– बोध राज सीकरी ने दिखाया दिल को दहला देने वाला नाटक “गुमनाम शहीद” प्रस्तुतकर्ता मेगा स्टार एकेडमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट्स – निर्देशक अरुण मरवाहा। दर्द भरी दास्ताँ – विभाजन विभीषिका की यादें ताजा कर दी गुरुग्राम। कल दिनांक 30 जुलाई शाम सात बजे बोधराज सीकरी के प्रयास और पंजाबी बिरादरी महा संगठन द्वारा प्रायोजित “गुमनाम शहीद” नाम का नाटक आर्य समाज मंदिर डीएलएफ़, फ़ेज -2 (गुरुग्राम) के ऑडिटोरियम में एक ऐसी दर्दनाक प्रस्तुति प्रस्तुत की गई जिसने दर्शकों के दिल को दहला दिया। बोधराज सीकरी का वास्तविक दर्शक था समाज का युवा। विभाजन के समय जो भयावह स्थिति हमारे बुज़ुर्गों ने देखी, वो दर्दनाक दृश्य जिसमें लाखों लोग मारे गये, जिसमें लाखों बहन बेटियों की इज़्ज़त लूटी गई, किस प्रकार दरिंदगी का आलम हमारे पूर्वजों ने देखा वो दर्शक नाटक मंडली ने हू-ब-हू दिखाया। कैसे एक-एक रोटी के लिये हमारे बुजुर्ग मोहताज हुए, कैसे नौजवान बेटियों को पिता ने अपने ही हाथों मारा, कैसे संपन्न परिवार के लोग एक-एक बूँद पानी के लिए तरसे, कैसे उनकी आँखों के सामने क़त्लेआम हुआ, कैसे उन्हें सड़कों पर, रेल की पटरी पर, कैम्प आदि में जीवन यापन करना पड़ा, यह देख कर सभी दर्शकों की आखों में अश्रुधारा थी। एक घंटे के नाटक के उपरांत श्री कन्हैया लाल आर्य द्वारा अपने अनुभव के आधार पर दर्शकों को संबोधित किया गया और उन्होंने दर्दभरी दास्ताँ सुनाई और अपने वक्तव्य से युवा के अंदर संस्कार डालने का प्रयास किया। उनकी ओजस्वी वाणी पर माँ सरस्वती की कृपा है क्योंकि शिक्षाविद के साथ वे वेदों के महान ज्ञाता भी हैं। बोध राज सीकरी ने अपने भाषण में युवा पीढ़ी को संबोधित करते हुआ कहा कि जो युवा अपने भूतकाल का भूल जाता है वो राष्ट्रप्रेमी नहीं है। हमें अपने बुजुर्गों और पूर्वजों की शहादत को भूलना नहीं है, उनकी यादों को और उनकी क़ुर्बानी को सदा ज़िंदा रखना है। यहूदियों के साथ भी ऐसी घटना घटी थी। उन्होंने शहीदों को शरीर रूप से तो मरते देखा परंतु उनके क्रियाकलाप को नहीं मरने दिया। कई प्रकार का पौधारोपण से उन्हें ज़िंदा रखा है । सीकरी जी के कथन अनुसार ये त्रासदी या विभीषिका विश्व की सबसे दर्दनाक घटना थी। कुछ स्वार्थी नेता लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए इस प्रकार की स्थिति पैदा की। ये बँटवारा भूमि का नहीं था यह बँटवारा रिश्तों का था। यह दर्द आने वाली पीढ़ी कभी नहीं भूलेगी । बोधराज सीकरी के अनुसार धन्य है हमारे देश के प्रधानमंत्री और हरियाणा के मुख्यमंत्री जिन्होंने हमारे बुजुर्गों की यादों को ताजा किया और पिछले वर्ष लाल क़िला की प्राचीर से हर वर्ष 14 अगस्त विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने का निर्णय लिया, जिसके फलस्वरूप बीजेपी के हरियाणा प्रांत के अध्यक्ष श्रीमान ओम प्रकाश धनखड़ जी ने श्री मनीष ग्रोवर पूर्व मंत्री और वर्तमान में पार्टी के उपाध्यक्ष की अगुवाई में एक समिति का गठन किया था जिसके श्रीमती सीमा त्रिखा विधायक, श्री विनोद भयाना विधायक और मुझे सेवा का मौक़ा दिया था। जिसके फलस्वरूप हमारी समिति ने 22 के 22 जिलों में इस विषय पर नाना प्रकार के कार्यक्रम कर युवा को जाग्रत किया। कार्यक्रम में जहाँ एक ओर बोध राज सीकरी जी की पत्नी श्रीमती सुरेश सीकरी उपस्थित रही, वहीं दूसरी ओर श्री केंद्रीय सनातन धर्म सभा के प्रधान श्री एस के खुल्लर, केंद्रीय आर्य सभा के अध्यक्ष श्री अशोक आर्य सहपत्नीक पधारे और पंजाबी बिरादरी महा संगठन के वरिष्ठ उपप्रधान श्री ओम प्रकाश कथूरिया, महा मंत्री श्री राम लाल ग्रोवर, उपप्रधान श्री धर्मेंद्र बजाज और श्री अनिल कुमार, श्री रमेश कामरा, श्री ओ.पी कालरा, श्री गजेंद्र गोसाई, श्री किशोरी डुडेजा श्री रवि मिनोचा, श्री द्वारका नाथ मक्कड़ के अतिरिक्त महिला प्रकोष्ठ की ओर से श्रीमती ज्योत्सना बजाज, श्रीमती रचना बजाज, श्रीमती सुषमा आर्य भी उपस्थित रही। नाटक में श्री अशोक सीकरी, श्रीमती शील सीकरी, श्री राजीव छाबड़ा, श्रीमती बिनू छाबड़ा, श्री और श्रीमती रमेश कुमार नरूला, श्रीमती और श्री सुभाष सचदेव उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त रमेश मुंजाल, मीनाक्षी मुंजाल, पूनम सचदेवा, सोनिया सचदेवा, अजय अग्रवाल, मंच संचालक नरोत्तम शर्मा, प्रोडक्शन मैनेजर सुदर्शन शर्मा की विशेष उपस्थिति रही। इसके अतिरिक्त रीता, आशा बजाज, सीमा मनोचा व अन्य जन मौजूद रहे। कलाकार जिन्होंने यह प्रस्तुति दिखाई उन कलाकारों के नाम है – विवेक सिंह, प्रवीण, रोहित राय, विकि खटाना, पीयूष, शौनक, अथर्व, योगेश, अली, अनीश, गोलू, ऋषभ, कुन्दन गिरी, सक्षम, तुषार, मुलायम, आरव, रोहित यादव, रितिक, अनुज, पूजा, श्रुति, प्रिया, सुमति, नवनिधि, नव्या, दिशा, कुंदन कुमार ने नाटक का बहुत ही सुंदर रूप से प्रस्तुतीकरण किया। Post navigation शैक्षणिक संस्थानों की उत्कृष्टता से प्रशस्त होगा विकसित भारत का लक्ष्य हरियाणा सरकार को सबसे ज़्यादा राजस्व देने वाले गुरुग्राम की सड़कों का बुरा हाल-चौधरी संतोख सिंह