परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी में देश विदेश में सभी शिष्यों एवं श्रद्धालुओं को गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं दी वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक कुरुक्षेत्र, 3 जुलाई : देश के विभिन्न राज्यों में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने सबसे पहले अपने आदि गुरु जयराम व अन्य गुरुओं सहित ब्रह्मलीन पूज्य प्रात: स्मरणीय देवेंद्र स्वरूप ब्रह्मचारी के चरणों में नमन करते हुए परम्परास्वरूप गुरु पूजन किया। उन्होंने इस के उपरांत अपना आशीर्वाद देते हुए गुरु पूर्णिमा का महत्व बताया कि गुरु पूर्णिमा के दिन पर अपने गुरुओं और बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है। परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से देश विदेश में सभी श्रद्धालुओं को गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं एवं आशीर्वाद दिया। उन्होंने बताया कि गुरु पूर्णिमा पर गुरु का पूजन करने की परंपरा है। महर्षि वेद व्सास की जयंती पर इस पर्व को मनाया जाता है। ब्रह्मचारी ने बताया कि चारों वेदों, 18 पुराणों, महाभारत के रचयिता और कई अन्य ग्रंथों के रचनाकार का श्रेय महर्षि वेद व्यास को दिया जाता है। वेदों का विभाजन करने के कारण इनका नाम वेद व्यास पड़ा। उन्होंने बताया कि गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरुओं की पूजा और उनका सम्मान करते हुए उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। ब्रह्मचारी ने कहा कि गुरु सामान्य व्यक्तित्व नहीं हैं। वह तो वास्तविक ज्ञान का मूर्त रूप हैं। कुरुक्षेत्र में ब्रह्मसरोवर के तट पर जयराम विद्यापीठ में ब्रह्मचारी से वीडियो कांफ्रेसिंग से ट्रस्टी विद्यापीठ के ट्रस्टियों के.के. कौशिक, टेक सिंह लौहार माजरा, राजेश सिंगला, सतबीर कौशिक, रोहित कौशिक, विद्यापीठ के सेवक एवं ब्रह्मचारियों ने भी आशीर्वाद लिया। Post navigation जयराम विद्यापीठ में गुरुकुल परम्परा के अनुसार 108 विद्यार्थियों का होगा उपनयन संस्कार गुरु पूर्णिमा पर जयराम विद्यापीठ में हुआ गुरुकुल परम्परा के अनुसार 108 विद्यार्थियों का उपनयन संस्कार