भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल। इन दिनों जिले में आई फ्लू (आंखों का संक्रमण) रोग तेजी से फैल रहा है। जिस एक व्यक्ति या बच्चे को यह रोग हो जाता है, उस घर के लगभग सभी लोगों को यह अपनी चपेट में ले रहा है, जिस कारण आजकल आंखों पर चश्मा चढ़ाए हुए काफी लोग नजर आने लगे हैं। वहीं दूसरी ओर से सरकारी अस्पताल में इन दिनों एक भी नेत्र रोग विशेषज्ञ (सर्जन) कार्यरत नहीं है, जिस कारण आंखों के रोगियों को निजी अस्पतालों की सेवाएं लेनी पड़ रही हैं। जिला स्तरीय नागरिक अस्पताल में दो महिला नेत्र रोग विशेषज्ञ/सर्जन कार्यरत हैं, लेकिन दोनों में से एक चाइल्ड केयर लिव तो दूसरी ट्रेनिंग पर हैं। इस कारण जिले के किसी भी सरकारी अस्पताल सीट पर कोई नेत्र रोग विशेषज्ञ/सर्जन चिकित्सक उपलब्ध नहीं है।

उल्लेखनीय है कि मानसून सीजन में मच्छरजनित बीमारियों के फैलने की आशंका ज्यादा होती है, लेकिन इन दिनों वॉयरल बुखार के अलावा सबसे ज्यादा आंखों के रोगी अस्पताल पहुंच रहे हैं। आंखों पर काले चश्मा चढ़ाए अस्पताल में नेत्र रोग विशेषज्ञ को खोजते यह मरीज दूर से दिखाई देने लगे हैं। बड़े लोग ही नहीं, बच्चे भी आंखों के संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं। सरकारी अस्पताल में नेत्र रोगी आते हैं, लेकिन चिकित्सक नहीं होने के कारण ज्यादा पर्ची बनाने वाली खिड़की से ही लौट जाते हैं। हालांकि नागरिक अस्पताल में कार्यरत नेत्र सहायक विकास कुमार एवं सतीश नेत्र रोगियों को अटेंड कर रहे हैं, लेकिन नेत्र रोग विशेषज्ञ के पास ही ईलाज करवाने की चाह में यहां आने वाले मरीज निराश होकर निजी अस्पतालों की शरण में आने को विवश हो रहे हैं। एक निजी अस्पताल में प्रतिदिन औसतन 50 मरीज इस संक्रमण के आ रहे हैं। जबकि नारनौल शहर में आंखों के 4-5 अस्पताल हैं। इस प्रकार प्रतिदिन 200-250 मरीज निजी अस्पतालों में आंखों की जांच के लिए पहुंच रहे हैं।

-क्या है आई फ्लू

बारिश के बाद से क्षेत्र में आई फ्लू (आंखों का संक्रमण) रोग तेजी से फैल रहा है। बारिश की नमी के कारण बैक्टिरिया और वायरस अधिक मात्रा में एक्टिव हो जाते हैं। इसकी वजह से आंखें लाल होने के साथ ही उनमें सूजन होने लगती है। आंखों से गिड़ आने लगता है तथा मरीज परेशान होने लगता है। स्कूली बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। कक्षा रूम में इस रोग के एक बच्चे से दूसरे बच्चे में फैलने का तेजी से खतरा बना रहता है।

-अस्पताल में नहीं है आई सर्जन

एकतरफ जहां से नेत्र रोग तेजी से फैल रहा है, जबकि नागरिक अस्पताल में पिछली एक जुलाई से कोई नेत्र रोग विशेषज्ञ नहीं है। डा. नीरू यादव ट्रेनिंग पर हैं, जबकि डा. आंकाक्षा चाइल्ड केयर लिव पर हैं। जिस कारण आंखों के मरीजों को निजी अस्पतालों में इलाज करवाने को मजबूर है।

-संक्रमण से फैलता है

आई फ्लू संक्रमण एक संक्रामक विषाणु से फैलता है। इससे आंखों में जलन होती है। आमतौर पर यह एलर्जिक रिएक्शन की वजह से होता है। मगर कई मामलों में बैक्टीरिया संक्रमण के कारण भी होता है। इससे श्वसन तंत्र, नाक-कान तथा गले में भी वायरल कंजंक्टिवाइटिस हो जाता है। संक्रमण की शुरुआत एक आंख से ही होती है, लेकिन जल्द ही दूसरी आंख भी चपेट में आ जाती है। यह संक्रमण बच्चों में अधिक फैलता है। इसमें आंंखे लाल हो जाती हैं। पानी आने लगता है। तेज जलन होती है। पलकों पर पीला और चिपचिपा तरल जमा होने लगता है। आंखों में चुभन होती है और सूजन आ जाती है। आंखों में खुजली भी होती है। संक्रमण अधिक बढ़ने से आंखों में हेमरेज, किमोसिज हो जाता है।

-ऐसे करें बचाव

महावीर चौक स्थित गोयल नेत्र रोग अस्पताल के वरिष्ठ डॉ. मुकेश गोयल ने बताया कि नमी की वजह से यह संक्रमण तेजी से फैलता है। जिन लोगों को यह रोग हो जाए, उन्हें घरों में प्रवेश करते वक्त दरवाजे का हेंडल प्रयोग नहीं करना चाहिए। तोलिया व तकिया अलग-अलग इस्तेमाल करना चाहिए। हाथों को साबुन से धौना चाहिए। संक्रमित आंख को छूने से बचना चाहिए। गंदगी और भीड़ वाली जगहों पर नहीं जाना चाहिए। हाथ नहीं मिलाना चाहिए। यह संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बहुत जल्द फैलता है। इसमें ज्यादा खतरा नहीं है, लेकिन सावधानी ही सबसे बड़ा उपाय है।

-सिविल सर्जन का कहना

सिविल सर्जन डा. रमेश चंद आर्य ने बताया कि नागरिक अस्पताल में दो नेत्र रोग विशेषज्ञ कार्यरत हैं, जिनमें से एक चाइल्ड केयर लिव तो दूसरी ट्रूेनिंग पर गई हुई हैं। तब तक रेवाड़ी से नेत्र विशेषज्ञ बुलाया गया है। सप्ताह में वह दो दिन नारनौल लगाएंगे।

error: Content is protected !!