मणिपुर में भड़की हुई हिंसा व मारकाट का मुख्य कारण भी आरक्षण
गुरुग्राम नगर निगम में वार्ड बढे लेकिन हैरानी है कि आरक्षित वार्ड घटे
वार्ड बंदी को लेकर अनुसूचित वर्ग के अधिकार का किया गया हनन
सरकार की इस मंशा को दलित समाज बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेगा
देश बाबा साहेब के बनाए हुए संविधान से चलेगा किसी सरकारी तानाशाही से
फतह सिंह उजाला
पटौदी 21 जुलाई । मणिपुर में जो आग लगी हुई है, उसका मुख्य कारण भी आरक्षण ही है । करीब 3 महीने से मणिपुर में हिंसा और आगजनी सहित महिलाओं शोषण अपने चरम पर है । लेकिन पीएम, गृहमंत्री और केंद्र सरकार अपने कान और आंखें बंद किए बैठे रहे । हाल ही में जो वीडियो वायरल हुए हैं , उनके कारण भारत की समूची या फिर यूं कहें सत्ता में आधी भागीदारी निभाने वाली महिला वर्ग की पूरी दुनिया में बेइज्जती हुई है । मणिपुर प्रकरण में सीजेआई – सुप्रीम कोर्ट के द्वारा संज्ञान लेने पर ही पीएम मोदी कुछ कहने के लिए मजबूर हुए । गुरुग्राम में नगर निगम चुनाव के लिए वार्ड बंदी में आरक्षण को लेकर भी दलित समाज के आरक्षण के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की गई है । जिससे 36 बिरादरी की भाईचारे को बिगाड़ने सहित ठेस पहुंचाने की शासन और प्रशासन के द्वारा कोशिश की गई है । यह बात पटौदी के पूर्व एमएलए स्वर्गीय भूपेंद्र चौधरी की पुत्री एवं सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट पर्ल चौधरी ने यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही।
उन्होंने कहा नगर निगम गुरुग्राम में अनुसूचित जाति की सीटों को वर्तमान सरकार गैर संवैधानिक तरीके से कम कर रही है। सरकार की इस मंशा को दलित समाज बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेगा । ये देश बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के बनाए हुए संविधान से चलेगा ना कि किसी भी सरकार की तानाशाही मंशा से । उन्होंने कहा की गुरुग्राम नगर निगम में 35 सीटों में 6 सीटें अनुसूचित अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी, जबकि नगर निगम में एक सीट बढ़ाकर 36 सीटें कर दी है । जहां अनुसूचित जाति की सीटें बढ़नी चाहिए थी , वहीं इस तानाशाही और अपरिपक्व सरकार ने 3 सीटें कम कर दिया है। जिससे सरकार की दलित विरोधी, पिछड़ा वर्ग एवं महिलाओं के खिलाफ नीति को दर्शाता है ।
उन्होंने कहा कि अब हमारा समाज कमजोर नहीं है । हम अपने हक की लड़ाई पूरी मजबूती से लड़ेंगे ।उसके लिए हम किसी भी हद तक जाने को तैयार है। सीटों का कम करना व्यक्ति विशेष नहीं बल्कि पूरे अनुसूचित जाति समाज पर कुठाराघात किया गया है।
सरकारी आंकड़ों में जहां 2017 के नगर निगम चुनाव में 1161530 वोटर थे इसमें दलित समाज के 191376 वोटर थे । अभी प्रस्तावित आंकड़ों के अनुसार गुरुग्राम नगर निगम में वोटों की संख्या घटकर 1092188 हो गई है । जिसमें दलित समाज के वोटों की संख्या घटकर सिर्फ 87930 रह गई है। अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि दलित समाज के 103446 वोटर कहां गुम हो गए हैं ? क्या दलित समाज अपने आप को असुरक्षित समझ कर पलायन कर रहा है या दलित समाज में प्रजनन दर कम हो गया है या दलित समाज में औसत से कई गुना ज्यादा मृत्यु दर आ रहा है ? इन मुद्दों पर सरकार को एक श्वेत पत्र लाना चाहिए और तुरंत पुलिस कमिश्नर को आदेश देना चाहिए कि गुरुग्राम नगर निगम क्षेत्र में एक लाख दलित समाज के लोग कहां गायब हो गए है ? जिस तरह महाभारत में पांडवों ने कौरवों से केवल 5 ग्राम मांगे थे, लेकिन दुर्योधन के हठ के का कारण महाभारत जैसा भयंकर युद्ध हुआ।
हम भी अपने हक की 35 में 6 या 36 में 7 सीटें मांग रहे हैं । जो बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान हमें हक देता है । अगर ऐसा करने में कोताही दिखी तो हमारा समाज आने वाले लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव में ऐसी सरकार का डट कर विरोध करेगा।
इस मौके पर रतन सिंह बडगूजर – प्रधान अंबेडकर सभा सेक्टर 4, संतलाल ज्योतिरवाल , पूर्व प्रधान, बलवान सिंह रंगा पूर्व प्रधान, राजेंद्र जायसवाल समाजसेवी, एसएस नाहर – डेप्युटी डिस्टिक एटर्नी गुरुग्राम, शिवचरण समाजसेवी, एमपी रंगा पूर्व प्रधान अंबेडकर सभा कुटनी झज्जर, प्रदीप चौहान एडवोकेट , संदीप सुतवाल एडवोकेट , आदित्य जयसवाल एडवोकेट, कर्म सिंह गिल प्रधान समाजसेवी, पन्ने राम धईया समाजसेवी अन्य गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद रहे ।