नौ साल में 3000 करोड़ रुपये बाढ़ की रोकथाम के लिए अलॉट किए, लेकिन सब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े : अनुराग ढांडा

नदियों के तटबंध टूटने से आयी बाढ, सरकार सीधे तौर पर जिम्मेदार : अनुराग ढांडा

प्रदेश में 8 जगह यमुना के तटबंध टूटने से गांवों में पानी पहुंचा : अनुराग ढांडा

सिरसा में चौधरी देवीलाल के समय में ही 19 किलोमीटर के तटबंध को पक्का करने का प्रोजेक्ट पास हुआ था: अनुराग ढांडा

तीन दशक से ज्यादा समय बीतने के बाद भी 10 किलोमीटर का हिस्सा पक्का नहीं किया : अनुराग ढांडा

आधुनिक युग में किसी भी गांव में एक बोट मुहैया न करवाना, शर्म की बात : अनुराग ढांडा

यमुनानगर के बेलगढ़ से सोनीपत के राई तक खट्टर सरकार की सरपरस्ती में यमुना पर अवैध माइनिंग चल रही : अनुराग ढांडा

मंत्री कंवरपाल बेलगढ गये लेकिन वहां हो रही अवैध माइनिंग की तस्वीरें छुपायी, क्यों?

अंबाला में टांगरी नदी टूटने की वजह से बाढ़ आई : चित्रा सरवारा

गृहमंत्री विज ने माना 48 साल बाद ऐसी बाढ़ आई, इसका मतलब समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाए : चित्रा सरवारा

ये प्राकृतिक आपदा नहीं, भ्रष्टाचार की आपदा, सीएम खट्टर जिम्मेदारी से नहीं बच सकते : चित्रा सरवारा

चंडीगढ़, 19 जुलाई – आम आदमी पार्टी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अनुराग ढांडा ने बुधवार को चंडीगढ़ के प्रेसक्लब में प्रेसवार्ता की। उन्होंने प्रदेश में आई बाढ़ के रोकथाम के इंतजाम न होने को लेकर खट्टर सरकार को घेरा। इस दौरान आम आदमी पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष चित्रा सरवारा भी मौजूद रहीं। अनुराग ढांडा ने कहा कि बारिश से आई आपदा ने पूरे हरियाणा को संकट में डाल दिया और खट्टर सरकार सोती हुई पकड़ी गई। आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता पूरे हरियाणा के बाढ़ प्रभावित गांवों में गए और लोगों की मदद की। हमने खुद कुरुक्षेत्र, करनाल और यमुनानगर के गांवों को दौरा किया। यमुनानगर में शिक्षामंत्री का गावं पड़ता है, लेकिन वहां तक जाने के सारे रास्ते टूटे हुए थे। शिक्षामंत्री के गांव में भी प्रशासनिक मदद नहीं पहुंच पाई थी। इसके अलावा कैथल, फतेहाबाद और सिरसा के गांवों का भी दौरा किया।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के 1378 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। इनमें से 150 से 200 गांव सड़क मार्ग से पूरी तरह से कट गए थे। वहां लोगों की एक ही मांग थी कि यदि हमें एक बोट उपलब्ध करवा दी जाए तो गांव अपने आप मैनेज कर सकता है। शर्म की बात ये है कि इस आधुनिक युग में खट्टर सरकार और प्रशासन मिलकर किसी भी गांव में एक बोट मुहैया नहीं करवा पाए। ज्यादातर गांवों में जिला प्रशासन पूछने भी नहीं गया कि उनको क्या मदद चाहिए। उन्होंने कहा कि बाढ़ के पानी से स्कीन में खुजली होने लगी है और बंधे बंधे पशुओं की मृत्यु हो गइ इसकी वजह से भी बीमारी फैलने का खतरा है। लेकिन प्रशासन का इसकी तरफ कोई ध्यान नहीं है।

उन्होंने कहा कि हरियाणा में दो ही प्रमुख नदियां यमुना और घग्गर की वजह से बाढ़ आई। 1978 में जब बाढ़ आई थी तो यमुना पर तटबंध बनाए गए थे, उनको मजबूत किया गया था। प्रदेश में 1978 से लेकर आजतक यमुना के तटबंधों को मजबूत करने के लिए कोई महत्तवपूर्ण काम नहीं किया गया। पिछले नौ साल में खट्टर सरकार ने एक भी तटबंध पक्का नहीं किया। प्रदेश में आठ जगह पर यमुना का तटबंध टूटा। 4 जगह पर करनाल से पहले, 2 जगह पर करनाल और पानीपत क बीच में और 2 जगह पर पानीपत व सोनीपत के बीच में तटबंध टूटे। इन्हीं तटबंधों के टूटने की वजह से गांवों में पानी पहुंचा।

