ट्रैफिक समस्या कहीं साइबर सिटी के लिए श्राप तो नहीं: ईं आर के जायसवाल

ईं आर के जायसवाल

इस जाम को हम सभी अभी भूले भी नहीं थे कि बीते मंगलवार को गुरुग्राम में जयपुर-दिल्ली नेशनल हाईवे पर दस किमी लंबी जाम फिर से लग गई। गौरतलब हो कि इसी शहर में भारत की अध्यक्षता में 250 से अधिक विदेशी मेहमानों समेत करीब 800 प्रतिनिधि के साथ जी-20 शिखर सम्मेलन चल रही थी वहीं जयपुर-दिल्ली नेशनल हाईवे पर दस किमी लंबी जाम से लोग परेशान थे और यह साइबर सिटी गुरुग्राम के लिए कोई नई समस्या नहीं। शहर के किसी भी भाग में कभी भी कहीं आप जा रहें हो तो आधा एक घंटा जाम के लिए पहले ही समर्पण कर देते है। अब सवाल यह उठता है कि सामाघान क्या है?

गुड़गांव। यह वही शहर है जहां ट्रैफिक जाम के चलते शहर में धारा 144 लगा दी गई थी ? राजधानी दिल्‍ली से सटे साइबर सिटी नाम से प्रसिद्ध गुड़गांव में कुछ बर्ष पूर्व शुक्रवार के दिन बारिश के कारण 16 घंटे व 25 किमी लंबा जाम लगी थी ।

अब समस्या पर ग़ौर करें तो पूरानी जनगणना व आंकड़ों के अनुसार गुड़गांव में प्रति 1,000 लोगों पर 232 कारें और दोपहिया वाहन हैं, गुड़गांव में 43 प्रतिशत परिवारों के पास दोपहिया वाहन हैं, 33 प्रतिशत परिवारों के पास कारें हैं और इसकी पर वर्ष वृद्धि दर सात फीसदी हैं। वहीं 2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या वृद्धि दर 79.93% है और भारत में 640 जिले में से गुड़गांव का 328 वा रैंक है और 15 लाख की आबादी वाले शहर में सड़कों पर छः लाख वाहन पर दौड़ रही हैं। इस आंकड़े से आप समझ सकते हैं कि आने वाले समय में हमें कितना सतर्क रहने की जरूरत है।

कुछ विषयों ज़ोर देकर हमें इस समस्या से राहत मिल सकती है, जैसे सड़कों की अपेक्षाकृत कम चौड़ाई कि समस्या का कारण तो है वहीं जल‌ भराव, ट्रैफिक व्यवस्था के संचालन की कमी, शहर के प्रमुख सड़कों का अतिक्रमण, सड़क कि जमीनी मूद्दो का निवारण और निगमों कि आपसी तालमेल कि कमी को सूघार कर हम जाम की समस्या से राहत मिल सकती हैं ।

हाल के दिनों में कुछ प्रस्तावित मेट्रो कॉरिडोर को मंजूरी मिलने से कुछ उम्मीदें जगीं जरूर है लेकिन अभी इसके लिए लम्बा इन्तज़ार है । वहीं टाउन एंड कंट्री प्लानिंग निदेशालय (डीटीसीपी) के एक अध्ययन में कहा गया है कि प्रस्तावित ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट पॉलिसी (टीओडी) लागू होने के बाद गुड़गांव की आबादी अनुमानित 43 लाख से बढ़कर 2031 तक 69 लाख हो जाएगी और इसको ध्यान में रखते हुए सोचना होगा।

शहर के निगमों के बुनियादी बातें “अगला देख लेगा” को बदल कर और परेशानियों से संज्ञान लेते हुए सोचना होगा कि आगे कितने तैयार है हम ?

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