जयराम विद्यापीठ में गुरुकुल परम्परा के अनुसार मनाया गुरु पूर्णिमा का पर्व। जयराम विद्यापीठ के ट्रस्टियों एवं श्रद्धालुओं ने भी अर्पित किए श्रद्धा सुमन। वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक कुरुक्षेत्र, 3 जुलाई : ब्रह्मसरोवर के तट पर जयराम विद्यापीठ में गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरुकुल परम्परा के अनुसार बड़ी ही श्रद्धा एवं आस्था के साथ मनाया गया। श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी जयराम विद्यापीठ के संस्कृत महाविद्यालय के ब्रह्मचारियों एवं विद्यार्थियों का मुख्य यज्ञशाला में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर जनेऊ संस्कार एवं उपनयन संस्कार विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ सम्पन्न हुआ। इस मौके पर बड़ी संख्या में विद्यार्थियों के अभिभावक, विद्यापीठ के ट्रस्टी एवं श्रद्धालु पहुंचे। ट्रस्टियों के. के. कौशिक, नरवाना से प्रवीण गोयल, टेक सिंह लौहार माजरा, सुरेंद्र गुप्ता, राजेश सिंगला व प्राचार्य रणबीर भारद्वाज सहित आचार्य प. राजेश प्रसाद लेखवार शास्त्री, संजय शर्मा, दीपक शर्मा, राम जुवारी, प्रवीण मन्हास, सतबीर कौशिक, रोहित कौशिक तथा जयराम संस्कृत महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने जयराम आश्रम के संस्थापक प्रात: स्मरणीय ब्रह्मलीन पूज्य गुरु देवेंद्र स्वरूप महाराज की आरती की और उनकी प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। प्राचार्य रणबीर भारद्वाज के अनुसार सनातन धर्म परम्परा के अनुसार वर्षों से इस महान पर्व को मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा का दिन संतों महापुरुषों और ऋषि मुनियों को समर्पित है जिन्होंने वेदों का विस्तार किया। भारत की ऐतिहासिक, भौगोलिक, सामाजिक, धार्मिक, आध्यात्मिक इत्यादि सहित समस्त क्रियाकलापों से युक्त 18 पुराणों की रचना कर समाज का सही मार्गदर्शन किया। आचार्य राजेश प्रसाद लेखवार ने बताया कि गुरुकुल परम्परा एवं गुरुओं का अनुसरण करते हुए विद्यापीठ में परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी के मार्गदर्शन में हरवर्ष गुरु पूर्णिमा पर नूतन विद्यार्थियों का मंत्रोच्चारण से साथ उपनयन संस्कार कर विधि विधान से परम्परा अनुसार गुरु शिष्य का संबंध किया जाता है। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर कुरुक्षेत्र के आलावा देशभर में स्थित अन्य श्री जयराम संस्थाओं में भी गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम बड़े धूमधाम से आयोजित किए गए। कुरुक्षेत्र में जयराम संस्थाओं के मीडिया प्रभारी राजेश सिंगला ने बताया कि जयराम संस्थाओं के श्रद्धालुओं के लिए जयराम आश्रम हरिद्वार से परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने सभी सेवकों एवं श्रद्धालुओं को संदेश दिया। कुरुक्षेत्र में विद्यापीठ के सेवकों एवं ब्रह्मचारी विद्यार्थियों ने गुरु ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी से आशीर्वाद लिया। संस्कृत महाविद्यालय के आचार्य राजेश लेखवार शास्त्री ने बताया कि परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी के मार्ग दर्शन में जयराम संस्थाएं पुरे देश के विभिन्न राज्यों में संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार की मुहिम चलाये हुए हैं। जयराम संस्थाओं के प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में विद्यार्थी तथा ब्रह्मचारी संस्कृत का ज्ञान प्राप्त कर पुरे देश में बांटते हैं। आचार्य राजेश लेखवार शास्त्री ने जनेऊ संस्कार एवं उपनयन संस्कार के महत्व के बारे में बताया कि पहले तो जीव अपनी मां से पहला जन्म लेता है और उसके उपरांत जनेऊ संस्कार एवं उपनयन संस्कार के रूप में विद्यार्थी जीवन में प्रवेश करते हुए उसका दूसरा जन्म होता है। उन्होंने बताया कि नए सत्र में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों तथा ब्रह्मचारियों का जनेऊ संस्कार एवं उपनयन संस्कार वैदिक विधि से मंत्रोच्चारण के साथ गुरु पूर्णिमा के अवसर पर हुआ। Post navigation गुरु सामान्य व्यक्तित्व नहीं, ज्ञान का मूर्त रूप हैं : ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी कुरुक्षेत्र के इतिहास को जिंदा रखने के लिए भारत रत्न गुलजारी लाल नंदा का अहम योगदान