उन्होंने कहा कि सिरसा जिले में घग्गर के तटबंध का एक 19 किलोमीटर का टूकड़ा है। जिसमें चौधरी देवीलाल के समय में 5 किलोमीटर तटबंध को पक्का किया गया। फिर बंसीलाल के समय 5 किलोमीटर के तटबंध को पक्का किया गया। जबकि चौधरी देवीलाल के समय में ही 19 किलोमीटर के तटबंध को पक्का करने का प्रोजेक्ट पास किया गया था। लेकिन तीन दशक का समय बीत जाने के बाद भी 10 किलोमीटर का हिस्सा ऐसे ही पड़ा हुआ है उसको पक्का नहीं किया गया। सिरसा में उसी तटबंध के टूटने की वजह से बाढ़ आई। कभी भी घग्गर नदी की खुदाई नहीं की गई। उनके तटबंधों को मजबूत नहीं किया गया।

उन्होंने कहा कि बाढ़ रोकथाम के लिए 2017-18 में 120 करोड़ रुपये, 2018-19 में 100 करोड़ रुपये, 2019-20 में 185 करोड़, 2020-21 में 190 करोड़, 2021-22 में 260 करोड़, 2022-23 में 350 करोड़ और 2023-24 के लिए 370 करोड़ रुपये प्रस्तावित हैं। पिछले पांच साल में 2000 करोड़ रुपये बाढ़ की रोकथाम के लिए अलॉट किए गए। पिछले नौ साल में खट्टर सरकार के कार्यकाल में 3000 हजार करोड़ रुपये बाढ़ की रोकथाम के लिए अलॉट किए गए। उन्होंने कहा कि ये 3000 करोड़ रुपये खट्टर सरकार में कहां गया। किस मंत्री की जेब में गया और भ्रष्टाचार में कहां खाया गया। क्योंकि खट्टर सरकार में किसी भी नदी के तटबंध को पक्का करने के लिए कोई महत्तवपूर्ण काम नहीं किया गया।

उन्होंने कहा कि इस बाढ़ का 90 प्रतिशत हिस्सा कृत्रिम था, क्योंकि बेलगढ़ डैम पर पहुंचकर शिक्षामंत्री ने सोशल मीडिया तस्वीर डालकर लिखा था कि तटबंध को पक्का करने के काम का जायजा लेने आया हूं। लेकिन तटबंध मजबूत करने के नाम पर मिट्टी के कट्टे डालकर सरकार के भ्रष्टाचार को छुपाने की कोशिश की जा रही थी। यदि मंत्री जी पलटकर दूसरी तरफ की भी फोटो ले लेते तो यमुना के किनारों पर 100-100 फुट गहरे गड्ढे और अवैध माइनिंग के सुबूत उनकी तस्वीर के साथ नजर आते। बेलगढ़ से लेकर सोनीपत के राई तक खट्टर सरकार की सरपरस्ती यमुना पर अवैध माइनिंग चल रही है। इसको लेकर आम आमदी पार्टी बड़े अभियान की शुरुआत करेगी। आम आदमी पार्टी की सरकार आने पर यमुना नदी पर हरियाणा के तरफ के किनारे पर एक्सप्रेस-वे का निर्माण किया जाएगा ताकि मजबूत तटबंध बन सके। इसके अलावा घग्गर नदी के दोनों किनारों पर सड़क का निर्माण किया जाएगा।

वहीं, प्रदेश उपाध्यक्ष चित्रा सरवारा ने कहा कि अंबाला में टांगरी नदी निकलती है टूटने की वजह से बाढ़ आई। प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज कहते हैं कि 48 साल बाद ऐसी बाढ़ आई है। इसका मतलब प्रदेश की हर सरकार को तैयारी करने का समय मिला था। लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। डांगरी नदी ग्रामीण इलाके से निकल कर जाती है। डांगरी नदी पर एक बंधा बना हुआ है, कुछ जगह पर अनिल विज रोड का बोर्ड भी लगा हुआ है। इस बंधे पर हमने पहले भी की बार आपत्ति जताई कि ये मिट्टी का बना हुआ एक ढेर है जिस पर पक्की सड़क बना दी गई। बरसात होने पर बंधे की कई जगहों पर आधी सड़क निकल गई। रिहायशी इलाके की पक्की गलियों ने इसे बचा लिया। लेकिन बंधे की दूसरी साइड कोई भी मजबूत तट नहीं बनाया गया, जिसकी वजह से पानी खुल कर चला। अंबाला की साइंस इंडस्ट्री और कॉलोनियों में पानी भर गया। मकानों धस गए हैं, रिहायशी इलाकों में अभी तक पानी खड़ा है। ये एक प्राकृतिक आपदा नहीं, भ्रष्टाचार की आपदा है। अपनी जिम्मेदारी से सीएम खट्टर बच नहीं सकते।

इस मौके पर जिला अध्यक्ष पंचकूला रंजीत उप्पल, प्रदेश सह सचिव योगेश्वर शर्मा, प्रदेश सह सचिव अनिल रंगा और यूथ विंग के प्रदेश उपाध्यक्ष सुमित रुहल मौजूद रहे।

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