– एचएयू और तंजानिया के कृषि विश्वविद्यालय के बीच हुआ अनुबंध
– दोनों देशों के वैज्ञानिकों, शोधार्थियों व विद्यार्थियों को कृषि की व्यवसायिक व नई तकनीकों से संबंधित मिलेगा प्रशिक्षण।

13 जुलाई, हिसार। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार की उन्नत कृषि तकनीकों व नवाचारों का तंजानिया के किसानों को भी लाभ मिलेगा। एचएयू की प्रौद्योगिकी से तंजानिया के किसान कृषि उत्पादन बढ़ाकर व नए स्टार्टअप तैयार कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकेंगे। इसी कड़ी में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय और तंजानिया के मोरोगोरो स्थित सोकोइन कृषि विश्वविद्यालय के बीच आपसी सहयोग से कृषि में अनुसंधानों व नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए एक अनुबंध हुआ है, जिसका लाभ दोनों देशों के किसानों को होगा। इस संबंध में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज व कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एस.के. पाहुजा और तंजानिया के सोकोइन कृषि विश्वविद्यालय की ओर से वहां के कुलपति प्रो. रापहियल.टी. चिबूंडा ने इस अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। इस मौके पर तंजानिया के कृषि महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. ब्रर्नड चोवे व डॉयरेक्टेट ऑफ पीजीएस रिसर्च टेक्नीकल ट्रांसफर एंड कलसंटटेंसी के डायरेक्टर प्रो. इसोर्न डी. कारीमयुरिबो भी मौजूद रहे।

इस एमओयू के अनुसार तंजानिया के सोकोइन कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ व एचएयू के वैज्ञानिक, शोधार्थी व विद्यार्थी मिलकर नवीन अनुसंधानों की सहायता से किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने का प्रयास करेंगे। ज्ञात रहे कि इस समय तंजानिया के शहर दार-ए- सालाम में 47वां अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला चल रहा है, जिसमें हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के निर्देशन में हरियाणा का एक प्रतिनिधित्व मंडल तंजानिया में व्यापार एवं शिक्षा के अवसर तलाशने व उन्हें बढ़ावा देने के लिए दौरे पर है। 50 सदस्यीय इस प्रतिनिधित्व मंडल में हरियाणा सरकार के उच्चाधिकारी, व्यापारी एवं चार विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं अधिकारीगण शामिल हैं।

इन क्षेत्रों में मिलेगा सहयोग
एचएयू के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने बताया कि हरियाणा और तंजानिया की कृषि जलवायु लगभग समान है। इस अनुबंध से विश्वविद्यालय की उन्नत तकनीकों व नवाचारों से तंजानिया की कृषि संबंधित तकनीकों व उपकरणों में काफी सुधार आएगा। साथ ही हमें तंजानिया की घरेलू फसलों की किस्मों पर शोध करने से काफी फायदा मिल सकेगा। उन्होंने बताया कि हकृवि के वैज्ञानिक कृषि की व्यवसायिक व नई तकनीकों के संबंध में प्रशिक्षण देंगे, जिससे कि तंजानिया और भारत में कृषि इंजीनियरिंग में संकाय का आदान-प्रदान, प्रशिक्षण, अनुसंधान और कृषि विस्तार गतिविधियों में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने बताया कि दोनों विश्वविद्यालय सेमिनार, सम्मेलनों में हिस्सा लेंगे और एक-दूसरे का सहयोग करेंगे। इस अनुबंध से दोनों देशों को कृषि के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी वहीं दूसरी ओर अनुसंधान की गुणवत्ता को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।

वैज्ञानिक उपकरणों का उपयोग व परियोजनाओं पर रहेगा जोर
कुलपति ने बताया कि इस एमओयू के अनुसार कृषि क्षेत्र में उपयोग होने वाली उन्नत तकनीकों व नवाचारों के बारे में गहनता से जानकारी दी जाएगी क्योंकि आधुनिक युग में जलवायु परिवर्तन सहित अन्य चुनौतियों के कारण कृषि क्षेत्र में नई-नई समस्याएं उत्पन्न हो गई, जिससे खाद्य सुरक्षा व खाद्यन्न का सुरक्षित भंडारण बड़ी चुनौती बन गए हैं। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिकों, शिक्षाविदें, शोधार्थियों व विद्यार्थियों को जल संरक्षण सहित आर्थिक रूप से बचत के लिए अनुसंधान भी किए जाएंगे, जिनका दोनों देशों के किसानों को लाभ होगा।

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