मंदिर मदनपुरी में हनुमान चालीसा पाठ का आयोजन हुआ, उसके यजमान थे श्रीमती और श्री डॉ. परमेश्वर अरोड़ा। श्री गजेंद्र गोसाई ने विधिवत ब्राह्मण देवता से पूजन करवा हनुमान चालीसा पाठ का संगीतमय माध्यम से शुभारंभ किया। प्रायः सवा घंटे के अंदर 21 बार पाठ करते हैं परंतु कल लोगों के उत्साह, जनसमूह और इतनी अधिक संख्या को देखते हुए गोसाई जी ने सम्पुट लगाकर के इस कार्यक्रम को पौने 2 घंटे में पूरा किया। अभी तक 41 बैठक हनुमान चालीसा पाठ की हो चुकी है। ये 42 वीं बैठक थी। लगभग साढ़े 5 माह पूर्व इस मुहिम का शुभारंभ एक छोटे से बीज से अंकुरित हुआ था। जो प्रतिदिन वटवृक्ष का रूप धारण करता जा रहा है। कल 500 से अधिक लोगों ने 21-21 बार पाठ कर 10 हजार से ऊपर कुल पाठ किए और 2 लाख 55 हजार का पिछले सप्ताह का जो आंकड़ा था उसको इसके साथ सम्मिलित किया जाए तो 2 लाख 65 हजार से अधिक पाठ अभी तक हो चुके हैं और इसमें 16 हजार से अधिक लोग अभी तक जुड़ चुके हैं।

हनुमान चालीसा पाठ के बाद बोधराज सीकरी ने अपने वक्तव्य में एक नया रहस्य खोला कि द्वापर युग में हनुमान जी ने अपनी कैसे भगवान कृष्ण की स्तुति जो उनके आराध्य हैं त्रेता युग से जो उनके इष्टदेव हैं किस प्रकार महाभारत के युद्ध में अर्जुन की सहायता करी। किस प्रकार ध्वज के ऊपर बैठकर के गीतोपदेश सुना और बोधराज सीकरी जी ने तो यहां तक भी कहा कि अर्जुन के विषाद का गीतोपदेश से मिटाना एक बहाना था वास्तव में गीता उपदेश हनुमान जी को सुनाना था। यद्यपि संजय ने भी गीतोपदेश सुना , धृतराष्ट्र ने भी सुना। जो रथ के अंदर घोड़े जुड़े थे उन्होंने भी सुना, जितने भी महाभारत के युद्ध के मैदान में योद्धा थे उन्होंने भी सुना । लेकिन वास्तव श्रोता जो थे वो थे अर्जुन और हनुमान जी। इस प्रकार युद्ध के दौरान हनुमान जी का सहयोग और किस प्रकार उन्होंने सत्संग के माध्यम से अपनी प्रभु के प्रति, अपने इष्टदेव के प्रति उद्गार उत्पन्न किये। अलग-अलग उदाहरण देकर बोधराज सीकरी ने 500 से अधिक बैठी संगत का हृदय जीत लिया। क्योंकि:

बिनु सत्संग विवेक न होई।
रामकृपा बिनु सुलभ न सोई।।

तदोपरांत अंत में डॉ. परमेश्वर अरोड़ा जो यजमान थे, उन्होंने भी अपने ज्ञान के तरकश निकालकर महाभारत के कुछ उद्धरण प्रस्तुत कर लोगो के मन को जीत लिया। उनकी से भव्य भंडारे का आयोजन था और पूरा हनुमान मंदिर श्रद्धालुओं और भक्तों से खचाखच भरा हुआ था। परंतु विशेष बात यह है कि रामलाल ग्रोवर जो उस मंदिर के प्रधान है उनकी अगुवाई में महावीर दल जो वहां पर सेवा करते हैं, उन्होंने जिस अनुशासन की प्रस्तुति प्रस्तुत की वो सराहनीय है।

इस कार्यक्रम में मुख्य रुप से समाजसेवी, धार्मिक व्यक्ति, सनातन धर्म सभा के पदाधिकारी, पंजाबी बिरादरी महासंगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी व अन्य समुदाय के लोग भी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम डॉ. परमेश्वर अरोड़ा, डॉ. गीतांजलि अरोड़ा, गजेन्द्र गोसाईं, रमेश कामरा, धर्मेंद्र बजाज, ओम प्रकाश कालरा, द्वारका नाथ मक्कड़, राम लाल ग्रोवर, उमेश ग्रोवर, किशोर लाल डुडेजा, रमेश कालड़ा, सुभाष गांधी, रवि मनोचा, युधिष्ठिर अलामादी, राजपाल आहूजा, अनिल कुमार, लीलाधर, रमेश मुंजाल, डॉ.अलका शर्मा, ज्योत्सना बजाज, रचना बजाज, मीनाक्षी मुंजाल, नरेन्द्र कथुरिया, सुरेन्द्र बरेजा, सतपाल नासा, पुष्पा नासा, सी.बी.मनचन्दा, राज कुमार जुनेजा, सुरेन्द्र खुल्लर, उदय भान ग्रोवर, रवीन्द्र खुल्लर, सुरेंद्र बजाज, राकेश गोसाई, राजेन्द्र, वीणा अरोड़ा, श्रीमती व श्री कपूर, मीनाक्षी मुंजाल, दलीप लूथरा, मोहिंदर सेठी, एस. पी अग्रवाल उपस्थित रहे।

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