भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। पटेल नगर में लगी ये निष्क्रिय बिजली की तारें अब निश्चित रूप से शीघ्र हट जाएंगी। यह हम इसलिए कह रहे हैं कि वर्षों के प्रयास के बाद निगम ने डीएचबीवीएन को तार हटाने का पैसा जमा करा दिया है और सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार डीएचबीवीएन ने तार हटाने के लिए टेंडर भी मांग लिए हैं। अत: इनका हटना अब तय है।

पटेल नगर झाड़सा में ये निष्क्रिय तारें वर्षों से लगी हुई हैं, शायद कई कॉलोनियां बनने से भी पहले और मुझे याद आता है कि हुड्डा सरकार में चौ. खजान सिंह इसके लिए प्रयासरत थे। ये शायद 2012-13 की बात है और उसके पश्चात बार एसोसिएशन के प्रधान चौ. संतोख सिंह भी इसके लिए प्रयासरत रहे। डीएचबीवीएन का कहना था कि हम तार तब हटाएंगे, जब निगम हमें इसका पैसा देगा। और याद आ रहा है कि काफी समय पहले चौ. संतोख सिंह ने कष्ट निवारण समिति की बैठक में भी यह सवाल उठाया था।

निगम चुनाव के समय चुनाव लड़ रहे अभय जैन ने भी यह मुद्दा उठाया था। सामाजिक समस्या है, अनेक लोग इसके लिए प्रयास करते रहे हैं। 

निगम पार्षद सुभाष सिंगला भी यहीं रहते हैं और विधायक सुधीर सिंगला से उनके मधुर संबंध हैं। तो माना जा सकता है कि उनके द्वारा भी इसके लिए प्रयास किये जाते रहे हैं। 

वर्तमान में कुछ समय पूर्व केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने निगम कर्मचारियों की एक बैठक ली थी। हो सकता है कि उसमें भी यह बात राव इंद्रजीत द्वारा कही गई हो।

राव इंद्रजीत सिंह गुरुग्राम के चप्पे-चप्पे से वाकिफ हैं और वह यहां की समस्याओं को भी जानते हैं लेकिन प्रश्न यह उठता है कि फिर भी इतना समय क्यों लगा?

अभी कुछ दिन पूर्व पटेल नगर से ही दूसरी लाइन की तारें हटाई गई थी, उसके लिए राव इंद्रजीत सिंह की विज्ञप्ति आई थी कि वह उनके प्रयासों से ही हटाई गई है। और अब संभव है कि निगम ने जो डीएचबीवीएन को पैसा जमा कराया है, उसमें भी राव इंद्रजीत सिंह के निर्देश हों।

पर्यावरण सचिव नवीन गोयल ने आज विज्ञप्ति जारी की कि वह बिजली मंत्री से मिलकर आए हैं और बिजली मंत्री ने आश्वासन दिया है। समझ नहीं आया कि या तो पर्यावरण सचिव को यह ज्ञात नहीं था कि निगम ने डीएचबीवीएन को पैसे जमा करा दिए हैं और टेंडर की प्रक्रिया आरंभ है। और या फिर ज्ञात था तो वर्षों से प्रयासरत लोगों के कार्य का श्रेय स्वयं लेने का प्रयास है।

सफाई और पर्यावरण :

वर्तमान में गुरुग्राम में घर-घर कूड़ा उठाने वाली एजेंसी इकोग्रीन कूड़ा उठा नहीं रही है। इससे सफाईकर्मियों की हड़ताल समाप्त होने के बाद भी जिले में सफाई व्यवस्था में सुधार नहीं हो रहा। स्थान-स्थान पर कूड़े के अंबार हैं और आज कुछ समय के लिए जमकर बरसात हुई, जिसमें सदा की तरह शहर जलमग्न हो गया। ऐसे में वह कूड़ा भी सारे में फैल ही गया और बीमारी के आमंत्रण के आसार बन गए। वैसे भी आजकल अस्पतालों में हर तीसरा-चौथा मरीज सांस की बीमारी से ही ग्रसित होता है, जिसका मुख्य कारण पर्यावरण ही है।

भाजपा संगठन ने नवीन गोयल को पर्यावरण सचिव की जिम्मदारी दी हुई है लेकिन इकोग्रीन, शहर की गंदगी, शहर के जाम, रुके सीवर आदि पर इनका कोई ब्यान नहीं आया। लगता है उनका अपने काम से अधिक अन्य कामों पर ध्यान है।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल और प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़, यही नहीं अपितु भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदा ही यह दावा करते हैं कि भाजपा बहुत अनुशासन की पार्टी है। अब प्रश्न यह खड़ा होता है कि इस प्रकार की समस्याएं उठाने का काम क्या विधायक, जिला अध्यक्ष और सांसद का नहीं है? और यदि है तो इससे यह लगता है कि वह कार्य नहीं कर रहे। और फिर एक बात और कि पैसे निगम ने जमा कराने थे और काम गुरुग्राम डीएचबीवीएन कार्यालय ने करना था। क्या इन संस्थाओं से इन्होंने बात की? या इन्हें भाजपा की कर्तव्यनिष्ठ सरकार की इन संस्थाओं पर भरोसा नहीं था।

खैर, यह सोचने वाली बात नहीं। यह तो प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ही सोचेंगे।

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